कैग रिपोर्ट: हिमाचल सरकार का 73 फीसद बजट वेतन और पेंशन पर हो रहा खर्च, जानिए विस्‍तृत आंकड़ा

Himachal Govt Budget हिमाचल सरकार के बजट का अधिकांश हिस्सा यानी 73 फीसद सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों के वेतन और पेंशन भुगतान में चला जाता है।

By Rajesh SharmaEdited By: Publish:Tue, 15 Sep 2020 09:30 AM (IST) Updated:Tue, 15 Sep 2020 09:30 AM (IST)
कैग रिपोर्ट: हिमाचल सरकार का 73 फीसद बजट वेतन और पेंशन पर हो रहा खर्च, जानिए विस्‍तृत आंकड़ा
कैग रिपोर्ट: हिमाचल सरकार का 73 फीसद बजट वेतन और पेंशन पर हो रहा खर्च, जानिए विस्‍तृत आंकड़ा

शिमला, जेएनएन। हिमाचल सरकार के बजट का अधिकांश हिस्सा यानी 73 फीसद सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों के वेतन और पेंशन भुगतान में चला जाता है। इसके अतिरिक्त कर्ज का ब्याज भुगतान करने और अन्य तरह के खर्च भी होते हैं। यह जानकारी प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में मंगलवार को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर द्वारा पेश की गई नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट से मिली। इसके अनुसार प्रदेश सरकार का बजट साल दर साल बढ़ता जा रहा है। 2018-19 का बजट 34,493 करोड़ था, जोकि इससे पिछले वर्ष की तुलना में 3,181 करोड़ यानी दस फीसद अधिक है। राजस्व व्यय कुल खर्च का 85.3 फीसद रहा।

पूंजीगत व्यय बढ़ा

सुखद बात यह कि एक वर्ष में राज्य में पूंजीगत व्यय बढ़ा हैं। इसका मतलब है कि सड़क निर्माण और सरकारी विभागों में भवन निर्माण में खर्च हुआ। 4,583 करोड़ रुपये पूंजी निवेश में खर्च हुए जोकि तुलनात्मक दृष्टि से 22 फीसद अधिक है। राजस्व प्र्राप्तियों में भी उत्साहवर्धक वृद्धि हो रही है। तुलनात्मक दृष्टि से 13 फीसद के साथ 2018-19 के दौरान कुल राजस्व प्राप्तियां 30950 करोड़ रही। रिपोर्ट में टिप्पणी की गई है कि राज्य सरकार ने 14वें वित्तायोग की सिफारिशों के अनुसार राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम को अभी तक संशोधित नहीं किया है।

राजकोषीय घाटा कम हुआ

राजकोषीय घाटे के मामले में सरकार के लिए राहत देने वाली बात है। राजकोषीय घाटा पिछले दो वर्षों की तुलना में 358 करोड़ गया है। मौजूदा सरकार के पहले वर्ष में राजकोषीय घाटा 3512 करोड़ की तुलना में 2017 में 3870 करोड़ था। यदि प्राथमिकता घाटे की बात की जाए तो 2017-18 में 82 करोड़ था और एक वर्ष में बढ़कर 510 करोड़ में तबदील हो गई है।

11 स्वायत्त निकायों ने लेखे नहीं दिए

प्रदेश सरकार के 14 स्वायत्त निकायों में से केवल तीन निकायों ने 2018-19 के दौरान लेखे दिए। सरकार के शेष 11 स्वायत्त संस्थाओं ने एक साल बीत जाने के बावजूद सितंबर 2019 तक लेखे पेश नहीं किए। प्रदेश के स्वायत्त संस्थान अधिक अधिकारों की बात करते हैं। लेकिन खर्च संबंधी जानकारी देने को गंभीरता नहीं देते।

पांच साल पुराने थे चोरी के मामले

सरकारी धन को नुकसान पहुंचाने, चोरी करने से जुड़े चार मामले पिछले पांच साल से अधिक पुराने थे। प्रदेश सरकार ने मार्च 2019 में 93.79 लाख रुपये की सरकारी राशि से जुड़े 44 मामले सूचित किए हैं। इन मामलों में अंतिम कार्रवाई लंबित पड़ी थी। सरकार ने इस दिशा में कदम उठाया है और कार्रवाई अमल में लाई है।

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