हाई कोर्ट से मिली किसानों को राहत, धान की खेती पर रोक की अधिसूचना पर ब्रेक

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने किसानों को राहत दी है। हाई कोर्ट ने सरकार के उस फैसले पर रोक लगा दी है जिसमें धान की खेती पर रोक लगाई गई थी।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Fri, 19 Jun 2020 11:09 AM (IST) Updated:Fri, 19 Jun 2020 11:09 AM (IST)
हाई कोर्ट से मिली किसानों को राहत, धान की खेती पर रोक की अधिसूचना पर ब्रेक
हाई कोर्ट से मिली किसानों को राहत, धान की खेती पर रोक की अधिसूचना पर ब्रेक

जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार के 20 और 22 मई के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें मेरा गांव मेरा पानी विरासत के तहत शामलात जमीन पर धान की खेती पर रोक के आदेश दिए गए थे। इसी के साथ हाई कोर्ट ने याचिका को एडमिट कर दिया है। हाई कोर्ट के जस्टिस अजय तिवारी पर आधारित बेंच ने यह आदेश कुरुक्षेत्र जिले के किसानों की याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया।

कुरुक्षेत्र के पिहोवा ब्लाक के गांव गढ़ी लांगरी के तीन दर्जन से अधिक किसानों ने हरियाणा सरकार की उस अधिसूचना को चुनौती दी थी जिसके तहत सरकार ने पंचायतों से जमीन पट्टे पर लेकर उसमें धान की फसल लगाने पर रोक लगा दी थी। किसानों ने याचिका दायर कर हरियाणा सरकार की अधिसूचना पर तुरंत रोक की मांग की थी। याचिका के अनुसार 'मेरा पानी, मेरी विरासत' योजना के तहत राज्य के 19 ब्लॉक चुने जाते हैं, जहां जलस्तर 40 मीटर से ज्यादा है। मतलब 40 मीटर तक जमीन की खुदाई करो, तो भी पानी न मिले. इसके अलावा पंचायत की वो जमीन, जहां 35 मीटर से ज्यादा का जलस्तर है, वहां धान की खेती पर रोक लगा दी गई।

योजना के अनुसार किसान को अपने धान के क्षेत्र में 50 फीसद हिस्से में वैकल्पिक फसलें उगानी होंगी। जैसे- मक्का, कपास, बाजरा, दलहन फसलें, सब्जी, बागवानी। यानी किसी के पास चार एकड़ ज़मीन है, तो उसे दो एकड़ जमीन में वैकल्पिक फसलें उगानी होंगी।

वैकल्पिक खेती को अपनाने के लिए 7,000 रुपये प्रति हेक्टेयर प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। यह राशि दो किस्तों में दी जाएगी। किसानों ने कोर्ट को बताया कि पीने के पानी के लिए या कृषि कार्यों के लिए ट्यूबवेल स्थापित करने पर उनके यहां कोई प्रतिबंध नहीं है और इस प्रकार पूरे ब्लॉक को उपरोक्त अधिसूचना के तहत रखा जाना कानून की नजर में उचित नहीं है। उनके यहां पानी की कोई कमी नहीं है। विपरीत इसके अगर यहां धान की खेती नहीं की गई तो पानी के कारण उनकी जमीन खराब हो सकती है। सरकार ने उनके गांव को भी उन ब्लाक में शामिल कर दिया जिसमें पानी का लेबल काफी नीचे है।

याचिका में बताया गया कि मेरा पानी मेरी विरासत योजना के तहत सरकार ने बगैर किसी वैज्ञानिक जांच के उनके गांव में पंचायती जमीन पट्टे पर लेकर उसमें धान की फसल लगाने पर रोक लगा दी। कोर्ट को बताया गया कि उनके गांव में पानी का स्तर ठीक है। वीरवार को हरियाणा के एडवोकेट जनरल ने इस मामले में सरकार का पक्ष रखा। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने पूरी अधिसूचना पर रोक के आदेश जारी कर याचिका को एडमिट कर दिया।

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