बिजली सुधारों में दूसरे पायदान पर पहुंची हरियाणा की पावर कंपनियां, जानें घाटे से कैसे आई मुनाफे में

हरियाणा में एक समय था कि बिजली कंपनियां भारी घाटे में चल रही थीं और लाइन लास से परेशान थीं। लेकिन बिजली सुधार कदमों की बदौलत आज हालात पूरी तरह बदल चुके हैं। हरियाणा की बिजली सुधार के मामले में राज्‍य की पावर कंपनियां देश में दूसरे स्‍थान पर हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Thu, 14 Oct 2021 11:33 AM (IST) Updated:Thu, 14 Oct 2021 11:33 AM (IST)
बिजली सुधारों में दूसरे पायदान पर पहुंची हरियाणा की पावर कंपनियां, जानें घाटे से कैसे आई मुनाफे में
बिजली सुधारों के मामले में हरियाणा की पावर कंप‍नियां देश में दूसरे स्‍थान पर हैं। (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में एक समय बिजली व्‍यवस्‍था का बुरा हाल था और राज्‍य की पावर कंपनियां घाटे में थीं। बिजली सुधारों के कदमों से अब हालात पूरी तरह बदल चुके हैं और राज्‍य के पावर कंपनियां मुनाफे में हैं। बिजली वितरण में सुधारों के मामले में हरियाणा की बिजली कंपनियां दिल्ली के बाद दूसरे पायदान पर पहुंच गई हैं। दिल्ली में जहां बिजली वितरण निजी हाथों में है, वहीं प्रदेश में यह काम सरकारी कंपनियों के हवाले है। खास बात यह कि प्रदेश उन आठ राज्यों में शुमार हो गया है, जहां की बिजली वितरण कंपनियां (डिस्काम) मुनाफे में हैं।

नीति आयोग ने तत्कालीन प्रबंध निदेशक शत्रुजीत कपूर को दिया प्रदर्शन में सुधार का श्रेय

नीति आयोग ने प्रदर्शन में सुधार का श्रेय हरियाणा सरकार की मजबूत व ठोस नीतियों के साथ ही तत्कालीन प्रबंध निदेशक शत्रुजीत कपूर को दिया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल का उन्हें सुधार की नीतियां लागू करने में पूरा सहयोग मिला है। नतीजा यह रहा कि बिजली निगम घाटे से उबरने में सफल रहे। आंतरिक सुधारों पर फोकस और कर्मचारियों की कार्यक्षमता में सुधार से यह संभव हुआ।

नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2012-13 में लाइन लास (एटीएंडसी लास)

27 फीसद था जो 2018-19 में घटकर 18.1 फीसद पहुंच गया। इसी तरह सर्विस की औसत लागत (एसीएस) और औसत राजस्व प्राप्ति (एआरआर) का अंतर वर्ष 2012-13 में 0.94 की तुलना में वर्ष 2018-19 में माइनस 0.05 रह गया। वर्ष 2012-13 में बिजली वितरण कंपनियां जहां 23 हजार 358 करोड़ रुपये के घाटे में थी, वहीं 2018-19 में यह 281 करोड़ रुपये के मुनाफे में पहुंच गईं।

बिजली सुधारों में उदय योजना काफी कारगर रही जिसके तहत बिजली निगमों का करीब 26 हजार करोड़ रुपये का घाटा प्रदेश सरकार ने अपने ऊपर ले लिया। यह साहस मुख्यमंत्री मनोहर लाल और तत्कालीन वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने कर दिखाया है। इससे बिजली कंपनियों पर ब्याज के बोझ में कमी आई है।

बेहतरीन टैरिफ पालिसी, प्रबंधन और परिचालन उपाय, प्रदर्शन आधारित स्थानांतरण नीति, सीएमडी के नियमित दौरे और फील्ड स्टाफ के साथ निरंतर वार्ता, रिवार्ड नीति, सतर्कता कार्य के लिए पुरस्कार योजना, बिजली चोरों पर शिकंजा कसते हुए जुर्माना वसूली जैसे कदमों से स्थिति में तेजी से सुधार आया है।

बिजली वितरण निगम घाटे से निकल ऐसे आए मुनाफे में

 वर्ष -                             स्थिति 2009-10 -          1,592 करोड़ रुपये का घाटा 2010-11 -           1,084 करोड़ रुपये का घाटा 2011-12 -          13,203 करोड़ रुपये का घाटा 2012-13 -           3,649 करोड़ रुपये का घाटा 2013-14 -          3,554 करोड़ रुपये का घाटा 2014-15 -           2,117 करोड़ रुपये का घाटा 2015-16 -          808 करोड़ रुपये का घाटा 2016-17 -         193 करोड़ रुपये का घाटा 2017-18 -         412 करोड़ रुपये का मुनाफा 2018-19 -        281 करोड़ रुपये का मुनाफा

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लाइन लास 15 फीसद और हर गांव में 24 घंटे बिजली का लक्ष्य

 बिजली संप्रेषण व्यवस्था में सुधार तथा बिजली चोरी पर अंकुश लगाकर प्रदेश सरकार वर्तमान में लाइन लास को 17 फीसद पर ले आई है। साल के अंत तक इसे 15 फीसद पर लाने का लक्ष्य है। वर्तमान में प्रदेश के बिजली निगम करीब 500 करोड़ रुपये के फायदे में हैं।

हरियाणा के बिजली मंत्री रंजीत चौटाला व अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास ने बताया कि करीब 5300 गांवों में 24 घंटे बिजली की आपूर्ति की जाने लगी है। अगले साल तक सभी गांवों को 24 घंटे बिजली देने की योजना है। इसके लिए अधिकारियों को गांव दर गांव भेजकर लोगों को ज्यादा से ज्यादा बिलों का भुगतान करने तथा बिजली की चोरी रोकने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। प्रदेश के 76 फीसद गांवों और दस संपूर्ण जिलों पंचकूला, अंबाला, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, करनाल, गुरुग्राम, फरीदाबाद, सिरसा, रेवाड़ी और फतेहाबाद में 24 घंटे बिजली दी जा रही है।

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