चैत्र वासंतिक नवरात्र: इस बार आठ दिन के होंगे नवरात्र
इसमें नवमी तिथि का क्षय है। ऐसे में अष्टमी व नवमी दोनों दिन का व्रत और दर्शन-पूजन 25 मार्च को ही किया जाएगा।
शक्ति की अधिष्ठात्री देवी जगदंबा की पूजा-आराधना का विशेष अनुष्ठान पर्व वासंतिक नवरात्र का आरंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा यानी रविवार 18 मार्च से हो रहा है। इस बार यह नौ की बजाय आठ दिन का ही होगा। समापन रामनवमी पर 25 मार्च को होगा। दरअसल चैत्र शुक्ल पक्ष इस बार चौदह दिन का है। इसमें नवमी तिथि का क्षय है। ऐसे में अष्टमी व नवमी दोनों दिन का व्रत और दर्शन-पूजन 25 मार्च को ही किया जाएगा।
वाराणसी के ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार, इस बार मां जगदंबा का आगमन हाथी पर और गमन भैंसे पर हो रहा है। आगमन फलानुसार समृद्धि और वर्षा सामान्य से अधिक तो गमन फल रोग, शोक-विपत्ति कारक है।
इस बार आठ दिनों का होगा नवरात्र
-हाथी पर आएंगी मां जगदंबा, भैंसे पर होगा प्रस्थान
-चैत्र शुक्ल पक्ष 14 दिनों का होने से अष्टमी और नवमी एक ही दिन
कलश स्थापना का मुहूर्त
कलश स्थापन रविवार 18 मार्च को सुबह 6.02 बजे के बाद सूर्योदय काल में शुभ होगा। इसके लिए दूसरा शुभ मुहूर्त सुबह 8.58 से 10.54 बजे के बीच है।
महानिशा पूजन का मुहूर्त
24 मार्च को सुबह 9.26 बजे से भवानी अन्नपूर्णा परिक्रमा आरंभ होगी और मध्य रात्रि (निशीथ व्यापिनी) में अष्टमी योग से महानिशा तथा बलिदान आदि कार्य होंगे। शास्त्रों के अनुसार, महानिशा पूजा सप्तमी युक्त अष्टमी में होगी।
पूजन विधान
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि को प्रात: नित्य क्रिया से निवृत्त हो तैलभ्यंग स्नान, ब्रह्मा जी का पूजन, पंचांग में राजा-मंत्री का फल श्रवण कर निवास स्थान ध्वजा-पताका, तोरण व वंदनवार आदि से सुशोभित करना चाहिए। नवरात्र व्रत का संकल्प कर गणपति तथा मातृका पूजन करना चाहिए। लकड़ी के पटरे पर गेरू पानी में घोलकर नौ देवियों की आकृतियां बनानी चाहिए। फिर नौ देवियों का अथवा सिंह वाहिनी मां दुर्गा की प्रतिमा पटरे पर सजानी चाहिए।
पीली मिट्टी की डली पर कलावा लपेट कर गणेश जी के रूप में कलश के ऊपर रखना चाहिए। घर के पास गेहूं या जौ का पात्र रखकर वरुण पूजन कर मां परांबा का आवाहन करें। नवग्रह पूजन व षोडश मातृका स्थापन के लिए माता का विधिवत षोडशों या पंचोपचार पूजन करना चाहिए।
नवरात्र हवन
नवरात्र का हवन अनुष्ठान 25 मार्च को नवमी में किया जाएगा। 25 मार्च को अनुदया मध्याह्न में नवमी के व्याप्त होने से रामनवमी मनाई जाएगी
पारण
अष्टमी व्रत का पारण नवमी तिथि में अर्थात 26 की सुबह 4.39 से पहले करना होगा, जबकि नवमी का पारण सूर्योदय बाद करना चाहिए।