Milk Adulterants : अब महज एक स्ट्रिप से चुटकी में होगा दूध का दूध, पानी का पानी

एनडीआरआइ में आयोजित डेयरी मेले में खास तौर पर इस किट का प्रदर्शन किया गया है जिसे देखने के साथ पशुपालक विज्ञानियों से तमाम जानकारी भी हासिल कर रहे हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Mon, 17 Feb 2020 08:55 AM (IST) Updated:Mon, 17 Feb 2020 09:06 AM (IST)
Milk Adulterants : अब महज एक स्ट्रिप से चुटकी में होगा दूध का दूध, पानी का पानी
Milk Adulterants : अब महज एक स्ट्रिप से चुटकी में होगा दूध का दूध, पानी का पानी

पवन शर्मा, करनाल। दूध का दूध और पानी का पानी। कुछ इसी तर्ज पर अब महज एक स्ट्रिप से पशुपालक चुटकी में मिलावटी दूध की पहचान कर सकते हैं। इसके लिए बनी खास किस्म की मल्टी किट की मदद से दूध में सुक्रोज से लेकर ग्लूकोज, यूरिया, हाईड्रोजन पेरोक्साइड, न्यूट्रिलाइजर्स और मेल्टोडेक्स्ट्रीन तक की मात्रा का सटीक आकलन किया जा सकता है। राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान में विकसित किट का न केवल व्यावसायिक उत्पादन शुरू हो गया है, बल्कि अब जल्द ही इसे देश भर में फैले सात सौ से अधिक कृषि विज्ञान केंद्रों पर भी उपलब्ध कराया जाएगा।

एनडीआरआइ में आयोजित डेयरी मेले में खास तौर पर इस किट का प्रदर्शन किया गया है, जिसे देखने के साथ पशुपालक विज्ञानियों से तमाम जानकारी भी हासिल कर रहे हैं। विज्ञानियों की टीम में शामिल साधना मौर्या, निशी, हर्षिता और डॉ. कमल ने बताया कि संस्थान के डेयरी केमिस्ट्री विभाग के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. राजन शर्मा, डॉ. वाईएस राजपूत और डॉ. बिमलेश मान ने इसे ईजाद किया है। दूध की गुणवत्ता जांचने के लिए बनी इस स्ट्रिप बेस्ड किट से दूध में विभिन्न पदार्थों की जांच चुटकी में संभव है।

मिलावट जांचने के लिए टेस्ट ट्यूब का उपयोग होता है, जिन्हें दूध में पांच सेकेंड तक डुबोते ही मिलावट होने या नहीं होने का पता चल जाता है। दूध में मुख्यत: डिटर्जेंट, एसिड, गंदे पानी व इसी प्रकार के अन्य पदार्थ की मिलावट की जाती है। इनके लिए सुक्रोज, न्यूट्रालाइजर, यूरिया, ग्लूकोज, हाईड्रोजनपैराक्साइड और

माल्टोडिक्सट्रिप का प्रयोग होता है, जिनकी मात्रा इस प्रक्रिया से जानी जा सकती है।

रंग बदला तो दूध में मिलावट : सफेद रंग की स्ट्रिप को एक से पांच एमएल दूध में पांच सेकेंड तक डुबोने के बाद पांच से आठ मिनट तक बाहर रखने पर यदि रंग पीला हो जाता है, तो डिटर्जेंट की मिलावट है। हर प्रकार के पदार्थ की पॉजीटिव और नेगेटिव जांच के लिए अलग-अलग रंगों का निर्धारण है।

हर किसी के लिए उपयोगी : किट का फायदा डेरी संचालक, हलवाई, शीतन केंद्र, क्वालिटी कंट्रोल प्रयोगशाला, दूधिये और आम लोग भी उठा सकते हैं। बेहद आसानी से इसका प्रयोग करके दूध की शुद्धता का आकलन किया जा सकता है। इसीलिए अब लगातार इसका प्रचलन बढ़ रहा है।

इनकी भी होगी जांच : डॉ. राजन शर्मा बताते हैं कि जल्द ही किट में शामिल स्ट्रिप की मदद से बोरिक एसिड, नमक, नाईट्रेट्स और निट्रिज, सेल्यूलॉस, सोर्बिटोल और स्टार्च की मिलावट का भी बखूबी पता लगाया जा सकेगा। इसके लिए प्रोजेक्ट के तहत गहन शोध-अनुसंधान जारी है।

केवीके में होगी उपलब्ध : इस किट का एक ओर जहां व्यावसायिक उत्पादन हो रहा है, तो इसे खरीद पाने में असमर्थ किसानों व पशुपालकों की मदद के लिए अब एक बेहद अहम कदम उठाया जा रहा है। इसके तहत एनडीआरआइ की ओर से देश के सात सौ से अधिक कृषि विज्ञान केंद्रों में ये किट पहुंचाई जाएंगी। खुद संस्थान के निदेशक डॉ. मनमोहन सिंह चौहान ने इस दिशा में रुचि दिखाई है। उल्लेखनीय है कि गुरुग्राम की एक कंपनी इस तकनीक पर आधारित किट का व्यावसायिक इस्तेमाल कर रही है। फिलहाल यह किट चार हजार रुपये में उपलब्ध है, जिसे देखते हुए छोटे किसानों और पशुपालकों को केवीके के जरिये यह किट उपलब्ध कराने कीयोजना है।

दूध हुआ जहरीला : खाद्य नियामक भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण की पिछली रिपोर्ट में कई प्रमुख ब्रांड के पैक्ड दूध से लेकर कच्चे दूध के नमूने निर्धारित गुणवत्ता और तय मानकों पर खरे नहीं मिलने की बात सामने आ चुकी है। इसमें पता चला था कि प्रोसेस्ड दूध के 10.4 फीसदी नमूने सुरक्षा मानकों पर फेल रहे, जो कच्चे दूध 4.8 फीसद की तुलना में काफी अधिक हैं। इनमें एफ्लाटॉक्सिन-एम 1, एंटीबायोटिक और कीटनाशक जैसे जहरीले पदार्थ मिले, जबकि प्रोसेस्ड दूध में एफ्लाटॉक्सिन अधिक पाया गया, जो पशु आहार में इस्तेमाल होता रहा है। एनडीआरआइ स्पेशल किट से दूध में मिलावट का पता चल सकेगा।

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