बनने से पहले ही टूट गई शिअद-भाजपा की बात, दाेनों दलों का विधानसभा चुनाव में नहीं समझौता

हरियाणा में भाजपा और शिराेमणि अकाली दल की बात बनने से पहले ही टूट गई है। दोनाें दलों के बीच हरियाणा विधानसभा चुनाव में समझौता नहीं होगा।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Sun, 23 Jun 2019 10:20 AM (IST) Updated:Sun, 23 Jun 2019 08:03 PM (IST)
बनने से पहले ही टूट गई शिअद-भाजपा की बात, दाेनों दलों का विधानसभा चुनाव में नहीं समझौता
बनने से पहले ही टूट गई शिअद-भाजपा की बात, दाेनों दलों का विधानसभा चुनाव में नहीं समझौता

नई दिल्ली, [बिजेंद्र बंसल]। हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी किसी दल से समझौता नहीं करेगी। जाहिर है कि इस फैसले से यह भी तय हो गया है कि शिरोमणि अकाली दल के साथ भी विधानसभा चुनाव में कोई गठबंधन नहीं होने जा रहा है। इस तरह हरियाणा में भाजपा और शिअद के बीच बनने से पहले ही बातचीत टूट गई है।

सूत्र बताते हैं कि रोहतक प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष, संगठन महामंत्री और तीनों महामंत्रियों के साथ बैठक में साफ तौर पर कह दिया है कि हम सिख समुदाय को पूरा मान-सम्मान दे रहे हैं और देते रहेंगे, लेकिन किसी भी दल से समझौता नहीं करेंगे।

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दरअसल में हरियाणा की राजनीति में अकाली दल हमेशा इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) का साथी रहा है, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में अकाली दल ने दस लोकसभा सीटों पर भाजपा का समर्थन कर विधानसभा चुनाव में गठबंधन के संकेत देने के प्रयास किए थे। हालांकि अकाली दल के नेताओं की गठबंधन संबंधी एकतरफा सोच का कभी भाजपा के नेताओं ने समर्थन नहीं किया। अकाली दल के नेता ही गठबंधन की एकतरफा चर्चा करते रहे हैं।

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अकाली दल से समझौता नहीं होने के राजनीतिक कारण भी

शिरोमणि अकाली दल पंजाब आधारित राजनीतिक पार्टी है। हरियाणा में चूंकि अकाली दल के प्रमुख प्रकाश सिंह बादल और पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल के बीच दोस्ती रही तो इसके चलते इनके बीच राजनीतिक रिश्ते भी बढ़ते चले गए। पंजाब से लगते सिरसा जिला में इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) अकाली दल के साथ मिलकर चुनाव लड़ती रही है।

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इनेलो के साथ अकाली दल के राजनीतिक रिश्ते खत्म होने के पीछे एसवाईएल नहर निर्माण का मुद्दा है। इनेलो ने इस मुद्दे को प्रमुख से उठाया हुआ है और अकाली दल इस पर पंजाब के हितों की ही रक्षा करता है। यही एक बड़ा कारण है कि भाजपा भी अकाली दल से कोई समझौता नहीं करना चाहती क्योंकि अकाली दल से समझौते के कारण उसकी 30 सीटों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। असल में ये 30 सीटें वे हैं जिनमें सिंचाई के पानी की कमी रहती है।

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'' भाजपा ने 90 में से 75 सीट जीतने का नारा देकर 15 सीटें तो खुद अकाली दल के लिए छोड़ दी हैं। अब बकाया 15 सीटों के लिए भाजपा से चर्चा होनी है। हमारे पास आंकड़े हैं कि हरियाणा में सिख समुदाय 30 सीटों पर राजनीतिक वर्चस्व रखता है। इसलिए हमारी पार्टी के वरिष्ठ नेता भाजपा आलाकमान के समक्ष राज्य में अकाली दल के लिए 30 सीट की मांग रख रहे हैं।

                                                                       - प्रेम सिंह चंदूमाजरा, वरिष्ठ नेता शिरोमणि अकाली दल।

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'' हरियाणा में भाजपा ने दस लोकसभा सीटों पर अपने बल पर जीत दर्ज की है। शिरोमणि अकाली दल के साथ पार्टी का पंजाब में समझौता है, लेकिन हरियाणा में भाजपा को किसी भी दल के साथ समझौता करने की जरूरत नहीं है। सिख समुदाय को सम्मान देने का काम भाजपा अकाली दल से ज्यादा कर रही है।

                                                                                    - सुभाष बराला, हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा।

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