दरियादिली को सलाम: मनरेगा में मजदूरी कर कमाए पांच हजार रुपये कर दिए कोरोना रिलीफ फंड में दान

मनरेगा में मजदूरी करने वाली महिला एसडीएम के पास पांच हजार रुपये का योगदान कोरोना राहत कोष में देने पहुंची।

By Rajesh SharmaEdited By: Publish:Mon, 27 Apr 2020 09:01 AM (IST) Updated:Mon, 27 Apr 2020 09:08 AM (IST)
दरियादिली को सलाम: मनरेगा में मजदूरी कर कमाए पांच हजार रुपये कर दिए कोरोना रिलीफ फंड में दान
दरियादिली को सलाम: मनरेगा में मजदूरी कर कमाए पांच हजार रुपये कर दिए कोरोना रिलीफ फंड में दान

धर्मशाला, मनोज कुमार शर्मा। घर का चूल्हा बेशक तपती धूप में निकलने वाले पसीने से चले लेकिन महामारी के इस दौर में कोई घर ऐसा न हो जहां मदद न पहुंचे...कोई बीमार ऐसा न हो जिसे अस्पताल में सुविधा न मिले। ऐसा ही जज्बा पाले मनरेगा में मजदूरी करने वाली महिला एसडीएम के पास पांच हजार रुपये का योगदान कोरोना राहत कोष में देने पहुंची। महिला ने साबित कर दिया कि जेब की गरीबी तो हर किसी को होती है लेकिन दिल की अमीरी हर किसी के पास नहीं होती।

पालमपुर के भरमात गांव की विद्या देवी जब एसडीएम ऑफिस में मदद की राशि देने पहुंची तो एसडीएम धर्मेश रमोत्रा भी हैरान रह गए कि एक मजदूर महिला के लिए सेवा भाव कितना अहम है। 58 साल की उम्र में मनरेगा में दिहाड़ी लगाकर कमाए पांच हजार रुपये का योगदान महिला ने कोरोना महामारी से निपटने में दिया।रविवार सुबह कई लोग एसडीएम पालमपुर से मिलने के लिए पहुंचे थे। अधिकतर लोग अपनी समस्या के संबंध में ही एसडीएम से मुलाकात करना चाह रहे थे।

एसडीएम ने यहां आए लोगों से बारी-बारी अंदर आने के लिए कहा। जब विद्या देवी एसडीएम के पास पहुंचीं तो उन्होंने कहा कि बताएं आपकी क्या समस्या है। हाथ में पसीने से चिपके नोट थामे विद्या देवी कहने लगीं कि मुझे कुछ मदद देनी है। एसडीएम ने कहा कि नकद तो नहीं लेते हैं इसलिए आप चेक के माध्यम से दान दे सकती हैं। विद्या देवी कहने लगीं, 'जनाब, मैं गरीब महिला कहां चेक बनवाने के लिए घूमती रहूंगी।Ó

एसडीएम ने पूछा आप करती क्या हैं? इस पर महिला ने बताया कि वह मनरेगा में दिहाड़ी लगाती हैं और उसके पास सिर्फ पांच हजार रुपये ही हैं, जो मदद के तौर पर कोरोना राहत कोष में देना चाहती हूं। महिला की भावना देखकर एसडीएम भी भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि आपकी भावना का सम्मान करता हूं लेकिन आप इसमें से कुछ पैसे रख लो ताकि जरूरत के समय आपके काम आएं। विद्या का कहना था कि जरूरतें तो कभी पूरी नहीं होती हैं। इसलिए उसकी तरफ से छोटी सी भेंट स्वीकर कर लो। महिला के इतना कहने पर उन्होंने पांच हजार रुपये स्वीकार कर लिए।

पालमपुर के बनूरी क्षेत्र की भरमात पंचायत की निवासी विद्या देवी के पति सूरज सिंह ने भी उसे ऐसा करने से नहीं रोका। घर की माली हालत कैसी भी रही हो लेकिन दूसरों की सेवा का जज्बा इस महिला का हौसला हर किसी के लिए नजीर है। दो बेटों की मां ऐसी स्थिति में मदद कर रही है जब दोनों बेटे बाहर फंसे हैं। एक बेटा किसी की गाड़ी चलाता है जबकि दूसरा निजी कंपनी में मजदूरी इत्यादि करता है। दोनों बेटे इस समय घर पर नहीं हैं।

शर्म के मारे नहीं जा पा रही थी

बकौल विद्या देवी, देश में फैले कोरोना संकट से निपटने के लिए हर कोई योगदान दे रहा है। टीवी पर खबरें सुनते हुए कई बार मन में ख्याल आया कि कुछ मदद की जाए लेकिन इतनी कम राशि देने के लिए वह शर्म के मारे नहीं जा रही थीं। लेकिन पिछले दिनों टीवी पर ही कहा कि कोई सौ रुपये भी मदद कर सकता है तो हौसला बढ़ा। रविवार को तुच्छ भेंट करने के लिए यहां आईं। विद्या कहती हैं कि जब डॉक्टर से लेकर पुलिस वाले जान जोखिम में डालकर सेवा कर रहे हैं तो हम भी कुछ करना चाहिए। वह कहती हैं कि घर की जरूरतें तो कभी पूरा नहीं होती हैं। मेरा भी परिवार है, लेकिन अगर जिंदा रहेंगे तो जरूरतें भी पूरी हो जाएंगी। इसलिए ही यह मदद करने का विचार मन में आया।

तीन किलोमीटर पैदल चलकर पहुंची

करीब तीन किलोमीटर दूर से महिला यह राशि देन के लिए पैदल ही यहां पहुंची थी। इस बात का पता जब एसडीएम को चला तो उन्होंने अपनी गाड़ी से उसे घर भिजवाया।विद्या देवी के हौसले की जितनी भी तारीफ की जाए कम है। इनके जज्बे को शब्दों में नहीं बांध सकते। -धर्मेश रमोत्रा, एसडीएम पालमपुर।

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