डॉ. विपन ने बीजिंग में पढ़ा शोध

संवाद सहयोगी, नूरपुर : उपमंडल नूरपुर के तहत जाच्छ स्थित क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान केंद्र के वरिष्ठ

By Edited By: Publish:Sun, 23 Oct 2016 09:56 PM (IST) Updated:Sun, 23 Oct 2016 09:56 PM (IST)
डॉ. विपन ने बीजिंग में पढ़ा शोध

संवाद सहयोगी, नूरपुर : उपमंडल नूरपुर के तहत जाच्छ स्थित क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. विपन गुलेरिया ने रविवार को बीजिंग में शोध पत्र प्रस्तुत किया। यह शोध पत्र उन्होंने पश्चिम हिमालयन क्षेत्र में चीड़ के वनों में लगने वाली आग के दुष्प्रभावों को लेकर तैयार किया है। यह शोध भारत सरकार द्वारा प्रायोजित एक प्रोजेक्ट के तहत तैयार किया गया है और उनकी बीजिंग यात्रा का सारा खर्च भी केंद्र सरकार का विज्ञान एवं तकनीक विभाग उठा रहा है। बीजिंग में 23 से 27 अक्टूबर तक एशिया की वानिकी संगठन काग्रेस आयोजित की जा रही है।

डॉ. विपन गुलेरिया 16 साल से निचले पहाड़ी इलाकों में वानिकी अध्ययन पर कार्य कर रहे हैं। इससे पहले उनके 20 शोध पत्र राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय जरनल में प्रकाशित हो चुके हैं। डॉ. विपन गुलेरिया पिछले कुछ सालों से प्रदेश वन विभाग को भी फोरेस्ट कंसल्टेंट के रूप में सेवाएं दे रहे हैं।

क्या है डॉ. विपन गुलेरिया का शोध

डॉ. विपन गुलेरिया ने बीजिंग जाने से पूर्व एक विशेष भेंट में बताया कि चीड़ के वनों में लगने वाली आग के दुष्प्रभावों के शोध एवं अध्ययन पर पाया कि पश्चिम हिमालयन रीजन में एक हेक्टेयर चीड़ वन की आग 9.8 मेगा ग्राम कार्बन उत्पन्न करती है। जबकि इतने ही क्षेत्र में अग्निकाड से 22 मेगा ग्राम कार्बनडाइऑक्साइड पैदा होती है। इन जंगलों की आग से घास एवं अन्य जड़ी-बूटिया तो समाप्त होती हैं लेकिन इससे लैंटाना जैसी हानिकारक बूटी तैयार होती है।

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