अरुण जेटली के निधन पर हिमाचल में दो दिन का राजकीय शोक घो‍षित

Mourning in Himachal पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली के निधन पर हिमाचल सरकार ने दो दिन का शोक घोषित किया है।

By Rajesh SharmaEdited By: Publish:Sun, 25 Aug 2019 01:47 PM (IST) Updated:Sun, 25 Aug 2019 04:30 PM (IST)
अरुण जेटली के निधन पर हिमाचल में दो दिन का राजकीय शोक घो‍षित
अरुण जेटली के निधन पर हिमाचल में दो दिन का राजकीय शोक घो‍षित

धर्मशाला, जेएनएन। पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली के निधन पर हिमाचल सरकार ने दो दिन का शोक घोषित किया है। 25 व 26 अगस्‍त को हिमाचल प्रदेश में राष्‍ट्रीय ध्‍वज आधा झुका रहेगा। इस दौरान प्रदेश में कोई भी सांस्‍कृतिक कार्यक्रम नहीं होंगे। अरुण जेटली का देहांत शनिवार दोपहर को हो गया था, लेकिन प्रदेश सरकार ने रविवार दोपहर के वक्‍त इसकी अधिसूचना जारी की है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली भाजपा के कद्दावर एवं तेजतर्रार नेता के रूप में जाने जाते थे। भाजपा की सरकारों में जब मंत्री रहे तो कई महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी उन्हें मिली जिसे उन्हें बखूबी निभाया था। भाजपा के बड़े-बड़े नेता भी उनकी प्रतिभा के लोहा मानते थे। विशेषकर हिमाचल प्रदेश के प्रति पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली के मन में बहुत स्नेह भरा था। हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्र ने पूर्व वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है। उनका आसमयिक निधन देश के लिये अपूर्णीय क्षति है। अपने शोक संदेश में राज्यपाल ने कहा जेटली एक सुलझे हुए, विषयों पर गहरी पकड़ रखने वाले, दूरदृष्टा, कर्मठ और कद्दावर नेता थे। वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली के निधन पर पूर्व मुख्यमंत्री प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल ने कहा पार्टी और देश ने एक विद्वान बुद्धिजीवी अधिवक्ता एवं ईमानदार नेता खोया है।

 

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली (66)  का शनिवार को निधन हो गया। वह काफी दिनों से दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में इलाज के लिए भर्ती थे। पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली 9 अगस्त से एम्स के आइसीयू में भर्ती थे, जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई थी। विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम उनके स्वास्थ्य की देखरेख कर रही थी। 66 वर्षीय जेटली को एम्स में पिछले कई दिनों ने जीवन रक्षक प्रणाली पर रखा गया था। उनके स्वास्थ्य के बारे में जानने के लिए हाल के दिनों में पीएम मोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद समेत कई बड़े नेताओं ने अस्पताल का दौरा किया था। 

अरुण जेटली का निजी जीवन

अरुण जेटली का जन्म, महाराज कृष्ण जेटली और रतन प्रभा जेटली के घर में हुआ था। उनके पिता भी पेशे से वकील थे। अरुण जेटली की शुरूआती पढ़ाई-लिखाई सेंट जेवियर्स स्कूल, नई दिल्ली से हुई थी। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से बीकॉम किया। 1977 में दिल्ली विश्वविद्यालय से ही उन्होंने वकालत की डिग्री हासिल की। अरुण जेटली बचपन से ही काफी मेधावी रहे, उन्हें अकादमिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। स्कूली पाठ्यक्रम के अलावा वह अतिरिक्त गतिविधियों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे। इसके लिए भी उन्हें कई पुरस्कार दिए गए थे। अरुण जेटली के राजनीतिक जीवन की शुरूआत दिल्ली विश्वविद्यालय से हुई थी। 1974 में वह डीयू के छात्र संगठन के अध्यक्ष रहे थे। 24 मई 1982 को अरुण जेटली का विवाह संगीता जेटली से हुआ था। उनका एक बेटा रोहन और बेटी सोनाली है।

राजनीतिक जीवन

अरुण जेटली ने करीब 1975 में सक्रिय राजनीति में पदार्पण कर दिया था। 1991 में वह भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बन चुके थे। मुद्दों और राजनीति की बेहतर समझने रखने वाले अरुण जेटली को 1999 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा का राष्ट्रीय प्रवक्ता बना दिया गया था। 1999 के चुनाव में अटल बिहारी वायपेयी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (ठऊअ) की सरकार सत्ता में आई। तब की वाजपेयी सरकार में जेटली को सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के साथ ही विनिवेश राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गई थी।

23 जुलाई 2000 को केंद्रीय कानून, न्याय और कंपनी मामलों के कैबिनेट मंत्री राम जेठमलानी ने इस्तीफा दे दिया। जेठमलानी के इस्तीफे के बाद उनके मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी अरुण जेटली को ही सौंप दिया गया था। महज चार माह में उन्हें वायपेयी सरकार की कैबिनेट में शामिल कर कानून, न्याय और कंपनी मामलों के साथ-साथ जहाजरानी मंत्रालय की भी जिम्मेदारी सौंप दी गई। वायपेयी सरकार में लगातार उनका प्रोफाइल बढ़ता और बदला रहा। उन्होंने हर जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। 2004 के चुनाव में वाजपेयी सरकार सत्ता से बाहर हुई तो जेटली पार्टी महासचिव बनकर संगठन की सेवा करने लगे। साथ ही उन्होंने अपना कानूनी करियर भी शुरू कर दिया था।

मई 2018 में हुआ था किडनी ट्रांसप्लांट का ऑपरेशन

बता दें कि अरुण जेटली लंबे समय से बीमार चल रहे हैं। बीमारी की वजह से वे 2019 में लोकसभा चुनाव के बाद मोदी कैबिनेट में शामिल नहीं हुए। अरुण जेटली का 14 मई 2018 में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में किडनी ट्रांसप्लांट का सफल ऑपरेशन किया जा चुका है। इसके लिए उन्होंने अप्रैल, 2018 की शुरुआत से ही मंत्रालय आना बंद कर दिया था। इस दौरान पीयूष गोयल वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभालते रहे।

सितंबर 2014 में बैरिएट्रिक ऑपरेशन

अरुण जेटली का सितंबर 2014 में बैरिएट्रिक ऑपरेशन हो चुका था। लंबे समय से मधुमेह केकारण वजन बढऩे की समस्या के निदान के लिए यह ऑपरेशन किया गया था। यह ऑपरेशन पहले मैक्स हॉस्पीटल में हुआ था। लेकिन, बाद में कुछ दिक्कतें आने के कारण उन्हें एम्स स्थानांतरित किया गया था। कुछ साल पहले उनकेहृदय का भी ऑपरेशन हुआ था।

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