नारी शक्ति को नई राह दिखा रहीं कुल्‍लू की ऊषा, गांव से निकलकर चुनी आत्‍मनिर्भरता की राह, औरों काे भी दिया रोजगार

Kullu Usha Thakur पहाड़ की नारी आज कहीं भी पीछे नहीं है। खेतीबाड़ी से लेकर शहर में नौकरी व अपना कारोबार करने में भी आगे है। जिला मंडी के बालीचौकी की ऊषा ठाकुर नारी शक्ति को नई राह दिखा रही हैं।

By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Publish:Thu, 19 May 2022 06:18 AM (IST) Updated:Thu, 19 May 2022 02:13 PM (IST)
नारी शक्ति को नई राह दिखा रहीं कुल्‍लू की ऊषा, गांव से निकलकर चुनी आत्‍मनिर्भरता की राह, औरों काे भी दिया रोजगार
मंडी के बालीचौकी की ऊषा ठाकुर कुल्‍लू में ढाबा चलाती हैं।

कुल्लू, कमलेश वर्मा। Kullu Usha Thakur, आज महिलाएं भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य कर अपनी व अपने परिवार की जिम्मेदारियों को संभाले हुए हैं। महिलाओं का हर क्षेत्र में आगे आना महिला सशक्तीकरण की बेहतरीन मिसाल है। नारी शक्ति को नई राह दिखा रही जिला मंडी (बालीचौकी) के खनेटी गांव से संबंध रखने वाली ऐसी ही एक महिला ऊषा ठाकुर हैं, जो कुल्लू में ढाबा चलाकर परिवार का पालन पोषण कर रही हैं। 22 साल पहले ठेले से कारोबार शुरू करने वाली ऊषा ठाकुर आज खुद तो आत्मनिर्भर बनी हैं, साथ ही चार लोगों को भी रोजगार दे रही हैं। बकौल ऊषा 1997 में दिले राम ठाकुर के साथ उनकी शादी हुई, खेतीबाड़ी के अलावा पति के पास आय का अन्य कोई साधन नहीं था, तीन साल तक वह अपने पति के साथ गांव में ही रही। फिर आजीविका के लिए पति के साथ कुल्लू का रुख किया।

वर्ष 2000 में ऊषा ने क्षेत्रीय अस्पताल कुल्लू के साथ ही एक छोटी सी रेहड़ी लगाकर परांठे बेचने का कारोबार शुरू किया। उसके बाद जिला प्रशासन की ओर से रेहड़ी वालों के लिए कलाकेंद्र के पास बनाए फूड कोर्ट में दुकान दी, ऊषा को भी एक दुकान मिली और शाक्टी नाग ढाबे में ऊषा ने परांठों के साथ दाल चावल भी बनाना शुरू कर दिया। ऊषा के पति दिले राम भी उनका ढाबे में सहयोग करते हैं। साथ ही तीन अन्य लोगों को भी यहां पर रोजगार मिला है।

अपने इस कारोबार के साथ ही ऊषा समाजसेवा के क्षेत्र में भी जुड़ी हैं और समय-समय पर जरूरतमंद व गरीब लोगों की मदद करती हैं। जब ऊषा रेहड़ी लगाती थी तो अस्पताल में कई लोग ऐसे भी आते थे जिनके पास खाने के लिए पैसे नहीं होते थे तो ऊषा उनको अस्पताल में जाकर परांठे देती थी।

ऊषा के हाथों से बने परांठे का हर कोई दीवाना

कुल्लू में हालांकि कई जगह ढाबों पर आलू के परांठे बनते हैं लेकिन शाक्टी नाग ढाबे में बनने वाले परांठे की बात ही कुछ और है। तवे के साइज के बने परांठे का स्वाद जो एक बार चख लेता है वह दूसरी बार यहां आना नहीं भूलता। ऊषा के हाथों से बने आलू व अंडे के परांठे का हर कोई दीवाना है और यही कारण है कि रोज यहां पर ग्राहकों की लंबी लाइन लगी रहती है। ऊषा रोजाना ढाई से तीन हजार रुपये तक आसानी से कमा लेती हैं।

रोजाना बनाती है 200 के करीब परांठे

महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बनी ऊषा कहती हैं कि औरत कमजोर नहीं है, बस मन में कुछ करने का हौसला होना चाहिए और परिवार का सहयोग भी जरूरी है। रोजाना करीब 200 के करीब परांठे बनाकर परोसती हैं, अपने ग्राहकों की संतुष्टि ही मुख्य ध्येय है।

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