जस्टिस ढींगरा आज सौंप सकते हैं रिपोर्ट, भयभीत हुड्डा ने गवर्नर से लगाई गुहार

गुडगांव के भूमि सौदे की जांच के लिए गठित जस्टिस एसएन ढींढसा आयोग बृहस्‍पतिवार को अपनी रिपोर्ट सरकार को पेश करने के लिए तैयार है। जस्टिस ढींढसा ने सरकार से समय मांगा है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Wed, 29 Jun 2016 07:43 PM (IST) Updated:Thu, 30 Jun 2016 12:17 PM (IST)
जस्टिस ढींगरा आज सौंप सकते हैं रिपोर्ट,  भयभीत हुड्डा ने गवर्नर से लगाई गुहार

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा की पिछली हुड्डा सरकार के कार्यकाल में एनसीआर में कॉलोनियों के लिए जारी लाइसेंस की जांच कर रहे जस्टिस एसएन ढींगरा आयोग का कार्यकाल बृहस्पतिवार को पूरा हो रहा है। जस्टिस ढींगरा इसी दिन अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप सकते हैं। उनको अब सरकार के बुलावे का इंतजार है। उन्होंने रिपोर्ट सौंपने के लिए सरकार से समय मांगा है।

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ढींगरा आयोग का गठन छह माह के लिए हुआ था, लेकिन सरकार द्वारा उनके कामकाज का दायरा बढ़ा देने की वजह से रिपोर्ट तैयार करने में एक साल से अधिक का समय लग गया। दूसरी ओर, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पेश्ा होने से पहले ही आयोग और उसकी रिपोर्ट रिपोर्ट सवाल उठा दिए हैं। उन्होंने राज्यपाल को पत्र लिखकर इसे खारिज करने की मांग की है।

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जस्टिस ढींगरा आयोग ने 30 जून 2015 से काम शुरू किया था। सरकार ने शुरू में गुडग़ांव के सेक्टर 83 में वाणिज्यिक कालोनियों के विकास के लिए जारी लाइसेंस की जांच आयोग को सौंपी थी, लेकिन बाद में गुडग़ांव के चार गांवों सिही, शिकोहपुर, खेड़की दौला और सिकंदरपुर बड़ा में सभी प्रकार की कालोनियों के लिए जारी लाइसेंसों की जांच भी आयोग को सौंप दी गई।

विधानसभा में टेबल करनी होगी सरकार को रिपोर्ट

इन गांवों में सेक्टर 78 से 86 तक का एरिया शामिल है। इस एरिया में अधिकतर प्राइवेट बिल्डर व कालोनाइजर सहित वाड्रा की कंपनी को लाइसेंस जारी हुए हैैं। जस्टिस ढींगरा की इस रिपोर्ट का काफी समय से इंतजार किया जा रहा है।

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ढींगरा आयोग वैधानिक संस्था है, जिसकी रिपोर्ट सरकार को विधानसभा में टेबल करनी होगी। 26 गवाहों के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार हुई है, लेकिन वाड्रा या हुड्डा के बयान इस रिपोर्ट में नहीं हैं। जस्टिस ढींगरा ने इस अवधि के बाद अपना कार्यकाल बढ़वाने से इनकार कर दिया है।

हुड्डा ने उठाए ढींगरा आयोग पर सवाल

दूसरी ओर, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने जस्टिस एसएन ढींगरा आयोग का कार्यकाल पूरा होने और उसकी रिपोर्ट सामने आने की संभावना से एक दिन पहले इस आयोग की वैधानिकता पर सवाल उठाए हैैं। आयोग के रिपोर्ट देने से एक दिन पहले हुड्डा ने राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी को पत्र लिखकर कहा है कि ढींगरा आयोग का गठन नियमों के विरुद्ध, बदनीयत से तथा राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया गया है।

हुड्डा को अपने और वरिष्ठ नेताओं को तंग करने की आशंका

पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा ने कहा कि जस्टिस ढींगरा आयोग का गठन करने के लिए कैबिनेट की मंजूरी भी नहीं ली गई। आयोग का गठन गुडग़ांव के केवल एक सेक्टर 83ए में औद्योगिक कॉलानियों के लाइसेंस की जांच के लिए किया गया था। इस तरह के लाइसेंस सरकार की पालिसी के तहत वर्ष 1981 से लगातार सारे राज्य में दिए गए हैं। लाइसेंस जारी करने की नीति के बारे में पूरी जानकारी नगर तथा आयोजना विभाग हरियाणा की वेबसाइट पर दी गई है।

हुड्डा ने राज्यपाल को लिखी चिट्ठी में कहा है कि आयोग की जांच के दायरे में बदलाव कुछ समय बाद किया गया है। वह भी आयोग के अनुरोध पर। भाजपा सरकार आने से पहले ही उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने कई बार बयान दिए थे कि कांग्रेस नेताओं व उनके परिजनों के विरूद्ध कार्रवाई की जाएगी। आयोग की शर्तों से स्पष्ट होता है कि यह आयोग मुझे, कांग्रेस नेताओं और तत्कालीन मंत्रियों तथा उस समय में नियुक्त सरकारी अधिकारियों को तंग करने तथा उनके अपमान के लिए गठित किया गया है।

सरकार ने खुद किए लाइसेंस नीति में बदलाव

हुड्डा ने कहा कि जब भाजपा सरकार ने आते ही अपने स्तर पर लाइसेंस देने संबंधी नीति के पैरामीटर को लचीला किया तो फिर ढींगरा आयोग के गठन का औचित्य क्या है। भाजपा सरकार के पास ऐसे कोई ठोस तथ्य नहीं थे, जिसके आधार पर कमीशन ऑफ इन्कवारी एक्ट 1952 के अंतर्गत इस आयोग को गठित करने की आवश्यकता पड़ी।

''आयोग ने कई बार सूचनाएं लीक की'

हुड्डा ने कहा कि ढींगरा आयोग द्वारा अपने स्तर पर कई बार सूचनाएं लीक की गई, जिससे उन्हें आघात पहुंचा है। आयोग बार बार अपने कार्यकाल में वृद्धि करवा रहा है, जिसने उन्हें अनावश्यक परेशानी हो रही है।

' सरकार से कहें, विरोधियों को परेशान न करे'

हुड्डा ने राज्यपाल से अनुरोध किया है कि वे इस मामले को देखें तथा संवैधानिक मूल्यों व कानून के अधीन नियमों की रक्षा करते हुए वर्तमान सरकार को विरोधी पार्टी के नेताओं को परेशान नहीं करने के निर्देश दें तथा आयोग के गठन को ही रद करें।

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