हुड्डा सरकार के लचीले कानून का लाभ उठाएंगे दलबदलू विधायक, पेंशन पर नहीं पड़ेगा असर

हरियाणा विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहराए गए पांच इनेलो विधायकों को पिछली हुड्डा सरकार में बने कानून का लाभ मिलेगा।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Mon, 16 Sep 2019 03:35 PM (IST) Updated:Tue, 17 Sep 2019 08:30 AM (IST)
हुड्डा सरकार के लचीले कानून का लाभ उठाएंगे दलबदलू विधायक, पेंशन पर नहीं पड़ेगा असर
हुड्डा सरकार के लचीले कानून का लाभ उठाएंगे दलबदलू विधायक, पेंशन पर नहीं पड़ेगा असर

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहराए गए पांच इनेलो विधायकों को पिछली हुड्डा सरकार में बने कानून का लाभ मिलेगा। दल बदल कानून में अयोग्य ठहराए जाने के बावजूद इन विधायकों की पेंशन पर कोई विपरीत असर नहीं पड़ने वाला है। 2007 में हुड्डा सरकार ने कानून में संशोधन कर ऐसे विधायकों के पेंशन भत्ते जारी रखने का प्रावधान कर दिया था।

इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला की याचिका पर विधानसभा अध्यक्ष कंवरपाल गुर्जर ने फिरोजपुर झिरका से विधायक नसीम अहमद, डबवाली से नैना सिंह चौटाला, दादरी से राजदीप फौगाट, उकलाना से अनूप धानक एवं नरवाना से पिरथी सिंह नंबरदार को दल बदल का दोषी पाते हुए हरियाणा विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया था। नैना चौटाला, राजदीप फौगाट, अनूप धानक और पिरथी सिंह को 27 मार्च 2019 से, जबकि नसीम अहमद को 26 जुलाई 2019 से सदन की सदस्यता से अयोग्य घोषित किया गया।

विधानसभा अध्यक्ष के फैसले के अनुसार चूंकि पांचों विधायकों ने उनके विरूद्ध दल बदल विरोधी कानून के तहत दायर याचिकाएं लंबित होने की अवधि में इस्तीफे दिए, इसलिए वह दल बदल कानून में दोषी पाए जाने के कारण सदन की सदस्यता से अयोग्य किए गए हैं। इनेलो के बाकी विधायक अपने पद से त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल हुए, इसलिए उनकी दल बदल विरोधी कानून में अयोग्यता नहीं बनती।

हरियाणा विधानसभा सदस्यों के वेतन, भत्ते और पेंशन संबंधी मौजूदा कानून के प्रावधानों के अनुसार दल बदल विरोधी कानून में दोषी पाए जाने पर अयोग्य घोषित होने के कारण उन्हें मिलने वाली पेंशन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। करीब 12 साल पहले मार्च 2007 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने वर्ष 1975 के हरियाणा विधानसभा सदस्यों के वेतन, भत्ते और पेंशन अधिनियम की धारा 7ए (1ए) में संशोधन कर यह प्रावधान करा दिया था कि केवल लोक प्रतिनिधित्व कानून 1951 की प्रासंगिक धाराओंं के अंतर्गत ही अयोग्य होने पर विधायक पेंशन लेने का हकदार नहींं होगा।

हुड्डा सरकार ने संशोधन तो कर दिया पर विधेयक में जिक्र नहीं

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के अधिवक्ता हेमंत कुमार के अनुसार हुड्डा सरकार ने संशोधन 2007 में किया, लेकिन इस संशोधन कानून को एक मार्च 1991 से अर्थात तब से साढ़े सोलह वर्ष पूर्व से लागू कर दिया गया। पिछली तारीख से कानून लागू करने में हालांकि कोई अड़चन नहीं होती, लेकिन इसका उल्लेख सदन द्वारा पारित करने को रखे गए संबंधित विधेयक में होना चाहिए, जबकि ऐसा नहीं हुआ। एडवोकेट हेमंत के अनुसार केवल एक सरकारी नोटिफिकेशन जारी कर किसी कानून को पिछली तारीख से लागू नहीं किया जा सकता।

भाजपा सरकार ने विधेयक में ही किया था कानून में संशोधन की तारीख का जिक्र

एडवोकेट हेमंत ने एक उदाहरण के जरिये बताया कि मार्च 2019 में जब भाजपा सरकार ने विधानसभा से पंजाब भू-परीरक्षण (हरियाणा संशोधन ) विधेयक, 2019 पारित करवाया, जिस पर प्रदेश की विपक्षी पार्टियों ने काफी शोर-शराबा भी मचाया था, उसमें भी यह स्पष्ट उल्लेख है कि यह 1 नवंबर 1966 से लागू समझा जाए। हेमंत ने बताया कि जब भी राज्य सरकार राज्यपाल द्वारा कुछ विशेष परिस्थितियों में जारी करवाया गया अध्यादेश विधानसभा में विधेयक के रूप में लाती है तो उसमें भी स्पष्ट उल्लेख होता है कि उक्त विधेयक अध्यादेश जारी होने वाली पिछली और वास्तविक तिथि से लागू हुआ माना जाए।

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