जाट आंदोलन: सरकार व जाट प्रतिनिधियों के बीच वार्ता, सीबीआइ केस वापस नहीं होंगे वापस

सरकार व जाट नेताओं के प्रतिनिधियों के बीच केस वापस लेने को समीक्षा शुरू हो गई है। अब कमेटी की वार्ता लगातार होगी। वार्ता में सीबीआइ से केस वापस लेने पर सहमति नहीं बनी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Tue, 21 Feb 2017 05:49 PM (IST) Updated:Tue, 21 Feb 2017 09:05 PM (IST)
जाट आंदोलन: सरकार व जाट प्रतिनिधियों के बीच वार्ता, सीबीआइ केस वापस नहीं होंगे वापस
जाट आंदोलन: सरकार व जाट प्रतिनिधियों के बीच वार्ता, सीबीआइ केस वापस नहीं होंगे वापस

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा में पिछले जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हुई हिंसा के कारण जिन लोगों पर सीबीआइ केस दर्ज हुए, वह किसी सूरत में वापस नहीं हो सकेंगे। दिल्ली स्पेशल पुलिस रि-स्टेबलिशमेंट एक्ट में तो इसका प्रावधान है ही, सुप्रीम कोर्ट के भी इस बारे में स्पष्ट आदेश हैैं। जांच-पड़ताल के बाद सीबीआइ जब तक ऐसे केस में क्लोजर रिपोर्ट नहीं देगी, तब तक केस वापस नहीं हो सकेंगे।

हरियाणा के एडवोकेट जनरल बलदेव राज महाजन ने कुछ इसी तरह की राय जाहिर की है। मंगलवार शाम को एडवोकेट जनरल के कार्यालय में प्रदेश सरकार और जाट नेताओं के प्रतिनिधियों के बीच लंबी बातचीत हुई। पानीपत में सोमवार को हुई वार्ता के दौरान आंदोलनकारियों पर दर्ज मुकदमों की समीक्षा के लिए चार सदस्यीय कमेटी का गठन करने पर सहमति बनी थी।

प्रदेश सरकार की ओर से इस कमेटी में एडीशनल एडवोकेट जनरल परविंद्र चौहान (करनाल) और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) मोहम्मद अकील शामिल हैैं, जबकि जाट नेताओं की तरफ से एडीशनल एडवोकेट जनरल रणधीर सिंह और हाईकोर्ट के अधिवक्ता एसएस खर्ब को कमेटी में रखा गया है। एडवोकेट जनरल के कार्यालय में सबसे पहले सीबीआई द्वारा दर्ज केसों की समीक्षा की गई। वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु के घर आगजनी के मामलों में सरकार ने सीबीआइ जांच सौंप रखी है। तीन-चार मामलों में 21 व्यक्ति अभियुक्त हैैं, जबकि 11 व्यक्ति ऐसे हैैं, जिन पर कड़े आरोप हैैं।

एडवोकेट जनरल ने कमेटी के सदस्यों से चर्चा के दौरान कहा कि सीबीआई केंद्र सरकार के अधीन आती है। सीबीआई के एक बार केस दर्ज करने के बाद न तो राज्य सरकार इसे वापस लेने के लिए कह सकती है और न ही केस दर्ज कराने वाला व्यक्ति इन केसों को वापस लेने का दबाव बना सकता है। उसके खुद के कहने से भी सीबीआइ केस वापस लेने की कोई पावर नहीं रखती। चर्चा के दौरान सुप्रीम कोर्ट के आदेश और दिल्ली स्पेशल पुलिस रि-स्टेबलिशमेंट एक्ट के प्रावधानों पर बातचीत की गई। एडवोकेट जनरल ने बताया कि सीआरपीसी की धारा 321 में भी सीबीआइ केस वापस नहीं लेने का प्रावधान है।

सरकार के रुख से बातचीत पर लगा ब्रेक

एडवोकेट जनरल की मौजूदगी में कमेटी की यह बातचीत अब लगातार जारी रहने पर संशय बन गया है। अगले तीन-चार दिन तक हर रोज विभिन्न मामलों की समीक्षा होनी थी, लेकिन पहले दिन ही सीबीआइ के मुकदमे वापस नहीं लेने की बात कहकर सरकार ने इस बातचीत पर ब्रेक लगा दिया है।

सीबीआइ केस पर बीच का रास्ता निकालने की कोशिश

आंदोलनकारियों के प्रतिनिधि यदि वार्ता जारी रखते हैं तो सीबीआइ केस में बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की जा सकती है। इस बात का विकल्प दिया जा सकता है कि यदि मुकदमे वापस लेने में कानूनी बाधा है तो उनकी पैरवी इस ढंग से की जाए कि अभियुक्तों को राहत मिल सके।

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ढेसी कमेटी ने सरकार को दी आंदोलनकारियों से बातचीत की रिपोर्ट

हरियाणा के आंदोलनकारी जाट नेताओं से बातचीत कर लौटी ढेसी कमेटी के सदस्यों ने मंगलवार शाम को मुख्यमंत्री मनोहर लाल को वार्ता की पूरी रिपोर्ट सौंपी। मुख्य सचिव डीएस ढेसी के नेतृत्व वाली कमेटी के अधिकतर सदस्यों के अलावा मंत्री समूह के चुनींदा मंत्री इस दौरान मौजूद रहे। ढेसी कमेटी ने आंदोलनकारियों की सभी मांगों से सरकार को अवगत कराया और अगले दौर की बातचीत के लिए दिशा निर्देश मांगे।

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मुख्य सचिव डीएस ढेसी व गृह सचिव रामनिवास ने मुख्यमंत्री को शाम पांच बजे के बाद उनके निवास पर पूरी जानकारी दी। आंदोलनकारी जघन्य केस वापस लेने की मांग भी कर रहे हैैं। कमेटी ने कहा कि इस संबंध में सरकार को ही कोई फैसला लेना होगा। कमेटी पहले ही घायलों को दो लाख रुपये मुआवजा देने का भरोसा दिला चुकी है।

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पहले संभावना जताई जा रही थी कि ढेसी कमेटी के सदस्य सुबह होने वाली मंत्री समूह की बैठक में ही सभी मंत्रियों के सामने मुख्यमंत्री को पानीपत की बातचीत की रिपोर्ट देंगे। कुछ मंत्रियों ने इस बारे में पूछा भी, जिस पर बताया गया कि मुख्यमंत्री ने सभी अधिकारियों को बातचीत के लिए शाम को अपने निवास पर बुलाया है।

तीसरी बातचीत के लिए अभी समय तय नहीं हुआ है लेकिन माना जा रहा कि विधानसभा के बजट सत्र से पहले यानी 24 या 25 फरवरी को यह बैठक हो सकती है। सरकार नहीं चाहती कि बजट सत्र में इस आंदोलन को लेकर किसी तरह का हंगामा खड़ा हो, इसलिए पहले ही सभी मुद्दों पर सहमति बनाने के प्रयास किए जा सकते हैं। बजट सत्र 27 फरवरी से आरंभ होगा।

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