एकलव्य बन गुरु ने YouTube से सीखा हुनर, फिर गांव की बेटियों को बनाया गोल्डेन गर्ल Panipat News

एक शिक्षक ने यू-ट्यूब से हुनर सीखकर गांव की बेटियों को खो-खो सिखाया। इसके बाद बेटियां लगातार आसमान छू रही हैं।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Thu, 08 Aug 2019 07:07 PM (IST) Updated:Fri, 09 Aug 2019 12:18 PM (IST)
एकलव्य बन गुरु ने YouTube से सीखा हुनर, फिर गांव की बेटियों को बनाया गोल्डेन गर्ल Panipat News
एकलव्य बन गुरु ने YouTube से सीखा हुनर, फिर गांव की बेटियों को बनाया गोल्डेन गर्ल Panipat News

पानीपत/जींद, [प्रदीप घोघडिय़ां]। अभी तक एक शिष्य के रूप में आपने एकलव्य के बारे में पढ़ा होगा। लेकिन, एक गुरु ऐसा भी है, जो बेटियों को हुनर सिखाने के लिए खुद एकलव्य बन गया। यू-ट्यूब को गुरु मानकर शिक्षक ने खो-खो के हुनर को सीखा। इसके बाद गांव की बेटियों में प्रतिभा को तराशना शुरू किया। अब गांव की तीन बेटियां गोल्डेन गर्ल बन चुकी हैं। बात कर रहे हैं उचाना खंड के भौंसला गांव के सुरेंद्र सिंह की।

सुरेंद्र सिंह साल 2010 से धनखड़ी गांव में जेबीटी हैं। उन्होंने गांव की बेटियों में खो-खो खेल के प्रति रुचि देखी। उन्होंने निर्णय किया कि इनके हुनर को तराशेंगे। हालांकि सुरेंद्र को खेलना नहीं आता था और न ही उसके नियम पता थे। इसके बाद उन्होंने इंटरनेट और यू-ट्यूब से खुद सीखना शुरू कर दिया। 

 

सुरेंद्र सिंह।

परिजनों को भी मनाया
सुरेंद्र सिंह ने बताया कि पहले लड़कियों को खेलने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद उनके परिजनों को मनाया। इसके बाद धनखड़ी और भौंसला गांव की लड़कियों को सिखाना शुरू किया। दोनों गांव की करीब 50 से ज्यादा लड़कियां खो-खो, एथलेटिक्स का अभ्यास कर रही हैं। 

राज्य स्तर पर का प्रतिनिधित्व करेंगी धनखड़ी की बेटियां 
खो-खो के अंडर-11, 14, 17 और 19 में धनखड़ी गांव की बेटियां प्रतिनिधित्व करेंगी। वहीं कुछ दिन पहले हुए जिला स्तरीय खेलों में धनखड़ी गांव की सोनिया, तमन्ना और नीरू ने पहला स्थान हासिल किया है। अब सोनिया अंडर-19, तमन्ना अंडर-17 और नीरू अंडर-14 आयु वर्ग की टीम का जिले की तरफ से प्रतिनिधित्व करेंगी। 

14 बार राज्य में स्थान हासिल किया
खो-खो में अंडर-11 आयु वर्ग में धनखड़ी गांव की बेटियां लगातार आठवीं बार राज्य स्तर तक पहुंचीं। अंडर-14 और 17 आयु वर्ग में तीसरी बार राज्य स्तर पर पहुंची हैं। इससे पहले राष्ट्रीय स्तर पर सिल्वर मेडल जीता था। इसके अलावा तीन बेटियां गोल्डन गर्ल बनीं। अब तक 10 खिलाड़ी गोल्ड मेडल हासिल कर चुकी हैं। 

आठ साल का संघर्ष लाया परिणाम : सुरेंद्र सिंह 
धनखड़ी और भौंसला गांव की बेटियों को खो-खो और एथलेटिक्स के खेल में बड़े मुकाम पर पहुंचाने वाले कोच सुरेंद्र सिंह का कहना है कि उनकी 8 साल की मेहनत का अब बेहतर परिणाम आने लगा है। आज खो-खो के हर प्रारूप में उनकी सिखाई लड़कियां शामिल हैं। अब पिछले एक साल से वह लड़कियों को एथलेटिक्स की तैयारी करवा रहे हैं, जिसमें जल्द ही उनकी खिलाड़ी नए आयाम स्थापित करेंगी। दोनों गांव की बेटियों को सफलता के इस मुकाम पर पहुंचाने में ग्रामीणों के अलावा समाज सेवी बंसल परिवार, अभिभावकों तथा स्कूल स्टाफ का पूरा योगदान है। 

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