किसान से धोखा, फसल खराब, राजनीति में फंसे

बीज विक्रेता द्वारा किसान को धान की फसल का मिश्रित बीज दिए जाने का मामला सामने आया है। भारतीय किसान संघ तक पहुंची बात।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 14 Sep 2018 02:29 PM (IST) Updated:Fri, 14 Sep 2018 02:29 PM (IST)
किसान से धोखा, फसल खराब, राजनीति में फंसे
किसान से धोखा, फसल खराब, राजनीति में फंसे

जागरण संवाददाता, पानीपत : बीज विक्रेता द्वारा किसान को धान की फसल का मिश्रित बीज दिए जाने का मामला सामने आया है। मिश्रित धान के बीज की वजह से किसान की 5 एकड़ धान की फसल खराब हो गई है। मामला भारतीय किसान यूनियन के पास पंहुच गया है।

इसका संज्ञान लेते हुए भाकियू प्रदेशाध्यक्ष रतन मान ने विकास खंड नि¨सग के अध्यक्ष राज¨सह राणा के साथ मौके पर पहुंच कर खराब हुई धान की फसल का मुआयना किया। कतलाहेड़ी के किसान सुरेश कुमार ने गांव जुंडला के रकबे में 5 एकड़ जमीन ठेके पर लेकर काश्त की है।

किसान ने बताया कि इस वर्ष के धान सीजन के लिए करनाल कैथल रोड स्थित बीज विक्रेता पीआरओ सीड्स करनाल की दुकान से 5 एकड़ के लिए धान की 1509 किस्म का बीज खरीदा था। दुकानदार से बिल भी लिया था। सुरेश का कहना है कि जब धान की फसल का निसार होने लगा तो 3 किस्म की धान की फसल खेत में दिखाई देने लगी। इसकी शिकायत बीज विक्रेता को की गई तो उसने खेत का मुआयना किया और धान की कटाई के पैसे देने का वादा भी किया।

किसान का आरोप है कि जब इस संबंध में बीज विक्रेता से दोबारा संपर्क किया गया तो उसने अभद्र व्यवहार किया। उधर, खेत का मुआयना करने के उपरांत भाकियू प्रदेशाध्यक्ष रतन मान ने कहा कि किसान के साथ धोखाधड़ी हुई है। जिसकी शिकायत भाकियू की ओर से उपायुक्त को लिखित रूप में की जाएगी और सुरेश कुमार को हरसंभव मदद दिलवाई जाएगी।

कृषि विभाग को किसान ने की शिकायत, नहीं हुई सुनवाई

किसान सुरेश ने मिश्रित बीज दिए जाने की शिकायत करनाल स्थित कृषि उपनिदेशक कार्यालय में की है। सुरेश ने बताया कि कई दिन बीत जाने के बाद भी किसी भी अधिकारी ने इस संबंध में सुध नहीं ली है। अब इस मामले को भाकियू की मदद से उच्च अधिकारियों के दरबार में ले जाया जाएगा।

52 हजार रुपये प्रति एकड़ ठेके पर ली है जमीन

सुरेश ने अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए पड़ोसी गांव जुंडला के रकबे में 52 हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से 8 एकड़ जमीन ठेके पर ली हुई है। जिसमें 5 एकड़ में धान की किस्म 1509 की रोपाई की थी। जिसमें बाद में मिलावट पाई गई।

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