Haryana News: किसानों को प्राइवेट एजेंसियों के हवाले कर रही BJP सरकार, भूपेंद्र हुड्डा ने रख दी ये खास मांगें

नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा (Bhupendra Singh Hooda) ने बीजेपी सरकार (BJP Government) पर किसानों को प्राइवेट एजेंसियों के हवाले करने के आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को प्राइवेट एजेंसियों के हवाले कर रही है। किसान एमएसपी से 900-1000 रुपये कम रेट पर फसल बेचने को मजबूर हैं। वहीं उन्होंने सरसों की सुचारू खरीद करने की बात कही।

By Anurag Aggarwa Edited By: Deepak Saxena Publish:Wed, 27 Mar 2024 09:08 PM (IST) Updated:Wed, 27 Mar 2024 09:08 PM (IST)
Haryana News: किसानों को प्राइवेट एजेंसियों के हवाले कर रही BJP सरकार, भूपेंद्र हुड्डा ने रख दी ये खास मांगें
किसानों को प्राइवेट एजेंसियों के हवाले कर रही BJP सरकार (फाइल फोटो)।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि बीजेपी सरकार जानबूझकर किसानों को घाटे में धकेल रही है। बार-बार मांग के बावजूद सरकार द्वारा सरसों की खरीद शुरू नहीं की गई। इक्का-दुक्का जगह पर जहां सरकारी एजेंसी पहुंची हैं, वहां भी नमी का बहाना बनाकर खरीद करने से इन्कार किया जा रहा है। इसके चलते प्राइवेट एजेंसी औने पौने दाम पर सरसों खरीद रही हैं। मजबूरी में किसानों को एमएसपी से 900-1000 रुपये कम रेट पर अपनी फसल बेचनी पड़ रही है।

भूपेंद्र हुड्डा ने चंडीगढ़ में कहा कि हफ्ता भर से मंडियों में सरसों की आवक जारी है। बावजूद इसके सरकार ने देरी से खरीद का ऐलान किया। अपने ऐलान के मुताबिक भी सरकार खरीद नहीं कर पा रही है। इतना ही नहीं एक बार फिर किसानों को 'मेरी फसल मेरा ब्योरा' पोर्टल के हवाले कर दिया गया है।

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रिकॉर्ड ठीक होने पर ही बेच पाएंगे फसल

पोर्टल पर 9.25 लाख किसानों ने 61.45 लाख एकड़ का पंजीकरण करवाया था। लेकिन इसमें से 10.40 लाख एकड़ रकबे का रिकॉर्ड मिसमैच पाया गया। जब तक यह पूरा रिकॉर्ड ठीक नहीं होता, तब तक किसान अपनी फसल नहीं बेच पाएंगे। यानी सरकार की गलती का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ेगा।

सरसों की खरीद शुरू करने की मांग

हुड्डा ने एक बार फिर सरकार से जल्द सरसों की सुचारू खरीद शुरू करने की मांग की है। साथ ही उन्होंने गेहूं की आवक के लिए भी पहले से ही तमाम तैयारियों को पूरा करने की मांग उठाई है। उन्होंने बताया कि कांग्रेस कार्यकाल के दौरान सरकार फसलों के मंडी में आते ही फौरन खरीद शुरू कर देती थी। इसके चलते फसलों के मार्केट रेट ऊंचे हो जाते थे। इसलिए प्राइवेट एजेंसियों को भी एमएसपी या उससे ज्यादा रेट पर फसल खरीदनी पड़ती थी। लेकिन बीजेपी सरकार ठीक इसके उलट नीति पर चलती है।

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