1515 में करनाल आए थे गुरुनानक देव

जागरण संवाददाता करनाल जिले में प्रकाश उत्सव को लेकर लोगों में श्रद्धा व उत्साह है। जिले म

By JagranEdited By: Publish:Mon, 30 Nov 2020 07:00 AM (IST) Updated:Mon, 30 Nov 2020 07:00 AM (IST)
1515 में करनाल आए थे गुरुनानक देव
1515 में करनाल आए थे गुरुनानक देव

जागरण संवाददाता, करनाल : जिले में प्रकाश उत्सव को लेकर लोगों में श्रद्धा व उत्साह है। जिले में गुरुद्वारों को सुंदर ढंग से सजाया गया है। शहर में स्थित गुरुद्वारा मंजी साहिब श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र हैं। यह गुरुद्वारा शहर के व्यस्त सराफा बाजार में है। इतिहास के अनुसार सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक देव उदासी नामक अपनी पहली धार्मिक यात्रा पर वर्ष 1515 में इस जगह आए थे। कहा जाता है कि यहां के बगीचे में वे एक टीले पर बैठे और भक्तों की एक बड़ी भीड़ के साथ पहले भजन या शबद गाए। इस गुरुद्वारे के प्रति श्रद्धालुओं में अट्टू आस्था है। प्रकाश उत्सव पर इस गुरुद्वारे को विशेष रूप से सजाया जाता है। लोग गुरुद्वारे में आकर शीश नवाते हैं और गुरु से आशीर्वाद लेते हैं। इस गुरुद्वारे में रखा गया था गुरु तेग बहादुर जी का शीश तरावड़ी के गुरुद्वारे का नाम शीशगंज गुरुद्वारा इसलिए रखा गया था, क्योंकि यहां पर एक रात के लिए गुरु तेग बहादुर जी का शीश रखा गया था, तभी से यह गुरुद्वारा अपने आप में ऐतिहासिक बन गया और आज यहां पर गुरु के चरणों में हजारों श्रद्धालु नत्मस्तक होने के लिए दूर-दराज से पहुंचते हैं। जब वर्ष 1675 में दिल्ली के चांदनी चौंक पर गुरु तेग बहादुर जी ने हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया, तब जालिमों की नजर से बचते हुए गुरु जी के पावन शीश को लेकर भाई जैता, जिन्हें गुरु गोबिद सिंह जी ने रंगरेटे गुरु के बेटे आसीस देकर अमृत पान करवा भाई जीवन सिंह नाम से नवाजा। दिल्ली से श्री आनन्दपुर साहिब ले जाते समय यहां तरावड़ी पहुंचे और एक रात के लिए यहीं पर गुरु तेग बहादुर जी का शीश रखा गया था। पहली रात को वह सोनीपत के बड़खालसा में रुके, फिर दूसरी रात तरावड़ी में गुरु घर के श्रद्धालु भाई देवा राम धोबी जो लंबे समय से दिल्ली गुरु जी का सुख-संदेश सुनने के लिए बेताब थे, उन्होंने भाई जैता जी को रास्ते में रोककर दिल्ली की घटना के बारे में जानकारी लेने की लिए विनती की। भाई जैता ने गुरु के पवित्र शीश के दर्शन करवाए व पूरी घटना के बारे में जानकारी दी।

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