Haryana का एक ऐसा मंदिर, जहां शहीदों की होती है पूजा Panipat News
अक्सर मंदिर में भगवान की मूर्तियां देखने को मिलती हैं उनकी पूजा भी होती है। लेकिन हरियाणा में एक ऐसा मंदिर भी है जहां शहीदों की पूजा होती है।
पानीपत/यमुनानगर, [पोपीन पंवार]। यमुना नदी के किनारे बसा गुमथला राव। आबादी के हिसाब से गांव बेशक छोटा है, लेकिन पहचान दूर तक है। इसकी वजह है कि यहां बना प्रदेश का शहीदों का इकलौता इंकलाब मंदिर। जहां 18 वर्ष से नियमित अमर शहीदों की पूजा होती है। मार्ग से गुजरने वाला हर कोई यहां रुककर नमन करना नहीं भूलता।
यमुनानगर का इंकलाब मंदिर। यहां स्थापित हैं 135 प्रतिमाएं। यह परिचय शहीदों के प्रति उस आस्था का है, जिसकी मिसाल दूसरी कहीं नजर नहीं आती। इस मंदिर में शहीदों के वंशज माथा टेकने आते हैं तो शहर के लोगों के दिलों में भी कम सम्मान नहीं है। अब इंकलाब आयोग के गठन की लड़ाई भी लड़ी जा रही है।
इनकी मूर्तियां स्थापित
मंदिर में भारत माता, भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, उधम सिंह कांबोज, लाला लाजपत राय, करतार सिंह शराबा, नेता जी सुभाष चंद्र बोस, मंगल पांडेय, अस्फाक उल्ला खां, चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमाएं हैं। इनके अलावा 125 शहीदों के हाथ से बने हुए चित्र हैं। क्षेत्र के स्कूलों के बच्चे यहां पर शहीदों के इतिहास को जानने के लिए आते हैं और देश भक्ति की प्ररेणा लेकर जाते हैं।
2001 में किया था स्थापित
पेशे से एडवोकेट वरयाम सिंह इस मंदिर के संस्थापक है। 5 दिसंबर 2001 को शहीद भगत सिंह पहली प्रतिमा स्थापित की गई। वरयाम सिंह बताते हैं कि अमर शहीदों के प्रति उनको लगाव बचपन से ही रहा है। स्कूल में पढ़ते समय से ही भगत सिंह पर कविताएं लिखने का शौक था। इसके बाद दोस्तों के साथ मिलकर शहीदी दिवस पर भगत सिंह को याद किया जाने लगा। लेकिन एक दिन बैठे-बैठे मन में आया कि देश को शहीद कराने में बहुत से देशभक्तों ने अपने प्राणों की आहूति दी है उन्हें भी याद किए जाए। इतिहास खंगालना शुरू किया और शहीदों का मंदिर बनवाया। यहां पर शहीदों की शहादत को याद किया जाता है। इतना ही नहीं उनके परिवार के लोगों को भी इंकलाब पुरस्कार देकर सम्मानित किया जा रहा है।
हर रोज मनाया जाता है जन्मदिन
शहीदों के मंदिर में हर रोज शहीदों का जन्मदिन उत्साह से मनाया जाता है। साथ ही शहीदों की बहादूरी व शौर्च की गाथा युवाओं को बताई जाती है, ताकि युवाओं को देशभक्ति का जच्बा बढ़े। क्षेत्र के कुछ युवा तो मंदिर में पूजा किए बिना जलपान तक ग्रहण नहीं करते। युवा सर्वजीत, गुरजीत सिंह, अनिल कुमार, गौरव व हरप्रीत सिंह का कहना है कि मंदिर में आने पर मन को सुकून और उत्साह बढ़ता है। इसीलिए उनकी आस्था इस मंदिर से जुड़ी है। ये युवा महिला आयोग, बाल आयोग की तरह इंकबाल आयोग की अलग से गठन की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि कोई भी शहीदों पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर देता है। अलग से आयोग का गठन होने से शहीदों के खिलाफ टिप्पणी नहीं होगी। यदि कोई ऐसा करेगा तो आयोग अपने स्तर पर कड़ी कार्रवाई कर सकता है।
ये बड़े लोग कर चुके हैं दर्शन
