वादे अनुसार सुविधाएं न दीं तो बिल्‍डरों पर लगेगा प्रोजेक्‍ट की कुल लागत का 10 फीसद तक जुर्माना, रेरा की सख्‍ती

Real estate Regulatory Authority बिल्डर अब लोगों को सुविधाओं का झांसा देकर ठग नहीं सकते हैं। रीयल एस्टेट रेग्यूलेटरी अथॉरिटी (रेरा) बिल्डरों की कार्यशैली में सुधार लाएगा।

By Rajesh SharmaEdited By: Publish:Mon, 10 Feb 2020 10:29 AM (IST) Updated:Mon, 10 Feb 2020 03:37 PM (IST)
वादे अनुसार सुविधाएं न दीं तो बिल्‍डरों पर लगेगा प्रोजेक्‍ट की कुल लागत का 10 फीसद तक जुर्माना, रेरा की सख्‍ती
वादे अनुसार सुविधाएं न दीं तो बिल्‍डरों पर लगेगा प्रोजेक्‍ट की कुल लागत का 10 फीसद तक जुर्माना, रेरा की सख्‍ती

शिमला, प्रकाश भारद्वाज। बिल्डर अब लोगों को सुविधाओं का झांसा देकर ठग नहीं सकते हैं। रीयल एस्टेट रेग्यूलेटरी अथॉरिटी (रेरा) बिल्डरों की कार्यशैली में सुधार लाएगा। रेरा के अध्यक्ष डॉ. श्रीकांत बाल्दी का कहना है कि बिल्डर लोगों से वही वादा करें जो सुविधाएं देने में सक्षम हों। बिल्डरों को तय मानकों के तहत काम करना पड़ेगा। करीब डेढ़ महीना पहले अस्तित्व में आया रेरा बिल्डरों से परेशान होने वाले लोगों के लिए वरदान साबित हो रहा है। रेरा को अब तक ऑनलाइन 17 और छह शिकायतें ऑफलाइन मिली हैं। इस पर तीन सदस्यीय टीम ने काम शुरू कर दिया है। सबसे पहले बिल्डरों का ऑनलाइन पंजीकरण किया जाएगा। दैनिक जागरण ने रेरा के अध्यक्ष डॉ. श्रीकांत बाल्दी से विस्तृत बातचीत की, प्रस्तुत हैं मुख्य अंश :

यदि बिल्डर रेरा के आदेश का पालन नहीं करेंगे तो क्या होगा?

जो बिल्डर आदेश का पालन नहीं करेंगे, उन पर प्रोजेक्ट की कुल लागत का 10 प्रतिशत तक जुर्माना किया जाएगा। यदि बिल्डर बार-बार उल्लंघन कर रहा है तो उसका लाइसेंस रद करने के साथ-साथ तीन साल की सजा भी हो सकती है। पंजीकृत बिल्डरों को कानून प्रावधानों के तहत राशि प्रोजेक्ट पूरा होने तक बैंक में जमा करनी होगी।

ऐसी धारणा है कि बिल्डर लोगों से लाखों रुपये लेकर प्लॉट व फ्लैट नहीं देते हैं?

इस तरह की बातें अकसर होती हैं कि बिल्डर लोगों के साथ विश्वासघात करते हैं। समय पर लोगों को फ्लैट का कब्जा नहीं देते हैं। लाखों रुपये देने वाले लोग बिल्डरों के पीछे चक्कर काटने को मजबूर होते हैं। हमारा काम है कि बिल्डरों की इस प्रकार की कार्यशैली में सुधार लाया जाए। बिल्डर वही वादा करें जो सुविधाएं देने में सक्षम हैं। हम सुनिश्चित करेंगे कि बिल्डर व ग्राहक के बीच में लेन-देन से संबंधित रिश्ते साफ हों।

रेरा के अस्तित्व में आने के बाद बिल्डरों में कोई बदलाव आया है?

हंसते हुए... रेरा का गठन होते ही बिल्डर पंजीकरण के लिए संपर्क करने लगे हैं। देखिए, रेरा का काम है कि किसी भी पक्ष के साथ धोखा न हो। देखा गया है कि बिल्डर कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं। बिल्डरों को तय मानकों के तहत काम करना पड़ेगा। लोगों से किसी प्रकार की धोखाधड़ी करने पर रेरा अंकुश लगाएगा। लोगों को उनकी राशि के मुताबिक दुकान, फ्लैट मिल जाएं। हमें अभी तक ऑनलाइन और ऑफलाइन 23 शिकायतें प्राप्त हो चुकी हैं।

कई बिल्डर झांसा देते हैं कि फ्लैट में मार्बल लगा होगा, टीक की लकड़ी लगी होगी और फ्लोङ्क्षरग बढिय़ा होगी मगर कई बार ऐसा नहीं होता है। ऐसे में क्या कार्रवाई हो सकती है?

बिल्डरों द्वारा किए गए झूठे वादों से जुड़ी शिकायतें आ रही हैं। बद्दी, परवाणू, नालागढ़ सहित प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रों में बिल्डरों के लुभावने वादों को देखते हुए लोगों ने मोटी रकम का भुगतान किया होता है। उसके बाद समय गुजरने के साथ-साथ इस प्रकार की सुविधाएं नहीं मिलती हैं। अब रेरा के तहत कुछ भी वादा करने का काम खत्म होगा। व्यवहारिक तौर पर जो संभव है, वही दोनों पक्षों के मध्य डील की आदत डाली जाएगी।

कितने बिल्डरों ने पंजीकरण करवाया है?

रेरा बनने के बाद से 70 बिल्डरों ने पंजीकरण के लिए आवेदन किया है। 45 बिल्डरों ने पंजीकरण करवा लिया है। 25 बिल्डरों को रेरा मुख्यालय में बुलाया गया है, ताकि पंजीकरण से संबंधित औपचारिकताओं में पाई गई कमियों को दूर किया जा सके। हम चाहते हैं कि किसी भी बिल्डर को हमारे कार्यालय में आने की जरूरत न पड़े। बिल्डर पंजीकरण के लिए ऑनलाइन आवेदन करे और उसके आवेदन में सभी दस्तावेज सही पाए जाने पर ऑनलाइन स्वीकृति मिल जाएगी।

रेरा में लोगों की शिकायतों का निवारण कितने समय में संभव है?

हम दोनों पक्षों को सुनने के बाद तुरंत समस्या का समाधान कर रहे हैं। हां, पहले इस तरह के मामलों को सिरे चढऩे में 10-15 साल लग जाते थे। दोनों पक्षों में सहमति बनती है तो ठीक है वरना सुनवाई होगी। रेरा की ओर से आदेश पारित किया जाएगा जो बिल्डर या फिर दूसरे पक्ष को मानना होगा अन्यथा अपील कर सकते हैं। रेरा लोगों की समस्याओं को कम करने की भूमिका निभाएगा।

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