कोरोना संकट में गड़बड़ाया ज्‍वालामुखी मंदिर का बजट, श्रद्धालुओं की संख्‍या में कमी; खर्च दो गुना बढ़ा

Jwalamukhi Temple सात महीने बाद मंदिरों के कपाट खुलने से धार्मिक पर्यटन पटरी पर लौटना शुरू हो गया है। लेकिन कोरोना के भयंकर प्रकोप ने न केवल आम जनमानस का जीवन प्रभावित किया है बल्कि मंदिरों के खजाने पर भी इसका प्रतिकूल असर सामने दिख रहा है।

By Rajesh SharmaEdited By: Publish:Tue, 03 Nov 2020 01:55 PM (IST) Updated:Wed, 04 Nov 2020 09:07 AM (IST)
कोरोना संकट में गड़बड़ाया ज्‍वालामुखी मंदिर का बजट, श्रद्धालुओं की संख्‍या में कमी; खर्च दो गुना बढ़ा
शक्तिपीठ ज्वालामुखी में तो कोरोना के कारण मंदिर का खर्चा आमदन से दो गुणा से ज्‍यादा बढ़ गया है।

ज्वालामुखी, प्रवीण शर्मा। यह अलग बात है कि सात महीने बाद मंदिरों के कपाट खुलने से धार्मिक पर्यटन पटरी पर लौटना शुरू हो गया है। लेकिन कोरोना के भयंकर प्रकोप ने न केवल आम जनमानस का जीवन प्रभावित किया है, बल्कि मंदिरों के खजाने पर भी इसका प्रतिकूल असर सामने दिख रहा है। विश्व विख्यात शक्तिपीठ ज्वालामुखी में तो कोरोना के कारण मंदिर का खर्चा आमदन से दो गुणा से ज्‍यादा बढ़ गया है, जबकि श्रद्धालुओं की संख्या में तीन गुणा तक गिरावट हुई है।

हालात यह रहे हैं कि आमूमन भारी भरकम खर्च वाले ज्‍वालामुखी शक्तिपीठ में इससे पहले भी आय और व्यय में मामूली सा अंतर ही रहता है। लेकिन 17 मार्च से लेकर नौ सिंतबर तक मंदिर के कपाट बंद रहने से सात महीनों में ही खर्च, आय से दो गुणा बढ़ गया। इससे मंदिर के खजाने पर विपरीत असर पड़ा है। वहीं, वर्षों से माता की पूजा करके परिवार का पालन करने वाले 160 पुजारी परिवारों की भी आर्थिक हालत नजाकत भरी हुई है। याद रहे कि इन पुजारी परिवारों को मंदिर के कुल चढ़ावे में से 30:30:40 के अनुपात से हिस्सा दिया जाता है। यानी एक रुपये में से 30 पैसे सरकारी खजाने, 30 पुजारी परिवारों तो 40 पैसे खर्चों पर व्यय किए जाते हैं।

मंदिर की आय और व्यय में एकरूपता का सबसे बड़ा कारण यह भी है कि न्यास आय में से ही मंदिर के विकास कार्यों पर खर्च करता है, जबकि 50 लाख तक कि बड़ी रकम हर महीने कर्मचारियों की पगार व मंदिर के अन्य खर्चों पर लग जाती है। इतिहास में पहली बार इतने लंबे समय तक धार्मिक स्थानों पर हुई तालाबंदी के कारण खजाने में से ही करोड़ों रुपये खर्च हए हैं। ऐसा पहली बार हुआ है ज्‍वालामुखी आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में जहां साल के अंत तक तीन गुणा गिरावट का अनुमान है। वहीं चढ़ावा न चढ़ पाने के कारण खर्चा आय से दो गुणा से अधिक बढ़ा है। 

ज्वालामुखी मंदिर में आय और व्यय का चार साल का ब्यौरा

वर्ष 2017

आय, 12,16,85,385 रुपये व्यय 13,99,26224 रुपये श्रद्धालुओं की संख्या 20 लाख 

वर्ष 2018

आय 12,39,47,479 रुपये व्यय 10,30,43,341 रुपये श्रद्धालुओं की संख्या 20 लाख 25 हजार 

वर्ष 2019 आय 12,95,75,566 रुपये व्यय 10,39,74,514 रुपये श्रद्धालुओं की संख्या 20 लाख 25 हजार 

वर्ष 2020 आय 3,91,31,391 रुपये व्यय 7,67,44,385 रुपये  श्रद्धालुओं की संख्या 5 लाख

गड़बड़ा गया बजट

मंदिर अधिकारी ज्वालामुखी जगदीश शर्मा का कहना है इसमें कोई संदेह नहीं है कि कोरोना के कारण मंदिर की आय बड़े स्तर पर गिरी है, जबकि व्यय बढ़ा है। 17 मार्च से लेकर नौ सिंतबर तक कोई भी श्रद्धालु मंदिर नहीं आ पाया। लोगों ने ऑनलाइन चढ़ावा इस दौरान चढ़ाया। जबकि जो बाकी की आमदन हुई है जनवरी से 16 मार्च व 10 सिंतबर से 30 सिंतबर तक की है। आय से दो गुना खर्चा हुआ है। 35 लाख के करीब तो कर्मचारियों की पगार ही बनती है, जो खजाने से देनी पड़ी। मुख्यमंत्री राहत कोष में एक करोड़ देने के अलावा अन्य विकास कार्यों पर भी इस वर्ष करोड़ों की धनराशि खर्च हुई है। आशा है चढ़ावे में हुई गिरावट आगामी समय में पूरी होगी।

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