इंकलाब मंदिर में आरएसएस के राष्ट्रीय प्रचारक इंद्रेश जी, शहीद उधम सिंह के वंशज, शहीद मंगल पांडे के वंशज, चंबल की घाटी से समाजसेवी आलम, कारगिल व 26 -11 के योद्धा कमांडो रामेश्वर श्योराणा, पूर्व राज्य मंत्री कर्णदेव कांबोज, पूर्व विधायक श्याम सिंह राणा, हॉकी के पूर्व कप्तान व मौजूदा राज्य मंत्री, संदीप सिंह सूरमा डीसी रोहताश सिंह खर्ब, फिल्म प्रमाणन बोर्ड के सदस्य इकरार मोहम्मद सहित, एसडीएम प्रेम चंद, पूर्व सांसद कैलाशो सैनी सहित अन्य बड़ी हस्तियां यहां शहीदों के मंदिर में आकर नमन कर चुके हैं। मंदिर की ओर से भगत सिंह व शहीद उधम सिंह की जयंती पर बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। जिससे क्षेत्र के प्रतिभाशाली बच्चे देशभक्ति गीतों पर प्रस्तुति देते हैं। मौके पर मेधावी छात्रों व समाज में अच्छा काम करने वालों को सम्मानित भी किया जाता है, ताकि समाज में अच्छे काम करने वालों के प्रति पॉजीटिव संदेश पहुंचे।
रो पड़े थे उधम सिंह के वंशज
गत वर्ष शहीद उधम सिंह के वंशज खुशी चंद इकलांब मंदिर में आए। कदम रखते ही उनके आंसू झलक पड़े। शहीदों की प्रतिमा देख बोले- कोई तो हैं जो अमर शहीदों को दिल से याद कर रहा है। शहीदों की बदौलत ही हम सभी खुली हवा में सांस ले रहे हैं। इसके अलावा चंबल की घाटी से आए समाजसेवी आलम तीन दिन में यहां पहुंचे। देखकर कर हैरान रह गए। उनकी जुबां पर ही भी यही बात थी कि शहीदों का ऐसा मंदिर उन्होंने पहले कहीं नहीं देखा। गुमथला राव में बने इंकलाब मंदिर के बारे में सुना था, लेकिन आज दर्शन भी हो गए।
मंगल सिंह पांडेय के वंशज भी आते हैं नियमित
1857 की क्रांति का बिगुल बजाने वाले शहीद मंगल सिंह पांडेय के पांचवीं पीढ़ी के वंशज देवी दयाल पांडेय वंशज रादौर में रहते हैं। उनका कहना है कि इंकलाब मंदिर में आकर अच्छा लगता है। यहां पर साकारात्मक ऊर्जा है। युवाओं के लिए संदेश देते हैं कि शहीदों की सच्ची सेवा व श्रद्धांजलि यही है कि सभी को राष्ट्रहित के लिए ईमानदारी से कार्य करने चाहिए। शहीदों के सपनों को साकार करने के लिए हमेशा प्रयास करना चाहिए।
यह भी खास
एडवोके वरयाम सिंह ने 650 शहीदों का रिकार्ड जुटाया हुआ है। उन्हीं के प्रयासों से भगत सिंह की फोटो वाले सिक्के जारी कराए। अब इंकलाब आयोग के गठन की लड़ाई लड़ रहे हैं। उनका कहना है कि इंकलाब आयोग बनवाकर ही दम लेंगे। वे अपना और अपने बच्चों का जन्म दिन मनाने भूल जाते हैं, लेकिन शहीदों का जन्म दिन मनाना कभी नहीं भुलते। शिक्षण संस्थानों से भी बच्चे यहां शहीदों को नमन करने आते हैं।
लंबी चली लड़ाई
वरयाम सिंह ने बताया कि उन्होंने 2005 में एंटी क्रप्शन सोसाइटी का गठन किया। शहीदों के सम्मान में कार्यक्रम करने का सिलसिला 1999 से चल रहा है। शहीद भगत सिंह की फोटो वाले सिक्के जारी कराने की ठानी। हमारी मांग पर 17 सितंबर 2007 में शहीद भगत सिंह के गांव खटखटा कलां से केंद्रीय मंत्री अंबिका सोनी ने इसकी शुरुआत की। इसके साथ ही 29 जुलाई 2010 को हरियाणा सरकार के गृहमंत्री ने हमारी मांग पर आदेश जारी किए कि प्रदेश की हर पुलिस चौकी, थाना और एसपी आफिस में शहीद भगत सिंह की फोटो लगाई गई।
इनका रहा योगदान
एडवोकट वरयाम सिंह बताते हैं कि इंकलाब मंदिर की स्थापना के लिए ग्राम पंचायत गुमथला, हरियाणा एंटी करप्शन सोसाइटी, इंकलाब शहीद स्मारक चैरिटेबल ट्रस्ट, क्षेत्र के अन्य लोगों का काफी योगदान रहा है। इस पुनीत कार्य के लिए लोग अब आसपास के अन्य लोग भी योगदान के लिए आगे आने लगे हैं।