संत शिरोमणि गुरु रविदास ने समाज में फैली कुरीतियों व छुआ-छुत को किया समाप्त : उमा

नगर परिषद की अध्यक्षा उमा सुधा ने कहा कि भारत की मध्ययुगीन संत परंपरा में संत शिरोमणि गुरु रविदास का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। संत शिरोमणि गुरु रविदास की गणना केवल भारत में ही नहीं अपितु विश्व के महान संतों में की जाती है। उनकी वाणी के अनुवाद संसार की विभिन्न भाषाओं में पाए जाते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 20 Feb 2019 07:44 AM (IST) Updated:Wed, 20 Feb 2019 07:44 AM (IST)
संत शिरोमणि गुरु रविदास ने समाज में फैली कुरीतियों व छुआ-छुत को किया समाप्त : उमा
संत शिरोमणि गुरु रविदास ने समाज में फैली कुरीतियों व छुआ-छुत को किया समाप्त : उमा

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : नगर परिषद की अध्यक्षा उमा सुधा ने कहा कि भारत की मध्ययुगीन संत परंपरा में संत शिरोमणि गुरु रविदास का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। संत शिरोमणि गुरु रविदास की गणना केवल भारत में ही नहीं अपितु विश्व के महान संतों में की जाती है। उनकी वाणी के अनुवाद संसार की विभिन्न भाषाओं में पाए जाते हैं। संत शिरोमणि गुरु रविदास एक समाज के न होकर पूरी मानवता के गुरु थे। उन्होंने समाज में फैली कुरीतियों व छुआ-छूत को समाप्त किया। संत शिरोमणि गुरु रविदास की शिक्षाएं समाज के लिए प्रासंगिक है। उनका प्रेम, सच्चाई और धार्मिक सौहार्द का पावन संदेश हर दौर में प्रासंगिक है। संत शिरोमणि गुरु रविदास का कार्य न्यायसंगत और समतावादी समाज के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है।

वे मंगलवार को गांव चंद्रभानपुरा, फतुहपुर, बीड अमीन, तिगरी खालसा, हथीरा, बारवा व बारना में मनाई गई संत शिरोमणि गुरु रविदास जंयती समारोह की जिलावासियों को शुभकामनाएं देते हुए बोल रही थी। उन्होंने बताया कि वास्तविक धर्म को बचाने के लिये संत शिरोमणि गुरु रविदास को ईश्वर द्वारा धरती पर भेजा गया था क्योंकि उस समय सामाजिक और धार्मिक स्वरुप बेहद दुखद था। नप अध्यक्षा उमा सुधा ने प्रदेशवासियों को संत गुरु रविदास की जयंती पर शुभकामनाएं और बधाई देते हुए कहा कि संत गुरु रविदास जैसे महापुरुषों की शिक्षाएं आज भी प्रांसगिक हैं।

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