20 वर्ष से कम उम्र में मां बनना है बेहद खतरनाक, बच्चे और मां कोे होता है इस तरह का खतरा
कम उम्र में मां बनना बेहद खतरनाक होता है। 20 वर्ष से कम उम्र में मां बनने से मां और बच्चे के लिए काफी खतरा होता है।
रोहतक, [पुनीत शर्मा]। कम उम्र में मां बनना बेहद खतरनाक है। कम उम्र में शादी और मां बनने के खतरे के बारे में जागरुकता के प्रयास के बावजूद इसका बहुत असर नहीं हो रहा है। यही कारण है कि बाल मृत्यु दर में असरदार कमी नहीं हो रही है। 20 साल से कम उम्र में मां बनना लड़कियों और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक है। इस संबंध में स्वास्थ्य सर्वे में बड़ा खुलासा हुआ है।
सरकार बाल मृत्यु दर को कम करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है, लेकिन महिलाओं का अशिक्षित होना और कम उम्र में शादी होना इसमें बाधा बन रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी बड़ी संख्या में लड़कियों की शादी 20 वर्ष या इससे कम उम्र में हो जाती है। यदि प्रसव के दौरान महिलाओं की उम्र 20 वर्ष या इससे कम और 30 से 39 वर्ष के बीच है तो प्रति एक हजार 44 बच्चों की मौत हो जाती है। वहीं 21 से 29 वर्ष की आयु के बीच महिलाएं यदि बच्चे को जन्म देती हैं तो बाल मृत्यु दर गिरकर 30 प्रति हजार आ जाती है।
एक हजार में से 44 बच्चों की हो जाती है मृत्यु
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 20 वर्ष या इससे कम और 30 से 39 वर्ष के बीच की उम्र में मां बनने वाली महिलाओं के बच्चों की बड़ी संख्या में मौत हो जाती है। बाल मृत्यु दर बढऩे का एक बड़ा कारण शिक्षा का अभाव भी है। क्योंकि अशिक्षित महिलाओं के मां बनने पर बाल मृत्यु दर का आंकड़ा 50 बच्चे प्रति हजार हो जाता है। यदि मां बनने वाली महिलाएं 10 वर्ष से अधिक स्कूल में पढ़ी है तो बाल मृत्यु दर घटकर 10 प्रति हजार रह जाती है।
21 से 29 वर्ष की आयु में महिलाएं बनती हैं मां तो बाल मृत्यु दर घटकर हो जाती है 30 प्रति हजार
आज के समय में भी बड़ी संख्या में महिलाओं में स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति जागरूकता का अभाव है। कभी स्कूल न जाने वाली 26 फीसद, पांच साल से कम स्कूल जाने वाली 40 फीसद, पांच से नौ साल तक स्कूल जाने वाली 45 फीसद, 10 से 11 वर्ष तक स्कूल जाने वाली 50 फीसद और 12 वर्ष से अधिक स्कूल जाने वाली 57 फीसद गर्भवती महिलाओं ने ही गर्भ के दौरान नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर विशेषज्ञों से परामर्श लिया है।
गर्भवती होने पर स्वास्थ्य केंद्र जाने वाली महिलाओं की जिलेवार स्थिति
जिले का नाम महिलाओं का फीसद
पंचकूला 82
यमुनानगर 75
कुरुक्षेत्र 65
अंबाला 65
करनाल 63
कैथल 61
फतेहाबाद 61
जींद 57
सिरसा 56
यह भी पढ़ें: जंजीरों में बंधी युवती ने किए सनसनीखेज खुलासे, बोली-बड़े घर की लड़की ने धकेला दलदल में
भिवानी 54
झज्जर 53
रोहतक 48
महेंद्रगढ़ 44
हिसार 41
पानीपत 40
सोनीपत 39
गुरुग्राम 33
फरीदाबाद 30
रेवाड़ी 29
पलवल 19
मेवात 6.5
यह भी पढ़ेंं: कृष्ण भक्त विदेशी बाला बनी भारतीय युवक की प्रेम दीवानी, फिर जन्माष्टमी पर उठाया ऐसा कदम
----------
'जागरूकता का अभाव'
'' जागरूकता के अभाव में प्रदेश में 45 फीसद महिलाएं ही स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंचती हैं। आशा, आंगनबाडिय़ों को घर-घर भेजकर महिलाओं को जागरूक किया जा रहा है। यह स्थिति काफी खराब है। इसके चलते बाल मृत्यु दर का आंकड़ा भी अधिक है। यदि महिलाएं शिक्षित हैं तो बाल मृत्यु दर भी कम होती है। शिक्षा के अभाव में गर्भ के दौरान बरतनी जाने वाली सावधानियां महिलाएं नहीं बरत पातीं। इसमें सुधार के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
- डा. अनिल बिरला, सिविल सर्जन,रोहतक।
पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें