भेड़-बकरी प्रजनन केंद्र बंद, चरवाह परेशान

एक ओर पशुपालन विभाग भैंस की नस्ल सुधारने के लिए पशुपालकों को प्रोत्साहित कर रही है वहीं दूसरी ओर भेड़-बकरी रखने वाले चरवाहों की अनदेखी की जा रही है तथा उनकी आवाज सुनने वाला कोई नहीं है। सरकार द्वारा वर्ष 2005 में भेड़-बकरी प्रजनन केंद्र भी बंद कर दिए गए तथा पशु चिकित्सक भी भेड़-बकरियों की जांच व ईलाज में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहे जिस कारण पशुपालकों के समक्ष परेशानी उत्पन्न हो गई है। विभाग की अनदेखी के चलते भेड़-बकरी मरने पर उन्हें आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 03 Dec 2018 03:34 PM (IST) Updated:Mon, 03 Dec 2018 03:34 PM (IST)
भेड़-बकरी प्रजनन केंद्र बंद, चरवाह परेशान
भेड़-बकरी प्रजनन केंद्र बंद, चरवाह परेशान

संवाद सहयोगी, सतनाली :

एक ओर पशुपालन विभाग भैंस की नस्ल सुधारने के लिए पशुपालकों को प्रोत्साहित कर रही है वहीं दूसरी ओर भेड़-बकरी रखने वाले चरवाहों की अनदेखी की जा रही है तथा उनकी आवाज सुनने वाला कोई नहीं है।

सरकार द्वारा वर्ष 2005 में भेड़-बकरी प्रजनन केंद्र भी बंद कर दिए गए तथा पशु चिकित्सक भी भेड़-बकरियों की जांच व इलाज में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहे जिस कारण पशुपालकों के समक्ष परेशानी उत्पन्न हो गई है। विभाग की अनदेखी के चलते भेड़-बकरी मरने पर उन्हें आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है।

सतनाली क्षेत्र पिछड़ा होने के कारण यहां के पशुपालक भेड़-बकरियां पालकर ही अपनी आजीविका चलाते है। भेड़-बकरियों के स्वास्थ्य की ¨चता एवं उनके नस्ल सुधार व ऊन की बिक्री समय पर न होने से भेड़-बकरी पालने का धंधा बंद होने की कगार पर है। करीब दशक पहले तक अधिकांश गांव में भेड़-बकरी पालक दर्जनों में होते थे तथा उनके पास पशुओं की संख्या हजारों में होती थी। लेकिन विभाग की अनदेखी के चलते इनकी संख्या न के बराबर रह गई है। चरवाहों को न तो मवेशियों के बीमार होने पर उनके इलाज की सुविधा समय पर मिल पाती है तथा न ही उनकी नई किस्म के लिए प्रजनन की कोई सुविधा है। यहीं नहीं चरवाहों को ऊन बेचने के लिए दर-दर भटकना पड़ता है। पशुपालक मांगेराम, सुरेश, प्रभूराम आदि ने बताया कि हमें सरकार कोई सुविधा नहीं दे रही। सरकारी पशु अस्पतालों में हमें इलाज तो दूर डॉक्टर बदबू आने की बात कहकर अस्पताल के अंदर भी नहीं घुसने नही देते। भेड़ प्रजनन एवं ऊन विस्तार केंद्र हो चुके हैं बंद

मवेशियों के प्रजनन के लिए ब्लॉक स्तर पर खुले सरकारी भेड़ प्रजनन एवं ऊन विस्तार अस्पताल 2005 के बाद बंद हो चुके हैं। सतनाली में स्थित प्रजनन केंद्र को वर्ष 2005 में अटेली के कलवा के स्थानांतरित किया गया था जिसके बाद कस्बे में पशुपालकों के लिए अन्य कोई सुविधा नहीं है। इसी प्रकार से साथ लगते बाढ़डा, लोहारू व दादरी में बने प्रजनन केंद्र भी बंद हो चुके हैं।

chat bot
आपका साथी