88 करोड़ के लिए किसानों ने नेशनल हाईवे पर बिछाया तिरपाल, लगाया जाम

गन्ने का बकाया भुगतान न होने से गुस्साए किसानों ने नेशनल हाईवे पर जमा लगा दिया और पल्लड़ बिछाकर धरने पर बैठ गए। हालांकि तहसीलदार दर्शन ¨सह किसानों को मनाने के लिए मौके पर पहुंचे लेकिन वह नहीं मानें। इस बात अड़े रहे कि उपायुक्त स्वयं आकर उनको ठोस आश्वासन दें, उसके बाद ही वे हाईवे से उठेंगे। आधे घंटे बाद उपायुक्त धरनास्थल पर किसानों के बीच पहुंचे और 7 से 10 दिन में भुगतान करवाए जाने का आश्वासन दिया।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 15 Sep 2018 12:30 AM (IST) Updated:Sat, 15 Sep 2018 12:36 AM (IST)
88 करोड़ के लिए किसानों ने नेशनल हाईवे पर बिछाया तिरपाल, लगाया जाम
88 करोड़ के लिए किसानों ने नेशनल हाईवे पर बिछाया तिरपाल, लगाया जाम

जागरण संवाददाता, यमुनानगर : गन्ने का बकाया भुगतान न होने से गुस्साए किसानों ने नेशनल हाईवे पर जमा लगा दिया और पल्लड़ बिछाकर धरने पर बैठ गए। हालांकि तहसीलदार दर्शन ¨सह किसानों को मनाने के लिए मौके पर पहुंचे लेकिन वह नहीं मानें। इस बात अड़े रहे कि उपायुक्त स्वयं आकर उनको ठोस आश्वासन दें, उसके बाद ही वे हाईवे से उठेंगे। आधे घंटे बाद उपायुक्त धरनास्थल पर किसानों के बीच पहुंचे और 7 से 10 दिन में भुगतान करवाए जाने का आश्वासन दिया। उसके बाद किसान नेशनल हाईवे से तो उठ गए लेकिन जिला सचिवालय के सामने धरने पर बैठ गए। उनका कहना है कि जिस दिन खातों में गन्ने की पेमेंट आ जाएगी, उसी दिन वे धरने से उठेंगे।

परेशान करना मंशा नहीं, मजबूरी में उठाया कदम

राष्ट्रीय किसान महासंघ की कोर कमेटी के सदस्य सुरेश कोथ, प्रदेश संगठन सचिव हरपाल सुढल व जिला प्रधान गुंदयाना का कहना है कि किसानों का 88 करोड़ बकाया है। नेशनल हाईवे पर जाम लगाने का निर्णय मजबूरी में लेना पड़ा। 11 बजे किसानों की महापंचायत अनाज मंडी में शुरू हो गई थी। प्रशासनिक अधिकारियों को तीन बार समय दिया लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। उनको कोई संतोषजनक आश्वासन न तो प्रशासन की ओर से मिला और न ही मिल प्रबंधन की ओर से। रास्ता रोककर किसी को परेशान करना उनकी मंशा नहीं है।

इस प्रकार चला घटनाक्रम

11 बजे किसानों की महापंचायत शुरू हो गई थी।

12:30 पर जाम लगाने का निर्णय लिया।

एक बजे किसान रोष मार्च करते हुए हाईवे की ओर चल दिए।

1:05 पर तहसीलदार दर्शन ¨सह किसानों को मनाने के लिए पहुंचे।

7 मिनट बातचीत हुई, लेकिन किसान नहीं मानें।

1 बजकर 22 मिनट पर जिला उपायुक्त गिरीश अरोड़ा, एसपी कुलदीप ¨सह व सरस्वती शुगर मिल के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट डीपी ¨सह किसानों के बीच पहुंचे।

12 मिनट तक दोनों पक्षों में बातचीत हुई। उसके बाद किसानों ने नेशनल हाईवे से पल्लड़ उठा लिए और साइड में बिछाकर धरने पर बैठ गए।

सीएम ने की वादाखिलाफी

प्रदेश संयोजक बाबू राम गुंदयाना, जिला उप्र प्रधान कृष्ण पाल, डायरेक्टर मंदीप रोडछप्पर व युवा प्रधान संदीप टोपरा का कहना है कि चार माह बाद भी किसानों को उनके गन्ने का भुगतान नहीं हुआ है। 30 अगस्त को सीएम मनोहर लाल ने किसानों को आश्वासन दिया था कि चार-पांच दिन में गन्ने का भुगतान हो जाएगा लेकिन नहीं हुआ। किसानों के साथ वादाखिलाफी हुई है। गन्ने का भुगतान न होने के कारण किसान आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहे हैं। उनका कहना है कि अब तब तक वे धरने से नहीं उठेंगे, जब तक गन्ने का भुगतान नहीं हो जाता। जिला सचिवालय के समक्ष धरना जारी रहेगा।

आप जिम्मेदारी ले लो, हम उठ जाएंगे

किसान इस बात पर अड़े हुए थे कि वे पेमेंट होने तक धरना जारी रखेंगे, लेकिन उपायुक्त जल्द ही भुगतान शुरू होने का आश्वासन देते हुए धरने से उठ जाने की बात कह रहे थे। इसी दौरान सरस्वती शुगर मिल के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट डीपी ¨सह बोल पड़े कि यदि 10 दिन तक भुगतान नहीं होता, उसके बाद धरने का निर्णय ले लेना। इस पर किसान बोले कि इस बात की गारंटी ले लो कि 10 दिन तक यदि सरकार ने भुगतान नहीं करवाया तो आप करेंगे। डीपी ¨सह का जवाब था कि मैं इस बात की गारंटी नहीं ले सकता।

डायरेक्टर से बात हुई, 7 से10 दिन में भुगतान शुरू

उपायुक्त गिरीश अरोड़ा ने बताया कि गन्ने के भुगतान को लेकर मेरी डायरेक्टर से बात हुई है। शुगर मिल को वित्तीय सहायता देने की प्रक्रिया चल रही है। 7 से 10 दिन लग सकते हैं। हमारा प्रयास है कि जल्द से जल्द किसानों के गन्ने का भुगतान हो।

जितनी चीनी बिक रही, उतना ही भुगतान कर रहे

सरस्वती शुगर मिल के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट डीपी ¨सह का कहना है कि सरकार से वित्तीय सहायता की मांग की हुई है, लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है। प्रति माह जितनी चीनी बिक रही है, उतना भुगतान किया जा रहा है। 18 जुलाई व 16 अगस्त को किसानों के खातों में पेमेंट डाली है। सितंबर में जो चीनी बिकेगी, उस पैसे से भुगतान कर दिया जाएगा।

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