मुरथल विवि के पूर्व कुलपति की पेंशन से की जाएगी रिकवरी

जागरण संवाददाता, मुरथल : दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मुरथल के पूर्व कुलप

By Edited By: Publish:Sun, 23 Oct 2016 09:19 PM (IST) Updated:Sun, 23 Oct 2016 09:19 PM (IST)
मुरथल विवि के पूर्व कुलपति की पेंशन से की जाएगी रिकवरी

जागरण संवाददाता, मुरथल : दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मुरथल के पूर्व कुलपति राजपाल दहिया की परेशानी और भी बढ़ सकती है। पूर्व कुलपति के जाने के बाद विवि प्रशासन ने अब तय किया है कि उनके द्वारा लिए गए अधिक वेतन की रिकवरी की जाए। इसके लिए विवि प्रशासन ने आइआइटी, दिल्ली को एक पत्र भेजा है, इसमें प्रो. दहिया की पेंशन से इस पैसे की रिकवरी कराने का अनुरोध किया गया है। विवि प्रशासन का कहना है कि अगर प्रो. राजपाल दहिया यहां से रिकवरी में कोई अड़चन पैदा करते हैं, तो फिर उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए पुलिस या कोर्ट का सहारा लिया जा सकता है।

आरोप है कि प्रो.राजपाल दहिया ने मुरथल में कुलपति रहते हुए अपना वेतन अपने हिसाब से तय कर लिया था। विवि की नियमावली के अनुसार कुलपति का वेतन 75000 रुपये तय है। इसमें भत्ते व दूसरी सुविधाएं अलग से जुड़ती हैं। लेकिन यह वेतन उन लोगों के लिए है, जो किसी सरकारी संस्थान से सेवानिवृत्त नहीं हुए हों। अगर कोई सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त व्यक्ति इस पद पर आता है, तो उसकी पेंशन को इसमें से घटाकर दिया जाता है। पूर्व कुलपति प्रो. दहिया के मामले में सबसे पहले यहीं पर गड़बड़ी की गई। प्रो. दहिया आइआइटी से सेवानिवृत्त हैं। उन्हें आइआइटी से 39500 रुपये मासिक पेंशन मिलती है।

ऐसे में नियमानुसार इन्हें 75000 रुपये में से 39500 रुपये कम करके 35500 रुपये प्रतिमाह वेतन मिलना चाहिए था। लेकिन प्रो. दहिया ने मनमानी करते हुए विवि के फाइनेंस विभाग को बाध्य किया कि उनकी सेवानिवृत्ति के समय बेसिक 79000 रुपये थी, इसलिए उन्हें इसमें से ही पेंशन घटाकर पैसा दिया जाए। इस पर 35500 रुपये की जगह उन्हें 39500 रुपये ही वेतन तय करा लिया। प्रो. दहिया ने इस तरह से हर माह 4000 रुपये गलत तरीके से नियमों को तोड़कर वसूल किए। दूसरी गड़बड़ी वेतन में पेंशन इक्वीलेंट टू ग्रेजुएटी (पीएजी) की है। पंजाब वित नियमों के हिसाब से कुलपति को 35500 रुपये में से 10400 रुपये प्रतिमाह पीएजी कटवाना अनिवार्य है। लेकिन उन्होंने यह पैसा भी सरकार को नहीं दिया और वेतन पूरा लेते रहे। इस तरह से उन्होंने करीब 14400 रुपये प्रतिमाह विवि से अधिक लिया। इतना ही नहीं जिस समय उन्होंने यह पद छोड़ा यह अंतर बढ़कर करीब 34400 रुपये तक पहुंच गया था।

इस मामले में अब विवि प्रशासन ने तय किया है कि वेतन के रूप में प्रो. दहिया द्वारा लिए गए अतिरिक्त पैसे की रिकवरी की जाए। इसके लिए विवि प्रशासन ने आइआइटी दिल्ली को एक पत्र भेजा है। चूंकि प्रो. दहिया आइआइटी दिल्ली से सेवानिवृत्त हैं और वे यहां से पेंशन प्राप्त कर रहे हैं, ऐसे में आइआइटी प्रशासन पेंशन से इस पैसे की रिकवरी करा सकता है। अब देखना यह है कि आइआइटी दिल्ली इस मामले में कितना मददगार साबित होता है।

नियमानुसार की जा रही कार्रवाई

नियमों को तोड़कर प्रो. राजपाल दहिया ने अपना वेतन खुद ही तय कर लिया था। इसमें पंजाब वित्त नियमों का सीधे तौर पर उल्लंघन किया गया है। इसे देखते हुए विवि ने उनकी पेंशन से इस पैसे की रिकवरी के लिए पत्र लिखा है। केपी ¨सह का कहना है कि करीब सवा छह लाख रुपया अतिरिक्त पैसा विवि से वसूला गया है। इसे वापस पाने के लिए जो नियमानुसार कदम उठाने जरूरी होंगे, वे सारे कदम उठाए जाएंगे।

केपी ¨सह, कुलसचिव, दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मुरथल।

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