अफसरों के कटघरे में फंसते ही जांच पड़ी धीमी, आइओ हुए रिटायर

अफसरों के कटघरे में फंसते ही जांच पड़ी धीमी, आइओ हुए रिटायर।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 28 Apr 2018 11:02 AM (IST) Updated:Sat, 28 Apr 2018 04:45 PM (IST)
अफसरों के कटघरे में फंसते ही जांच पड़ी धीमी, आइओ हुए रिटायर
अफसरों के कटघरे में फंसते ही जांच पड़ी धीमी, आइओ हुए रिटायर

दीपक बहल, अंबाला

पंजाब के राजपुरा में सराय बंजारा स्टेशन के पास से करीब 20 टन पटरियां चोरी होने के मामले में रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) चौकी और पोस्ट प्रभारी को चार्जशीट जारी कर दी गई, लेकिन आला अफसरों को फंसते देख जांच को धीमा कर दिया गया। रेलवे बोर्ड से महानिदेशक धर्मेद्र कुमार की ओर से इस प्रकरण में रिमाइंडर भेजकर दिल्ली बड़ोदा हाउस से जवाब तलब किया गया, ¨कतु मामले की जांच कर रहे उत्तर रेलवे के डिप्टी चीफ सिक्योरिटी कमिश्नर (आरपीएफ) महेंद्र ¨सह के रिटायर होने का इंतजार किया गया और आज उनकी विदाई पार्टी भी कर दी गई। हालांकि, महेंद्र ¨सह 30 अप्रैल को रिटायर्ड होंगे लेकिन सोमवार को अवकाश होने कारण आज उनका अंतिम दिन रहा। मंगलवार को नए जांच अधिकारी रेगुलर जांच के लिए नियुक्त किए जा सकते हैं।

जांच अधिकारी अपने विजीट नोट में स्पष्ट कर चुके हैं कि चोरी की सूचना मिलने के बावजूद दिल्ली आइजी और डीजी आरपीएफ को सूचना नहीं दी गई। इस प्रकरण से मुख्यालय को अंधेरे में रखा गया। रेगुलर जांच के बीच में ही अंबाला के असिस्टेंट और सीनियर कमांडेंट एक-दूसरे पर फोड़ ठीकरा फोड़ चुके हैं। जागरण के मामला उठाने पर दी चार्जशीट

19 नवंबर 2017 को पंजाब के राजपुरा में सराय बंजारा स्टेशन के पास से करीब 20 टन पटरियां चोरी गई। करीब चार लाख रुपये की चोरी का मामला रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) पोस्ट अंबाला और मंडल तक पहुंचा लेकिन इसे छिपा लिया गया। दैनिक जागरण ने पर्दाफाश किया तो महेंद्र ¨सह की प्रारंभिक जांच में पाया कि कुछ न कुछ तो गड़बड़झाला हुआ है। इसके बाद आरपीएफ चौकी और पोस्ट प्रभारी को चार्जशीट जारी कर दी गई। रेगुलर जांच में इंस्पेक्टर और असिस्टेंट ने जांच में कहा कि कमांडेंट को सब बता दिया था, ¨कतु चोरी का मुकदमा दर्ज नहीं करवाया। वहीं सीनियर कमांडेंट ने कहा, उन्हें घटना का नहीं पता था। हालांकि रेल पटरी चोरी का 105 दिन बाद मुकदमा दर्ज तो कर दिया लेकिन इसकी तफ्तीश अभी ठंडे बस्ते में है। सूत्रों का कहना है कि मामले को ठंडे बस्ते में डालकर रफा-दफा करने की चर्चाएं हैं।

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