जुबां पर आया योगेंद्र यादव का दर्द

किसान आंदोलन की अगुवाई करने वाले नेताओं में शामिल रेवाड़ी के गांव सहारनवास निवासी योगेंद्र यादव का दर्द आखिर उनकी जुबां पर आ ही गया। शुक्रवार को एक वीडियो जारी करके उन्होंने बिना किसी लाग लपेट के खुद यह स्वीकार किया कि कई दिनों से चल रहे किसान आंदोलन में स्थानीय किसानों की अपेक्षित भागीदारी नहीं है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 09 Jan 2021 08:50 PM (IST) Updated:Sat, 09 Jan 2021 08:50 PM (IST)
जुबां पर आया योगेंद्र यादव का दर्द
जुबां पर आया योगेंद्र यादव का दर्द

फोटो नंबर: 21

-वीडियो जारी कर खुद स्वीकार की स्थानीय किसानों की कम भागीदारी की बात

-दक्षिण हरियाणा व पूर्वी राजस्थान के किसानों को दिया प्यार भरा उलाहना

-आंदोलन में पहुंचने की अपील के साथ गृह क्षेत्र के किसानों से सांझा किया मन का दर्द जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : किसान आंदोलन की अगुवाई करने वाले नेताओं में शामिल रेवाड़ी के गांव सहारनवास निवासी योगेंद्र यादव का दर्द आखिर उनकी जुबां पर आ ही गया। शुक्रवार को एक वीडियो जारी करके उन्होंने बिना किसी लाग लपेट के खुद यह स्वीकार किया कि कई दिनों से चल रहे किसान आंदोलन में स्थानीय किसानों की अपेक्षित भागीदारी नहीं है। उन्होंने दिल्ली-जयपुर मार्ग पर स्थित शाहजहांपुर-जयसिंहपुर खेड़ा बार्डर (राजस्थान-हरियाणा की सीमा) पर चल रहे आंदोलन का जिक्र करते हुए दक्षिण हरियाणा व पूर्वी राजस्थान के किसानों को प्यार भरा उलाहना दिया। आंदोलन में पहुंचने की अपील करते हुए गृह क्षेत्र के किसानों से मन का दर्द सांझा किया। इस बात का मलाल जताया कि दूसरे राज्यों व दूर के जिलों से जहां हजारों किसान भागीदारी कर रहे हैं, वहीं स्थानीय किसान दूर हैं।

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योगेंद्र ने इस अंदाज में की अपील 'यह वीडियो विशेष रूप से दक्षिण हरियाणा व पूर्वी राजस्थान के किसानों के लिए है। अगर आप दक्षिण हरियाणा के रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ व नारनौल से हैं या फिर अलवर व दौसा से हैं, तो आपके लिए एक चेतावनी है। एक शिकायत है, एक आग्रह है। मैं खुद इस इलाके का बेटा हूं। रेवाड़ी के पास सहारनवास मेरा गांव है। इस अधिकार से मैं एक बात कहना चाहता हूं। आज जहां मैं खड़ा हूं, यह राजस्थान व हरियाणा का बार्डर है। मीलों तक किसानों की ट्रालियां हैं। टेंट लगे हैं। गंगानगर, झुंझुनू, सीकर, जयपुर व कोटा से किसान आए हुए हैं। भिवानी, हिसार अलग-अलग जगह से किसान आए हैं। दिल्ली के इर्द-गिर्द छह तरफ से किसान मोर्चा संभाले हुए है, क्योंकि किसान एक ऐतिहासिक लड़ाई लड़ रहा है। आने वाली पीढि़यों की लड़ाई लड़ रहा है। आज सरकार जो कानून लाई है, उससे खेती किसान के हाथों से निकलकर कंपनियों के हाथों में चली जाएगी। इसलिए इन कानूनों का विरोध करने के लिए किसान एक ऐतिहासिक लड़ाई लड़ रहे हैं। अपनी आने वाली पीढि़यों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। मैं दक्षिण हरियाणा व पूर्वी राजस्थान के किसानों से भी आंदोलन में भागीदारी की अपील करता हूं।'

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फिर पहुंची मेधा पाटकर हरियाणा-राजस्थान सीमा पर चल रहे आंदोलन में भाग लेने के लिए मेधा पाटकर फिर पहुंची। इससे पूर्व पाटकर 13 दिसंबर को इस बार्डर पर आंदोलन की शुरूआत वाले दिन पहुंची थी। योगेंद्र यादव के कुछ स्थानीय सहयोगियों ने शनिवार को गंगायचा टोल प्लाजा पर प्रदर्शन भी किया। जिसमें वेदप्रकाश विद्रोही व धर्मपाल यादव सहित कई स्थानीय लोग शामिल हुए।

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