पहली बार में ही विधायक और सीएम बनकर दिखाया राजनीतिक कौशल, विरोधी भी हुए कायल

पहली बार में ही विधायक और मुख्यमंत्री बने मनोहर लाल हरियाणा के चुनावी रण का खास चेहरा होंगे। मनोहर लाल ने लहरों के विपरीत तैरकर राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी बन गए।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Wed, 18 Sep 2019 10:00 AM (IST) Updated:Thu, 19 Sep 2019 08:32 AM (IST)
पहली बार में ही विधायक और सीएम बनकर दिखाया राजनीतिक कौशल, विरोधी भी हुए कायल
पहली बार में ही विधायक और सीएम बनकर दिखाया राजनीतिक कौशल, विरोधी भी हुए कायल

चंडीगढ़ [अनुराग अग्रवाल़]। हरियाणा में अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों की परफारमेंस तो अहम होगी ही, साथ ही चुनावी चेहरे भी बड़ा काम करेंगे। पहली बार में ही विधायक और मुख्यमंत्री बने मनोहर लाल हरियाणा के चुनावी रण का खास चेहरा होंगे। मनोहर लाल ने लहरों के विपरीत तैरकर जिस तरह बड़ी से बड़ी चुनौती को पार किया, उससे वह राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी बन गए।

यह उनकी राजनीतिक काबलियत का ही नतीजा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें रोहतक की विजय संकल्प रैली में अपना नाम (नमोहर) तक दे दिया। मोदी और मनोहर दोनों संगठन के आदमी हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल और उनके वर्किंग स्टाइल को समझने के लिए 2014 में चलते हैं। यह वह दौर था, जब मनोहर लाल करनाल से पहली बार विधायक चुने गए। हरियाणा के इतिहास में 47 सीटें जीतकर भाजपा पहली बार पूर्ण बहुमत तक पहुंची। अब बारी थी मुख्यमंत्री पद के लिए किसी एक सर्वमान्य नाम के चयन की।

सीएम की कुर्सी के लिए जबरदस्त लाबिंग हुई। एक तरफ प्रो. रामबिलास शर्मा का नाम तो दूसरी तरफ कैप्टन अभिमन्यु, ओमप्रकाश धनखड़ और अनिल विज की चर्चाएं चली। अचानक पता चला कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संगठन के अपने पुराने साथी मनोहर लाल को हेलीकाप्टर, सुरक्षाकर्मी और सरकारी तामझाम दे दिया। चंडीगढ़ के यूटी गेस्ट हाउस में भाजपा हाईकमान की ओर से वेकैया नायडू पर्यवेक्षक के तौर पर पहुंचे। विधायक दल की बैठक के बाद पता चला कि मनोहर लाल को नेता चुना गया। अब तो वह भाजपा का चेहरा ही बन चुके हैं।

तख्ता पलट की कोशिश को कर दिया नाकाम

अब सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर पांच साल के इतने छोटे से कार्यकाल में मनोहर लाल न केवल भाजपा बल्कि हरियाणा की राजनीति का सबसे बड़ा चेहरा कैसे बन गए? इसका जवाब सिर्फ को सिर्फ यही है कि उन्हें भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुलकर काम करने का मौका दिया। सरकार में कुछ विधायकों के विद्रोह करने के प्रयासों को हाईकमान ने न केवल पूरी तरह से नजर अंदाज कर दिया, बल्कि बार-बार यह संदेश देने की कोशिश की है कि उनकी तख्तापलट की कोशिश कामयाब नहीं होगी।

काम करने की शैली ने पहुंचाया फलक पर

मुख्यमंत्री मनोहर लाल के हाईकमान का अजीज बनने के पीछे उनकी कार्यशैली का भी अहम योगदान रहा है। मनोहर लाल ने अपने पांच साल के कार्यकाल में भ्रष्टाचार को आसपास भी फटकने नहीं दिया। तबादलों में पारदर्शिता कर ट्रांसफर उद्योग बंद कर दिया। पर्ची और खर्ची का सिस्टम बंद होने से नाई, धोबी, लुहार, मजदूर और रिक्शा वालों के बच्चे सरकारी नौकरियों में आना शुरू हो गए। चेंज आफ लैंड यूज (सीएलयू) की पावर सीएम ने निदेशक को सौंप दी। यही वह दौर था, जिसमें मनोहर लाल हरियाणा के लोगों की आंखों का तारा बन गए।

हाईकमान के हर टास्क को बखूबी दिया अंजाम

मुख्यमंत्री मनोहर लाल का कार्यकाल बेशक उतार-चढ़ाव भरा रहा, मगर पार्टी हाईकमान ने उन्हें जो भी टास्क दिया, वह उन्होंने बखूबी पूरा किया। मनोहर लाल के कार्यकाल में पांच नगर निगमों के चुनाव हुए, जिनमें भाजपा क्लीन स्विप कर गई। फिर जींद विधानसभा के उपचुनाव हुए, वहां भी भाजपा को बहुमत मिला। लोकसभा चुनाव में दावे किए जा रहे थे कि रोहतक में कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा और सोनीपत में भूपेंद्र हुड्डा भारी पड़ सकते हैं, लेकिन भाजपा ने इन दोनों सीटों सहित राज्य की सभी दस सीटों पर कमल खिलाया। अब मनोहर लाल की विधानसभा चुनाव में परीक्षा है।

केंद्रीय योजनाओं को मजबूती से किया लागू

हरियाणा कई मामलों में दूसरे राज्यों के लिए आदर्श रहा है। इसकी वजह मुख्यमंत्री मनोहर लाल ही हैं। केंद्रीय योजनाओं के लांचिंग पैड के रूप में हरियाणा में भी जो नई योजना शुरू हुई, उसे मनोहर लाल ने बखूबी लागू किया। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, पानी की बचत, परिवार समृद्धि, किसान पेंशन, उज्जवला, स्वच्छता अभियान, कैरोसीन से मुक्ति और खुले में शौच मुक्त राज्य ऐसी योजनाएं हैं, जिनमें शत प्रतिशत रिजल्ट हासिल किया।

 

डॉक्टर बनना चाहते थे, कपड़े की दुकान की, फिर संघ से जुड़े मनोहर लाल का जन्म 5 मई 1954 को रोहतक के निंदाणा में हुआ। विभाजन से पहले मनोहर लाल के दादा, पिता हरबंस लाल खट्टर एवं माता शांति देवी पश्चिमी पंजाब (अब पाकिस्तान का झंग जिला) में रहते थे। 1947 में मनोहर लाल के परिवार ने बंटवारे की त्राासदी को ङोला। उस समय परिवार सब कुछ छोड़ रोहतक के गांव निंदाणा में आ गया। मनोहर लाल के परिवार ने रोहतक के गांव बनियानी में खेती शुरू की। मनोहर लाल डॉक्टर बनना चाहते थे, लेकिन पिता खेती के पक्षधर थे। मेडिकल की प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए मनोहर ने दिल्ली का रुख किया। रिश्तेदार के संपर्क में उन्होंने दिल्ली के सदर बाजार के निकट कपड़े की दुकान खोल ली। व्यवसाय के साथ-साथ दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री ली। 1977 में मनोहर लाल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक के रूप में जीवन शुरू किया। मनोहर लाल ने आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लिया। वर्ष 1980 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्णकालिक प्रचारक बने। बतौर प्रचारक 14 वर्ष तक सेवाएं दी। 1994 में भाजपा में सक्रिय हुए।

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