स्ट्रीट लाइटों पर सलाना 133 लाख खर्च, गलियों में फिर भी अंधेरा

नगर निगम लाइटों पर सलाना 133 लाख रुपये खर्च कर रहा है। पांच वर्ष में 660.88 लाख रुपये खर्च किए जा चुके हैं। आरटीआइ के तहत मांगी गई जानकारी में यह सामने आया है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 04 Nov 2018 05:42 PM (IST) Updated:Sun, 04 Nov 2018 05:42 PM (IST)
स्ट्रीट लाइटों पर सलाना 133 लाख खर्च, गलियों में फिर भी अंधेरा
स्ट्रीट लाइटों पर सलाना 133 लाख खर्च, गलियों में फिर भी अंधेरा

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : नगर निगम लाइटों पर सलाना 133 लाख रुपये खर्च कर रहा है। पांच वर्ष में 660.88 लाख रुपये खर्च किए जा चुके हैं। आरटीआइ के तहत मांगी गई जानकारी में यह सामने आया है। इतना अधिक बजट खर्च किए जाने के बावजूद इसके गलियों में अंधेरा पसरा रहता है। लगने के दो माह बाद ही लाइट खराब हो जाती हैं। निवर्तमान पार्षद खरीद में धांधली के आरोप मढ़ रहे हैं। उनका कहना है कि घटिया क्वालिटी की लाइटों का प्रयोग किया जाता है। इसलिए ये जल्दी खराब हो जाती हैं।

48 घंटे में लाइट ठीक करने का प्रावधान

ट्विन सिटी में स्ट्रीट लाइटों के कुल 21 हजार स्ट्रीट प्वाइंट हैं। अधिकांश लाइटें खराब रहती हैं। नगर निगम से आरटीआइ के तहत मांगी गई जानकारी के मुताबिक खराब हुई लाइट को 48 घंटे में ठीक कराए जाने का प्रावधान है, जबकि दो-दो माह तक लाइटें ठीक नहीं कराई जाती। नगर निगम के पास हर दिन 70 शिकायतें स्ट्रीट लाइटों के खराब होने से संबंधित आ रही हैं। तीन कंपनियों को लाइ¨टग का टेंडर दिया हुआ है। निर्धारित समय में लाइटें ठीक न होने के कारण गलियों में अंधेरा पसरा रहता है।

यह भी है प्रावधान

स्ट्रीट लाइटों से संबंधित नियम जरूर बनाए जा रहे हैं, लेकिन उनकी पालना नहीं हो पा रही है। यदि समय पर लाइट ठीक न की जाए तो 50 रुपये प्रतिदिन तथा 5 दिन के बाद 100 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से ठेकेदार पर जुर्माना लगाया जाने का नियम है। हद इस बात की है कि किसी ठेकेदार पर नगर निगम ने जुर्माना नहीं लगाया है। हकीकत यह है कि कई-कई माह तक लाइटों को ठीक नहीं करवाया जाता। शहरवासियों का कहना है कि ठेकेदारों पर कार्रवाई न होने से हौसले बुलंद हैं।

सीएम ¨वडो पर दे चुके शिकायत

भाजपा से निवर्तमान पार्षद प्रमोद सेठी का कहना है कि क्षेत्र में अधिकांश स्ट्रीट लाइटें खराब हैं। गत दिनों इसकी शिकायत सीएम ¨वडो पर भी की थी। उनका कहना है कि स्ट्रीट लाइटों की खरीद में धांधली होती है। अच्छी क्वालिटी की लाइटें नहीं खरीदी जाती। स्ट्रीट लाइट लगाए जाने के कुछ दिन बाद ही खराब हो जाती हैं। इनको कई-कई माह तक ठीक नहीं किया जाता। इस मामले की तो गहनता से जांच की जानी चाहिए।

लाइटें नहीं की जाती ठीक

वार्ड नंबर-17 से निवर्तमान पार्षद सुशल जावला के पति अमन जावला का कहना है कि शिकायत किए जाने के कई-कई माह तक लाइटें ठीक नहीं की जाती। उनके वार्ड में इन दिनों अधिकांश लाइटें खराब हैं। गत दिनों कुछ लाइटों को ठीक किया गया था, लेकिन दो दिन बाद फिर खराब हो गई। अच्छी क्वालिटी की लाइटें नहीं खरीदी जाती। इसलिए ये जल्दी खराब हो जाती है। दिपावली के पर्व को देखते हुए क्षेत्र में स्ट्रीट लाइटों को दुरुस्त किया जाए।

यहां 35 लाइटें खराब

बूड़िया चौक से गुरुद्वारे तक लगी 35 लाइटें इन दिनों खराब पड़ी हैं। ये लाइटें करीब दो वर्ष पहले लगाई गई थी। कुछ दिन तो ठीक चली, लेकिन उसके बाद खराब होनी शुरू हो गई है। यदि लाइटों को ठीक भी किया जाता है तो कुछ दिन बाद ही खराब हो जाती है। निवर्तमान पार्षद देवेंद्र ¨सह का कहना है कि स्ट्रीट लाइटों का मुद्दा कई बार हाउस की बैठक में उठाया जा चुका है, लेकिन नगर निगम अधिकारी इसे गंभीरता से नहीं लेते। दीपावली के अवसर पर सभी लाइटें ठीक होनी चाहिए।

कई बार कर चुके शिकायत

वार्ड नंबर-14 के गढ़ी रोड पर लाइटें अकसर खराब रहती हैं। इसके अलावा कैंप क्षेत्र में भी स्ट्रीट लाइटें खराब पड़ी हैं। निवर्तमान पार्षद निर्मल चौहान का कहना है कि ठेकेदार को लाइटें ठीक करने के लिए बार-बार शिकायतें कर चुके हैं। एक बार ठीक कर दी जाती हैं, लेकिन चार दिन बाद फिर खराब हो जाती हैं। बाइपास चौक से लेकर जोड़ियो नाके तक लगी लाइटों में से आधी से ज्यादा लाइटें बंद रहती हैं। नगर निगम लाइटों पर हर वर्ष लाखों रुपये खर्च कर रहा है, लेकिन परिणाम शून्य सामने आ रहे हैं। इसका कारण यही है कि अच्छी क्वालिटी की लाइटें नहीं लगाई जाती।

वर्जन

लाइटों की खरीद में पूरी तरह पारदर्शिता बरती जाती है। ठेकेदारों को हिदायत दी हुई है कि लाइटें खराब होने की शिकायत पर तुरंत कार्रवाई हो। इन दिनों जहां भी लाइटें खराब हैं, उनको जल्द ठीक करवा दिया जाएगा।

-दीपक सुरा, कार्यकारी अधिकारी।

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