तंत्र के गण: बाल श्रमिकों की सुध लेतीं सुधा Panipat News
डेढ़ साल से एनजीओ से जुड़कर सुधा बाल श्रमिकों के लिए काम कर रही हैं। जहां से भी बाल शोषण की सूचना मिलती वो मौके पर पहुंच जातीं।
पानीपत, [राज सिंह]। बच्चों के लिए वे दीदी हैं। समाज में चाइल्ड राइट एक्टिविस्ट। डेढ़ वर्ष से बच्चों को अधिकार दिलाने के लिए संघर्षरत हैं। बच्चों की मदद कर सुकून पाना उद्देश्य। यहां बात हो रही है सेक्टर-18 में रहने वाली सुधा झा की। वे बाल अधिकार सुरक्षा समिति की सक्रिय सदस्य हैं। यह संस्था ह्यूमाना पीपल टू पीपल इंडिया की सहयोगी है। सुधा कहती हैं कि किसी बच्चे की मदद करने के बाद मां-बाप की आंख में खुशी के आंसू दिखते हैं तो सुकून हासिल होता है। वे बाल श्रम, भिक्षावृति के अंधकार में फंसे अनगिनत बच्चों के जीवन में उजाला भर चुकी हैं। बातचीत में उन्होंने ऐसे ही कुछ केसों को साझा किया।
13 साल के बच्चों को बालश्रम से मुक्त कराया
फरवरी-2019 का वाक्या है। 13 साल का बच्चा फैक्ट्री में काम करने जाता था। उसे ठेकेदार ने बाल श्रम पर लगाया था, फैक्ट्री मालिक को जानकारी नहीं थी। टीम मौके पर पहुंची तो बच्चा कठिन परिश्रम करता मिला। फैक्ट्री मालिक, ठेकेदारों और मजदूरों को बाल श्रम कानून की जानकारी दी गई। बच्चे के स्वजनों की काउंसिलिंग कर बच्चे को स्कूल में प्रवेश दिलाया।
मां को दिलाया काम, बच्चे को भेजा स्कूल
12 साल के बच्चे की मां बीमार रहती थी, वह फैक्ट्री में काम कर रहा था। मां की काउंसिलिंग की गई। फैक्ट्री मालिक को समझाया कि मदद करनी है तो बच्चे की बीमार मां को कुछ हलका काम करने को दें, ताकि भरण-पोषण हो सके और बच्चा स्कूल जा सके। फैक्ट्री मालिक मान गया, मां ने काम करना शुरू किया। पहले दिन बच्चा स्कूल गया तो मां-बेटे दोनों की आंखों में खुशी के आंसू दिखे।
यौन शोषण की शिकार बच्चियों को मदद दी
मार्च-2019 मार्च में 13 साल की बच्ची के साथ परिवार के सदस्य के यौन शोषण करने की जानकारी मिली। बाल कल्याण समिति के जरिये पीड़ता को चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूशन पहुंचाया। आरोपित के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हुआ। दूसरे केस में छह साल की बच्ची के साथ यौन शोषण की घटना में उसके इलाज, आधार कार्ड बनवाना, बैंक अकाउंट खुलवाना आदि में मदद की। साढ़े तीन साल के साथ दुष्कर्म की घटना में भी मदद की जा रही है।
गुमशुदा बच्चों को घर पहुंचाया
शहर की एक कॉलोनी में 10 साल का बच्चा खेलते हुए रास्ता भटककर काफ दूर चला गया। संस्था के सदस्यों ने तीनों में करीब 25 किलोमीटर की खाक छानी। पंफलेट बंटवाए, सोशल मीडिया की मदद से बच्चे को ढूंढ निकाला। 13 साल की एक बच्ची और चार साल के एक बच्चे को भी उसके माता-पिता तक पहुंचाया।
एक नजर इन पर भी
बाल अधिकार सुरक्षा समिति ने डेढ़ वर्ष के अंतराल में तीन वार्र्डों में 968 बच्चों को बाल श्रम करते हुए चिन्हित किया। सभी को बाल श्रम से मुक्त कराया, 350 बच्चों को स्कूल में प्रवेश दिलाया। बाकी बच्चों को संस्थान के अलग-अलग प्रोजेक्ट के शिक्षा प्रदान की जा रही है।