आश्रम में बच्चे से मिलकर भावुक हुए आइएएस संदीप कदम व उनकी मां

महाराष्ट्र नासिक के रहने वाले आइएएस अधिकारी संदीप कदम का मंडी जिला की जनता से लगाव उन्हें प्रदेश छोड़ने से पहले नहीं रोक पाया। वह अपने शुभचितकों और चाहवानों से मिलने के लिए मंडी पहुंचे। दो दिन तक उन्होंने विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा किया। विभिन्न सामाजिक संगठनों व पंचायत प्रतिनिधियों ने उन्हें भावुक होकर विदाई दी। दौरे का सबसे मार्मिक पल वह था जब वहां डैहर स्थि

By JagranEdited By: Publish:Tue, 22 Oct 2019 09:20 PM (IST) Updated:Tue, 22 Oct 2019 09:20 PM (IST)
आश्रम में बच्चे से मिलकर भावुक हुए आइएएस संदीप कदम व उनकी मां
आश्रम में बच्चे से मिलकर भावुक हुए आइएएस संदीप कदम व उनकी मां

सहयोगी, नेरचौक : महाराष्ट्र नासिक के रहने वाले आइएएस अधिकारी संदीप कदम का मंडी जिला की जनता से लगाव उन्हें प्रदेश छोड़ने से पहले नहीं रोक पाया। वह अपने शुभचितकों और चाहने वानों से मिलने के लिए मंडी पहुंचे। दो दिन तक उन्होंने विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा किया। विभिन्न सामाजिक संगठनों व पंचायत प्रतिनिधियों ने उन्हें भावुक होकर विदाई दी। दौरे का सबसे मार्मिक पल वह था जब वहां डैहर स्थित आश्रम में पढ़ाई कर रहे एक बच्चे से मिले। उसका कुशलक्षेम पूछा। बच्चा चार वर्ष पहले मंडी शहर में अपनी मंदबुद्धि मां के साथ दर-दर ठोकरें खाकर मंडी पुल के नीचे रहता था। जब उनकी मुलाकात उस बच्चे से हुई तो उन्हें बच्चे की समझ बेहतर लगी क्योंकि वह अपनी मां को रोजाना रोटी खिला उसकी देखभाल कर रहा था। इसे देख उन्होंने उस बच्चे की परवरिश का निर्णय लिया और मां को नारी निकेतन में रख बच्चे को डैहर आश्रम में भेज उसकी पढ़ाई शुरू करवाई। बच्चा अब राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला डैहर में आठवीं कक्षा का छात्र है। छात्र में पढ़ाई की रुचि का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसने सातवीं कक्षा की परीक्षा में 95 प्रतिशत अंक लेकर उत्तीर्ण हुआ है। संदीप कदम ने उसे नम आंखों से विदाई दी और अपने हिमाचल छोड़ने का दर्द भी साझा किया। इस दौरान उनकी माता सुमन कदम भी उनके साथी थी। दोनों बच्चे से बिछड़ने पर वह भी अपने आंसू नहीं रोक पाए।

इसी दौरान संदीप कदम नेरचौक के पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा जिला में बतौर उपायुक्त कार्य करना उनको ताउम्र याद रहेगा। उन्होंने देश के विकास को गति देने और सामाजिक उत्थान के लिए जो भी कार्य जनसहभागिता के तहत शुरू किए। उनमें जनता का पूर्ण सहयोग रहा। उन्होंने मंडयाली धाम की सराहना करते हुए कहा अपने जीवन में वह देश विदेश घूमे लेकिन मंडयाली धाम का जो लुत्फ है उसका अपना ही एक अलग स्वाद है।

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