बॉक्सर बेटी को देख पिता के अंदर जागा टायसन, लगा दिया गोल्ड पर पंच

जागरण संवाददाता पानीपत आपको सांड की आंख फिल्म याद होगी। यह फिल्म बागपत के जोहड़ी गांव

By JagranEdited By: Publish:Mon, 02 Nov 2020 06:08 AM (IST) Updated:Mon, 02 Nov 2020 06:08 AM (IST)
बॉक्सर बेटी को देख पिता के अंदर जागा टायसन, लगा दिया गोल्ड पर पंच
बॉक्सर बेटी को देख पिता के अंदर जागा टायसन, लगा दिया गोल्ड पर पंच

जागरण संवाददाता, पानीपत : आपको सांड की आंख फिल्म याद होगी। यह फिल्म बागपत के जोहड़ी गांव निवासी दादी चंद्रो तोमर और प्रकाशो तोमर की सच्ची कहानी पर आधारित है। दोनों अपनी पोतियों को शूटिग के अभ्यास के लिए रेंज पर लेकर जाती थी। इसी बीच दोनों ने निशानेबाजी में हाथ आजमाए और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई मेडल अपने नाम किए। ऐसी ही एक और कहानी से आपको रूबरू कराते हैं।

भारत नगर के स्वतंत्र कुमार करीब पांच साल से अपनी बेटी शिवानी को बॉक्सिग का प्रशिक्षण दिला रहे हैं। बचपन में माता-पिता के निधन के कारण स्वतंत्र अपनी खेल की इच्छा को पूरी नहीं कर सके तो बेटी को खेलों में उतार दिया। वह सिलाई करके घर चलाने के साथ बेटी को चैंपियन मुक्केबाज बनाना चाहते हैं। बेटी ने पिता के सपनों और मेहनत को बनाए रखने के लिए रोजाना घंटो पसीना बहा रही है। 54 किलोग्राम भारवर्ग में खेलने वाली शिवानी अब तक नेशनल लेवल पर एक सिल्वर और एक ब्रांज मेडल जीत चुकी है। पिता रोजाना बेटी को लेकर शिवाजी स्टेडियम आते हैं। इसी दौरान पिता के अंदर भी माइक टायसन जाग गया और उन्होंने प्रैक्टिस शुरू कर दी। कुछ ही दिन के अभ्यास के बाद स्वतंत्र ने जिला स्तरीय खेल महाकुंभ में गोल्ड मेडल जीता। इसके बाद इंटरसेंटर और सीनियर स्टेट चैंपियनशिप में भी बेहतर प्रदर्शन किया। स्वतंत्र अभी अभ्यास जारी रखे हुए हैं।

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पिता घर-घर बेचते हैं लस्सी, बेटी बना रही मुक्केबाजी में नाम

हरियाणा दिवस पर शिवाजी स्टेडियम में खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। 46 किलोग्राम भारवर्ग में प्रतिभाग कर रही जिले की इंटरनेशनल मुक्केबाज रजनी ने मेडल अपने नाम किया। बुआना लाखु गांव की रजनी छह भाई-बहन हैं। पिता ने रजनी को खेलों में नाम कमाने के लिए तैयार किया। जिसके लिए पिता अपने गांव से लस्सी लेकर शहर में घर-घर जाकर बेचते हैं, जिससे रजनी के खेल और परिवार को खर्चा वहन होता है। रजनी अभी तक सर्बिया में गोल्ड और स्पेन में ब्रांज मेडल जीत चुकी हैं। इसके अलावा स्कूल नेशनल, ओपन नेशनल व सीबीएसई नेशनल में गोल्ड और खेलों इंडिया में ब्रांज मेडल जीत चुकी हैं। वह बीते दो साल से खेलों इंडिया कैंप का हिस्सा हैं। शिवाजी स्टेडियम में कोच सुनील प्रशिक्षण के साथ आर्थिक और डाइट में भी मदद करते हैं।

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