कोरोना संकट का पॉजिटिव इफेक्ट: सैनिटाइजर बनाने में फार्मा उद्योग आत्मनिर्भर

कोरोना संकट के कारण बढ़ा उत्पादन। पूरे देश से मिल रहे ऑर्डर। फैक्ट्रियों सहित डिस्टलरीज व आयुर्वेदिक इकाइयां भी कर रही निर्माण।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Wed, 20 May 2020 05:02 PM (IST) Updated:Wed, 20 May 2020 05:02 PM (IST)
कोरोना संकट का पॉजिटिव इफेक्ट: सैनिटाइजर बनाने में फार्मा उद्योग आत्मनिर्भर
कोरोना संकट का पॉजिटिव इफेक्ट: सैनिटाइजर बनाने में फार्मा उद्योग आत्मनिर्भर

पानीपत/करनाल, [पवन शर्मा]। मंदी से जूझते फार्मा उद्योग के लिए कोरोना संकट पॉजिटिव इफेक्ट लेकर आया है। ऐसे उत्पादों की मांग खासी बढ़ गई है, जो संक्रमण सुरक्षा में जरूरी हैं। इनमें शामिल सैनिटाइजर निर्माण की मांग बढऩे से कारोबारियों के साथ लघु उद्योग चलाने वालों तक को बड़ा आधार मिला है। हरियाणा में नए फार्मा हब की पहचान बना रहे करनाल में 50 से ज्यादा फैक्ट्रियां जोरशोर से रिकॉर्ड उत्पादन कर रही हैं। हरियाणा ही नहीं, बल्कि पूरे देश से स्थानीय उत्पादकों को ऑर्डर मिल रहे हैं, जिसे लेकर फार्मा सेक्टर में अर्से बाद उत्साह का माहौल है। 

हरियाणा चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के स्टेट वाइस प्रेसीडेंट अमित गुप्ता बताते हैं कि करनाल में तीन श्रेणियों की इकाइयां सैनिटाइजर की बढ़ती मांग पूरी करने में दिन-रात जुटी हैं। सर्वाधिक मांग एलोपैथिक कंपनियों के उत्पादों की है। कुछ डिस्टलरीज सहित आयुर्वेदिक कंपनियां भी सैनिटाइजर बना रही हैं। एलौपैथिक इकाइयों के उत्पादों की अधिक मांग है क्योंकि ये एफडीए यानि फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन से एप्रूव्ड होते हैं। करनाल में 50 से अधिक छोटी-बड़ी इकाइयां दिन-रात उत्पादन कर रही हैं। मास्क की मांग भी बढ़ी है और विभिन्न कंपनियों के अलावा सामाजिक संस्थाएं और पंचायतें तक इन्हें प्रचुरता से तैयार कर रही हैं।   

वहीं, हरियाणा फार्मास्युटिकल्स मैनुफेक्चरिंग एसोसिएशन के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट आरएल शर्मा ने बताया कि सरकार ने इन उत्पादों पर डीपीसीओ यानि ड्रग प्राइज कंट्रोल ऑर्डर लागू कर दिया है। इससे इनका उत्पादन खासा बढऩे के साथ रेट नियंत्रित हो गए हैं। अब 100 एमएल सैनिटाइजर 50 रुपये एमआरपी पर उपलब्ध है जबकि पहले इसके लिए 100 से 120 रुपये चुकाने पड़ते थे। 100 एमएल से लेकर पांच लीटर तक की पैकिंग है। 

पूरे देश से मिल रहे ऑर्डर 

फार्मा इंडस्ट्री के उद्यमियों ने बताया कि पहले सीमित मांग के चलते करनाल सहित कुछ जिलों में ही सैनिटाइजर और मास्क आदि की मांग होती थी लेकिन अब दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, गुवाहाटी, चेन्नई से लेकर पूरे देश से ऑॅर्डर मिल रहे हैं। एलोपैथिक सैनिटाइजर की सबसे ज्यादा मांंग है। आयुर्वेदिक व हर्बल सैनिटाइजर भी पसंद किए जा रहे हैं। 

डिस्टलरीज को 30 जून तक मौका 

फार्मा इकाइयों के अलावा डिस्टलरीज भी सैनिटाइजर बना रही हैं। लगातार बढ़ती मांग व आपूर्ति में संतुलन की खातिर सरकार ने इन्हें तीस जून तक उत्पादन के लिए विशेष अवसर दिया है। करनाल की तीन बड़ी डिस्टलरीज सहित पूरे प्रदेश में ज्यादातर डिस्टलरीज को यह काम दिया गया है। 

हर्बल सैनिटाइजर की भी मांग 

संक्रमण से बचाव में आयुर्वेदिक उत्पादों व जड़ी बूटी की मांग के मद्देनजर हर्बल सैनिटाइजर की मांग भी बढ़ी है। इन्हें कंपनियों सहित कई गैर सरकारी संस्थाओं से लेकर आयुर्वेदिक के जानकार भी बना रहे हैं। इनमें गिलोय, धनिया, पुदीना और कहीं कहीं अल्कोहल सहित विभिन्न हर्ब उत्पादों का प्रयोग किया जाता है। 

पीएम से प्रेरित होकर बना रहे उत्पाद

एसएमई सेक्टर के तहत सैनिटाइजर बनाने के लिए सरकार उद्यमियों को भरपूर प्रोत्साहन दे रही है। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संदेश में कहा था कि संकट के समय अवसर तलाशने चाहिए। यही झलक नुमायां करते हुए फार्मा सेक्टर से जुड़े लोग ही नहीं, बल्कि गांव-देहात की पंचायतों से लेकर तमाम एनजीओ भी इसी व्यवसाय में कूदकर खुद को आत्मनिर्भर बना रहे हैं। कई सामाजिक संस्थाएं व पंचायतें बड़े पैमाने पर मास्क भी बना रही हैं।

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