यहां कुछ नहीं किया तो मनै कौण पूछेगा

जागरण संवाददाता, जींद : अपने नए मंत्रालय का कार्यभार ग्रहण करने के बाद अधिकारियों की पहल

By Edited By: Publish:Sun, 31 Jul 2016 10:34 PM (IST) Updated:Sun, 31 Jul 2016 10:34 PM (IST)
यहां कुछ नहीं किया तो मनै कौण पूछेगा

जागरण संवाददाता, जींद : अपने नए मंत्रालय का कार्यभार ग्रहण करने के बाद अधिकारियों की पहली बैठक में मैंने विभाग से संबंधित जानकारियां मांगी तो उन्होंने बताया कि हमारा तो सब कुछ दिल्ली से एक हजार से डेढ़ हजार किलोमीटर दूर है। जब मैंने उत्तर भारत विशेषकर हरियाणा व जींद में कुछ करने की इच्छा जताई तो जवाब मिला कि उद्योग वहीं लगेंगे, जहां कच्चा माल उपलब्ध होगा। मैंने अधिकारियों को बताया कि जब मैं कुछ करूंगा ही नहीं तो हमारे लोग न केवल मेरे मंत्री होने पर सवाल उठाएंगे बल्कि मेरे पास ही आना बंद कर देंगे। केंद्रीय इस्पात मंत्री बीरेंद्र ¨सह ने रविवार को जींद के सफीदों रोड स्थित उत्तर भारत के कस्टमर की मीट को संबोधित करते हुए यह बातें कही।

इस्पात से हो पुल निर्माण

उन्होंने कहा कि कंकरीट से बनने वाले पुल की औसत आयु 50 से 60 साल होती है जबकि इस्पात से बनाने पर 150 साल। मैं चाहता हूं कि केंद्र व राज्य सरकारों को पुल इत्यादि का निर्माण इस्पात से करना चाहिए ताकि बार-बार बनाने से छुटकारा मिल सके। उन्होंने कहा कि विभागीय अधिकारियों को रेलवे, रक्षा व वैज्ञानिक अविष्कारों में स्टील की भागीदारी बढ़ाने के साथ स्टील से सड़क निर्माण के विकल्प तलाशने के लिए भी कहा है।

30 फीसद हरियाणा का

देश में होने वाली स्टील की उत्तर भारत में होने वाली 40 फीसद खपत में 30 फीसद हिस्सा अकेले हरियाणा का है। देश की खपत में हरियाणा की हिस्सेदारी 12 फीसद है। ऐसे में उत्तर भारत व हरियाणा में स्टील की खपत को देखते हुए उद्योगपतियों के निर्धारित सीआरएम राशि को यहां खर्च करने के लिए कहा गया है। इससे पहले उत्तर भारत में यह राशि खर्च नहीं होती थी।

स्टील की खपत बढ़ाने के तलाशेंगे विकल्प

उन्होंने बताया कि विश्व में प्रति व्यक्ति स्टील की खपत 250 किलोग्राम है जबकि देश में यह 61 किलो है। गांवों में यह खपत घटकर केवल 16 प्रतिशत रह जाती है। हमें इसे बढ़ाने के विकल्प तलाशने होंगे। आने वाले कुछ वर्षो में हमने अपना उत्पादन 90 से बढ़ाकर 200 मिलियन टन तक ले जाने का लक्ष्य निर्धारित किया है ताकि हम न केवल अपनी जरूरतें खुद पूरी कर सकें, बल्कि दूसरों देशों में भी निर्यात बढ़ा सकें।

कारगर होगी नई तकनीक

इस्पात मंत्रालय एक नई तकनीक विकसित करने की दिशा में काम कर रहा है। जनवरी माह में पूरा होने के वाले इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद दुनियाभर में हमारे उत्पाद की मांग बढ़ेगी। नई तकनीक रक्षा क्षेत्र के लिए कारगर साबित होगी। इससे विदेशों में इसकी मांग बढ़ने की उम्मीद हैं।

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