लॉकडाउन में नहीं भूलीं फर्ज, कोरोना खौफ के बाद भी कैथल की शिक्षिका ने बांटे थे मास्‍क और सैनिटाइजर

लॉकडाउन लग गया था। स्‍कूल-कॉलेज बंद हो गए थे। इसके बावजूद कैथल की शिक्षिका सुमन राण अपना फर्ज नहीं भूलीं। शिक्षिका सुमन राणा ने लॉकडाउन में 15 हजार से अधिक मास्क और सैनिटाइजर किए थे वितरित। कोरेाना से बचाव के लिए सुमन अभी भी कार्य कर रहीं।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Thu, 15 Apr 2021 04:39 PM (IST) Updated:Thu, 15 Apr 2021 04:39 PM (IST)
लॉकडाउन में नहीं भूलीं फर्ज, कोरोना खौफ के बाद भी कैथल की शिक्षिका ने बांटे थे मास्‍क और सैनिटाइजर
शिक्षिका सुमन राणा ने लॉकडाउन में मास्क और सैनिटाइजर किए थे वितरित।

कैथल, जेएनएन। कोरोना वायरस के प्रकोप खत्म करने में महिलाओं ने भी अपनी अहम भूमिका निभाई है। नवरात्र पर्व चल रहे हैं और आज मां भगवती के नौ स्वरूपों की पूजा की जा रही है। इसी कड़ी में महिलाएं भी देवियों की तरह कोरोना काल में वायरस को खत्म करने का प्रयास कर रही है। कोरोना महामारी के काल केवल स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत महिला कर्मचारी ही नहीं, बल्कि बल्कि शिक्षा विभाग में कार्यरत शिक्षिकाएं अलग-अलग तरीकों से कार्य कर रही हैं। कलायत के एक निजी स्कूल में कार्यरत शिक्षिका सुमन राणा ने अपने खर्चे पर लोगों को सैनिटाइजर और मास्क वितरित किए। वह वर्तमान में भी कोरोना से बचाव को लेकर लगातार कार्य कर रही हैं। वह इस कार्य के लिए अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर सम्मानित भी हो चुकी हैं।

लॉकडाउन में स्वयं मास्क बना बांटे

कलायत निवासी सामाजिक कार्यकर्ता एवं शिक्षक सुमन राणा ने बताया कि वह अध्यापक हैं और एक निजी स्कूल में कार्यरत हैं। सुमन ने बताया कि कोरोना की शुरूआत में लगे लॉकडाउन में उन्होंने 15 हजार मास्क स्वयं तैयार किए थे और इसे जरूरतमंदों में बांटा था। मास्क को बनाने में खर्च हुई राशि की खुद ही वहन की थी। किसी भी सामाजिक संस्था और प्रशासन का कोई सहयोग नहीं लिया। इसके साथ ही जरूरतमंदों को खाना वितरित करने का भी कार्य किया था।

पिछले 30 साल से समाज सेवा का कर रही हैं कार्य

सुमन राणा ने बताया कि वह वर्ष 1991 से समाजसेवा के कार्य कर रही हैं। इसमें वह जरूरतमंदों की वस्त्र व भोजन देकर और आर्थिक रूप से भी सहायता करती हैं। इसके अलावा भी जिस प्रकार की वह सहायता जरूरतमंदों की कर सकती है, वह लगातार करती है। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के समय में जरूरतमंदों को खाना और सूखा राशन भी वितरित किया था।

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