श्रीमद्देवी भागवत पुराण कथा में सुनाया महिषासुर की उत्पत्ति और वध प्रसंग
राधा कृष्ण परिवार की ओर से नवरात्रि महोत्सव के उपलक्ष्य में ब्रह्मसरोवर के मेडिटेशन हॉल में चल रही श्रीमद्देवी भागवत कथा में कथाव्यास संत करूणदास महाराज ने विष्णु भक्त प्रहलाद की तपस्या इंद्र-प्रह्लाद युद्ध महिषासुर और रक्तबीज की उत्पत्ति एवं वध के प्रसंग विस्तार से सुनाए।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र :
राधा कृष्ण परिवार की ओर से नवरात्रि महोत्सव के उपलक्ष्य में ब्रह्मसरोवर के मेडिटेशन हॉल में चल रही श्रीमद्देवी भागवत कथा में कथाव्यास संत करूणदास महाराज ने विष्णु भक्त प्रहलाद की तपस्या, इंद्र-प्रह्लाद युद्ध, महिषासुर और रक्तबीज की उत्पत्ति एवं वध के प्रसंग विस्तार से सुनाए। मुख्य यजमान एवं आयोजक पंडित राजेश मौदगिल, जरनैल सिंह, सतीश गुप्ता एवं सचिन गुप्ता परिवार ने सर्वदेव पूजन में भाग लिया। प्रवचनों में करूणदास ने कहा कि पौराणिक कथाओं के अनुसार महिषासुर एक असुर था। उसके पिता रंभ असुरों के राजा थे जो एक बार जल में रहने वाली एक भैंस से प्रेम कर बैठे और इन्हीं के योग से महिषासुर का आगमन हुआ। इसी वजह से महिषासुर इच्छानुसार जब चाहे भैंस और जब चाहे मनुष्य का रूप धारण कर सकता था। उन्होंने बताया कि महिष का अर्थ भैंस होता है। महिषासुर ने ब्रह्माजी की तपस्या करके कई वरदान हासिल किए। इन वरदानों से वह स्वर्ग और पृथ्वी पर देवताओं और मनुष्यों को तंग करने लगा और उसने युद्ध में इंद्र को परास्त करके स्वर्ग पर कब्जा कर लिया। देवताओं ने मां दुर्गा की स्तुति करके महिषासुर से छुटकारा पाने की प्रार्थना की। देवी दुर्गा ने महिषासुर पर नौ दिनो तक दिन-रात युद्ध किया और दसवें दिन महिषासुर का वध किया। इसी उपलक्ष्य में देवी दुर्गा का त्यौहार नवरात्रि और दसवें दिन विजयादशमी मनाई जाती है। जोकि बुराई पर अच्छाई की जीत है। कथा की आरती में कमल भारद्वाज, जतिन गुप्ता, अंकुश, अभिषेक, कंवरपाल, सुरेंद्र काठपाल,शिवनाथ मिश्र, अजय परूथी, रमेश कौशिक,अटल शर्मा, ईश्म सिंह सांवत और बंटी राजपूत शामिल रही।