गर्भवती के लिए पौष्टिक आहार प्रबंधन जरूरी : सीडीपीओ
सीडीपीओ सविता मलिक का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान स्त्री शारीरिक और मनोवैज्ञानिक तनाव से गुजरती है इसलिए गर्भवती महिला के लिए पौष्टिक आहार प्रबंधन करना बहुत जरूरी होता है।
जागरण संवाददाता, नूंह: सीडीपीओ सविता मलिक का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान स्त्री शारीरिक और मनोवैज्ञानिक तनाव से गुजरती है इसलिए गर्भवती महिला के लिए पौष्टिक आहार प्रबंधन करना बहुत जरूरी होता है। गर्भवतीमहिला के शरीर में भ्रूण भी अपना पोषण माता के शरीर से लेना शुरू कर देता है। सीडीपीओ महिला एवं बाल विकास विभाग स्थित कार्यालय में आगंनवाड़ी कार्यकर्ताओं व गर्भवती महिलाओं को जागरूक कर रही थीं।
उन्होंने बताया कि गर्भावस्था तीन भागों में विभाजित है। पहली अवस्था 3 माह तक, दूसरी अवस्था 3 से 6 माह तथा तीसरी अवस्था 6 से 9 माह। इन तीनों अवस्थाओं में गर्भवती महिला का वजन बढ़ जाता है। पोषक तत्वों की आवश्यकता दूसरी व तीसरी अवस्था में बढ़ती है। गर्भवती स्त्री को सामान्य महिलाओं की अपेक्षा अधिक कैलोरी की आवश्यकता होती है। गर्भवती महिला के शरीर में टूटे-फूटे तंतुओं की मरम्मत के लिए, भ्रूण की वृद्धि के लिए प्रोटीन अधिक मात्रा में चाहिए होती है।
उन्होंने कहा कि माता को अपने आहार में दूध और दूध से बने पदार्थ, मांस, मछली, अंडा, हरी पत्तेदार सब्जियां, साबुत अनाज, तिल तथा मेवे पर्याप्त मात्रा में लेने चाहिए। गर्भवती महिला को आयोडीन की पूर्ति अनाज, प्याज, हरी पत्तेदार सब्जियों से करनी चाहिए। लौह की आवश्यकता को पूरा करने के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां, केला, सेब, अनार, मटर, सोयाबीन, चने की दाल, उड़द की दाल, मूंग की दाल इत्यादि का सेवन करना चाहिए। इनका प्रयोग कम से कम करें
उन्होंने बताया कि तले हुए पदार्थ, मिर्च मसाले, शीतल पेय, मक्खन, छना हुआ आटा, अधिक मीठी चीजें, काफी व चाय इत्यादि पदार्थों का गर्भवती महिलाओं को कम से कम सेवन करना चाहिए।