दिल्ली के करीब एक गांव ऐसा भी, जहां 50 साल से आपसी झगड़े का कोई केस नहीं हुआ दर्ज

जींद में एक ऐसा गांव है जहां झगड़े का कोई केस दर्ज नहीं है। यहां झगड़े का समाधान थाने में नहीं बल्कि गांव की पंचायत में होता है।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Mon, 24 Feb 2020 02:04 PM (IST) Updated:Tue, 25 Feb 2020 01:13 PM (IST)
दिल्ली के करीब एक गांव ऐसा भी, जहां 50 साल से आपसी झगड़े का कोई केस नहीं हुआ दर्ज
दिल्ली के करीब एक गांव ऐसा भी, जहां 50 साल से आपसी झगड़े का कोई केस नहीं हुआ दर्ज

पानीपत/जींद, [प्रदीप घोघडिय़ां]। आज के समय में जरा-जरा सी बात पर लोग मरने-मारने पर उतारू हो जाते हैं, वहीं दिल्ली से सटे हरियाणा के जींद जिले के उचाना ब्लॉक का गांव रोजखेड़ा में झगड़ा होने पर लोग थाने नहीं जाते। आपसी झगड़े को पंचायत में ही बैठकर सुलझाया जाता है। यही वजह है कि पिछले 50 साल में इस गांव से आपसी झगड़े का कोई मामला न तो पुलिस तक पहुंचा और न ही ऐसी कोई रिपोर्ट दर्ज कराई गई।

सर्वसम्मति से ग्रामीणों ने चुना अपना सरपंच

जींद-नरवाना नेशनल हाईवे पर स्थित बड़ौदा गांव से नगूरां की तरफ जाने वाले लिंक मार्ग पर स्थित है गांव रोजखेड़ा। आबादी के हिसाब से गांव बेशक छोटा है, लेकिन अपने आप में यह एक मिसाल कायम किए हुए हैं। ग्रामीणों को भी याद नहीं है कि पिछली बार आपसी लड़ाई-झगड़े का मामला कब पुलिस थाने तक पहुंचा था। इस समय गांव में रणधीर सिंह सरपंच हैं। रणधीर सिंह को बिना किसी विवाद सर्वसम्मति से सरपंच चुना गया था। 

गांव रोजखेड़ा में उस चबूतरे पर बैठे ग्रामीण, जहां पंचायती फैसले होते हैं।

पंचायत में सुलझ जाता है हर विवाद

सरपंच रणधीर सिंह बताते हैं कि गांव में झगड़ा तो होता है लेकिन ऐसी नौबत कभी नहीं आई कि पुलिस थाना जाना पड़े। अगर कभी झगड़ा होता है तो पंचायत में बैठकर आपस में ही मामले को सुलझा लिया जाता है। गांव में जाटों के अलावा मुस्लिम और वाल्मीकि भी रहते हैं। सभी आपसी भाईचारेे की भावना से रहते हैं और एक-दूसरे के सुख-दुख में साथ देते हैं। गांव में कॉमन सर्विस सेंटर से लेकर सरकारी स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र समेत दूसरी सरकारी सुविधाएं उपलब्ध हैं। 

साक्षरता में भी अग्रणी है रोजखेड़ा गांव : सोनू

गांव के युवा सोनू ने बताया कि साक्षरता दर में भी उनका गांव अग्रणी गांवों में गिना जाता है। हालांकि गांव की आबादी कम है लेकिन आबादी के हिसाब से साक्षरता दर काफी ऊंची है। उनके गांव में पांच जेबीटी मास्टर, 7 स्कूल लेक्चरर, एक कॉलेज लेक्चरर, 7 युवा आर्मी में और 7 युवा पुलिस में नौकरी कर रहे हैं। 

आपसी भाईचारे की कायम की मिसाल - पुलिस

उचाना थाने के एसएचओ देवेंद्र कुमार भी इसकी पुष्टि करते हैं। उन्होंने बताया कि रोजखेड़ा गांव में आपसी लड़ाई झगड़े के मामले में किसी तरह की शिकायत नहीं आती। छोटा-मोटा झगड़ा हो भी जाता है तो पंचायत में ही सुलझा लिया जाता है। गांव में किसी का कोई क्रिमिनल रिकार्ड नहीं है। दूसरे गांवों को भी रोजखेड़ा से प्रेरणा लेते हुए आपसी भाईचारे की मिसाल कायम करनी चाहिये।

chat bot
आपका साथी