नाबालिग लड़की के हत्यारे मौसेरे भाई को आजीवन कारावास

रिश्तों को कलंकित कर अपनी मौसी की बेटी के साथ हत्या व दुष्कर्म की मंशा के दोषी को अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। वारदात के अंजाम देने के वक्त दोषी के नाबालिग होने पर जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने उनके मानसिक रूप से परिपक्व होने पर व्यस्क की श्रेणी रखा था जिसके बाद दोषी पर मेजर की तरह ट्रायल चलाया गया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 21 Jul 2019 08:50 AM (IST) Updated:Mon, 22 Jul 2019 06:31 AM (IST)
नाबालिग लड़की के हत्यारे मौसेरे भाई को आजीवन कारावास
नाबालिग लड़की के हत्यारे मौसेरे भाई को आजीवन कारावास

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र: रिश्तों को कलंकित कर अपनी मौसी की बेटी के साथ हत्या व दुष्कर्म की मंशा के दोषी को अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। वारदात के अंजाम देने के वक्त दोषी के नाबालिग होने पर जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने उनके मानसिक रूप से परिपक्व होने पर व्यस्क की श्रेणी रखा था, जिसके बाद दोषी पर मेजर की तरह ट्रायल चलाया गया। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश लाल चंद की अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के पश्चात आरोपित को दोषी करार देते हुए आइपीसी की धारा 302 में आजीवन कारावास व पोक्सो एक्ट में पांच साल कैद की है। अदालत के इस फैसले को शहर वासियों ने सराहा है। एक जुलाई 2016 को हुई थी 10वीं छात्रा की हत्या

एक जुलाई 2016 को सेक्टर तीन में रह रही डीएवी स्कूल की 19वीं की छात्रा की उसी की मौसी के लड़के सहबाज सिंह ने दुष्कर्म की मंशा रखते हुए हत्या कर दी थी। उस दिन छात्रा की मां व दोषी की माता रिश्तेदारी में मौत होने पर कैथल में रस्म क्रिया में गई हुई थी। छात्रा की मां जब घर पहुंची तो घर का दरवाजा खुला था। उसने अपनी बेटी को आवाज लगाई तो अंदर से कोई आवाज नहीं आई। जब वह अंदर पहुंची थी तो उसकी बेटी खून से लथपथ फर्श पर पड़ी थी। उसकी गर्दन व पेट पर तेजधार हथियार के गंभीर घाव थे। मां के चिल्लाने पर पड़ोसी एकत्रित हो गए और छात्रों को अग्रवाल नर्सिंग होम में पहुंचाया था। जहां चिकित्सक ने उसे मृत घोषित कर दिया था। नाखून में मांस से पकड़ा गया था दोषी

तत्कालीन एसपी सिमरदीप सिंह ने इस मामले में स्वयं पुलिस की अपराध शाखा प्रभारियों के साथ जांच की थी। पुलिस की जांच के दौरान दोषी पल-पल पुलिस के साथ रहा। दोषी के रिश्तेदार होने के कारण पहले तो पुलिस उस पर शक नहीं कर पाई, मगर तत्कालीन अपराध शाखा प्रभारी राजेश कुमार, निरीक्षक केवल सिंह की टीम को उसके साथ रहने पर संदेह हुआ था। पुलिस ने उसे गौर से देखा तो उसके शरीर पर नाखून की खरोंचे थी। छात्रा के नाखूनों में भी मांस फंसा पाया गया था।

पुलिस ने उसे हिरासत में लेकर पूछताछ की थी। दोषी ने पुलिस को बताया था कि छात्रा के स्कूल से आते ही वह उसके घर आ गया था और उसके साथ जबरदस्ती की। उसने चाकू से छात्रा की हत्या कर दी थी और घर जा कर अपने कमीज को धो दिया था। उसके कमीज पर छात्रा के खून के निशान थे। 21 साल की उम्र तक रहेगा बाल सुधार गृह में

जूवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 के अनुसार इस तरह के मामले में दोषी के 21 वर्ष की आयु होने तक उसे बाल सुधार गृह में रखा जाएगा। उसके बाद से सेंट्रल जेल भेज दिया जाएगा। घटना के वक्त इसकी उम्र 17 साल थी और अब यह 20 साल का है। निर्भय एक्ट के तहत दोषी को मिली है अधिकतम सजा

डिप्टी डिस्टिक अटार्नी गोपाल कुमार ने बताया कि दोषी को जूवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 के तहत अधिकतम सजा दी गई है। दोषी को अंतिम सांस तक तो नहीं, लेकिन आजीवन कारावास मान्य होगा। आज मिला है बेटी को इंसाफ

छात्रा के पिता का कहना है कि आज उनकी बेटी को इंसाफ मिला है। अदालत की सजा के बाद ही उन्हें शांति मिली है। मासूम बेटी की हत्या ने उनके पूरे परिवार को बिखेर दिया था। उसके बाद वे सेक्टर तीन से मकान छोड़ कर शहर के दूसरे हिस्से में रहने लगे हैं। अदालत ने ऐसा फैसला देकर मिसाल पेश की है।

chat bot
आपका साथी