RS की दो सीटों के लिए 26 मार्च को चुनाव, सत्‍ता पक्ष व कांग्रेस में एक-एक Seat बंटने के आसार

हरियाणा में राज्‍यसभा की दो सीटों के लिए चुनाव 26 मार्च को होगा। सत्‍ताधारी भाजपा-जजपा और कांग्रेस के बीच एक-एक सीट बंटने की संभावना है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Tue, 25 Feb 2020 05:21 PM (IST) Updated:Wed, 26 Feb 2020 08:54 AM (IST)
RS की दो सीटों के लिए 26 मार्च को चुनाव, सत्‍ता पक्ष व कांग्रेस में एक-एक Seat बंटने के आसार
RS की दो सीटों के लिए 26 मार्च को चुनाव, सत्‍ता पक्ष व कांग्रेस में एक-एक Seat बंटने के आसार

चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा से खाली हुई राज्यसभा की दो सीटों के लिए 26 मार्च को चुनाव होगा। इसके लिए नेताओं ने लाबिंग शुरू कर दी है। एक सीट इनेलो के टिकट पर राज्यसभा पहुंचे रामकुमार कश्यप के इस्तीफा देने से खाली हुई। दूसरी सीट 9 अप्रैल को कांग्रेस की राज्यसभा सदस्य कुमारी सैलजा का कार्यकाल पूरा होने के बाद खाली होनी है। दोनों सीटों पर भाजपा-जजपा गठबंधन के साथ ही कांग्रेस नेता जबरदस्त लाबिंग में जुट गए हैैं।

लाबिंग में जुटे दिग्गज, रामकुमार कश्यप और कुमारी सैलजा का कार्यकाल पूरा होने पर होंगे चुनाव

राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद रामकुमार कश्यप भाजपा में शामिल हो गए थे और करनाल जिले की इंद्री विधानसभा सीट से चुनाव जीत गए थे। तब से यह सीट खाली है। इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला ने फरवरी 2014 में रामकुमार कश्यप को राज्यसभा चुनाव में टिकट दिया  था। कश्यप ने ऐसे समय में राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया था, जब उनका कार्यकाल पूरा होने वाला था और इनेलो बिखराव के दौर से गुजर रहा था।   

फरवरी 2014 में ही कांग्रेस की कुमारी सैलजा राज्यसभा की सदस्य बनी थीं। उनका कार्यकाल 9 अप्रैल तक है,  लेकिन इस सीट के लिए भी 26 मार्च को ही चुनाव हो जाएगा। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 151-ए के तहत अगर खाली हुई सीट के लिए निवर्तमान राज्यसभा सदस्य का शेष कार्यकाल एक वर्ष से कम हो तो ऐसी परिस्थिति में उस सीट के लिए चुनाव आयोग इसके लिए उपचुनाव नहीं करवाता है।

भाजपा में जातीय समीकरणों के आधार पर पूर्व मंत्री ओमप्रकाश धनखड़, प्रो. रामबिलास शर्मा, कैप्टन अभिमन्यु और सुधा यादव के नाम चर्चा में हैं। कांग्रेस में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और रणदीप सिंह सुरजेवाला के नाम लिए जा रहे हैं। सैलजा को भी दोबारा राज्यसभा भेजा जा सकता है। यह भी माना जा रहा है कि जजपा की भी राज्‍यसभा सीट पर नजर है, लेकिन भाजपा फिलहाल दुष्यंत की पसंद के उम्मीदवार को भाव देने में ज्यादा जल्दबाजी नहीं दिखाएगी।

बीरेंद्र सिंह की खाली सीट पर होगा उपचुनाव

हरियाणा में हालांकि एक सीट चौ. बीरेंद्र सिंह के इस्तीफा देने की वजह से खाली हुई है, लेकिन उनका राज्यसभा में कार्यकाल अगस्त 2022 तक था। लिहाजा इस रिक्त सीट पर नियमित चुनाव की बजाय उपचुनाव होगा, जिसका शेड्यूल बाद में घोषित किया जाएगा। हरियाणा में राज्यसभा की कुल पांच सीटें हैैं। अब निर्दलीय टिकट पर भाजपा समर्थित सुभाष चंद्रा तथा भाजपा के डीपी वत्स राज्यसभा में हरियाणा का प्रतिनिधित्व कर रहे हैैं।

दल बल के बूते एक सीट भाजपा व एक कांग्रेस को मिलेगी

हरियाणा में राज्यसभा की खाली हुई दोनों सीटों के लिए लाबिंग में कई कद्दावर नेता जुटे हैैं। जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए राजनीतिक दल किसी भी नेता को राज्यसभा भेजेंगे। विधानसभा में 90 विधायक हैैं। भाजपा विधायकों की संख्या 40, कांग्रेस के 31, जननायक जनता पार्टी के 10, एक-एक हलोपा व इनेलो तथा सात निर्दलीय विधायक हैैं। दस जजपा और सात निर्दलीय विधायकों में से छह ने भाजपा को समर्थन दे रखा है। महम के विधायक बलराज कुंडू की अलग ही राह है। विधायकों की संख्या के आधार पर नियमित चुनाव के दौरान एक सीट भाजपा-जजपा गठबंधन के खाते में तो दूसरी सीट कांग्रेस को मिलनी तय मानी जा रही है।

उपचुनाव में जीते थे बीरेंद्र सिंह और सुरेश प्रभु

हरियाणा में दो राज्यसभा सीटों के लिए पिछली बार उपचुनाव वर्ष 2014 में हुआ था। तब तत्कालीन कांग्रेस नेता बीरेंद्र सिंह ने कांग्रेस से त्यागपत्र देकर भाजपा ज्वाइन कर ली थी। तत्कालीन इनेलो नेता रणबीर सिंह गंगवा ने विधानसभा चुनाव में मिली जीत के चलते नलवा सीट अपने पास रखी और राज्यसभा की सीट छोड़ दी थी। इन दोनों रिक्त सीटों के लिए कार्यकाल चूंकि एक साल से ज्यादा बचा हुआ था, इसलिए इन पर उपचुनाव कराया गया था, जिसमें बीरेंद्र सिंह और तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु भाजपा से राज्यसभा में निर्वाचित हुए थे।

उपचुनाव में भाजपा-जजपा गठबंधन के पास जाएगी एक सीट

हरियाणा में अब बीरेंद्र सिंह का राज्यसभा की सदस्यता से त्यागपत्र स्वीकार हो चुका है। हालांकि उनके इस्तीफा भेजे जाने के 70 दिन बाद यह स्वीकार हुआ, लेकिन विधानसभा में विधायकों की संख्या के आधार पर राज्यसभा की एक सीट के लिए होने वाले उपचुनाव में भाजपा-जजपा गठबंधन के उम्मीदवार की जीत तय है, क्योंकि इसके लिए साधारण बहुमत की जरूरत है।

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