जिले में 86 पीटीआइ अध्यापकों की नौकरी पर लटकी तलवार
सरकार ने दस साल पहले लगाए गए पीटीआइ अध्यापकों की सेवाएं रद करने का फैसला लिया है। इसके बाद जिले में 86 अध्यापकों की नौकरी पर तलवार लटक गई है।
जागरण संवाददाता, कैथल : सरकार ने दस साल पहले लगाए गए पीटीआइ अध्यापकों की सेवाएं रद करने का फैसला लिया है। इसके बाद जिले में 86 अध्यापकों की नौकरी पर तलवार लटक गई है।
इस फैसले में जिले में कई केस ऐसे भी हैं, जिसमें पति और पत्नी दोनों की ही नौकरी जाने का खतरा बना है। किसी घर में सिर्फ यही एक रोजगार है और तो तकरीबन सभी ओवर एज हो चुके हैं। इससे उनके परिवार पर मानो पहाड़ सा टूटने वाला हो। सरकार के इस फैसले को चुनौती देने के लिए अध्यापकों ने पंजाब एवं हरियाणा हाइकोर्ट का दरवाजा भी खटखटा दिया है।
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2010 में हुई थी भर्ती :
वर्ष 2010 में हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने 1983 पीटीआइ की भर्ती की थी। जिन अभ्यार्थियों का चयन नहीं हुआ। उन्होंने भर्ती में गड़बड़ी का आरोप लगा कर हाईकोर्ट में याचिका डाल दी। सरकार, शिक्षा विभाग व एचएसएससी को पक्ष बनाया। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया कि आयोग के चेयरमैन ने चहेतों का चयन करने के लिए मानदंड में बदलाव कर दिया। 25 अंकों को बढ़ाकर 30 कर दिया। अप्रैल 2010 से कोर्ट में मामला चलता रहा। बीते आठ अप्रैल 2020 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पीटीआइ की नौकरी पर खतरे की तलवार लटक गई।
मौलिक शिक्षा निदेशक प्रदीप कुमार ने सचिव एचएसएससी, एडवोकेट जनरल और महालेखाकार हरियाणा को पत्र जारी इन शिक्षकों की सेवाएं समाप्त करने का फैसला लिया है। शुक्रवार को इन अध्यापकों को रिलीव करना था, लेकिन एन वक्त पर उन्हें आंशिक राहत देते हुए रिलिव न करने के आदेश जारी कर दिए।
वर्जन :विभाग ने दिए नए आदेश
जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी शमशेर सिंह सिरोही ने बताया कि पीटीआइ अध्यापकों की सेवा रद करने के फैसले के तहत रिलीव किया जाना था। शुक्रवार को ही विभाग ने नए आदेश दिए है। जिस पर उन्हें रिलीव न करने के निर्देश दिए हैं।