चलो गांव की ओर : देश की रक्षा हो या खेल के प्रति समर्पण, हर क्षेत्र में अहरी के सपूतों ने कमाया नाम
- 300-400 साल पहले बसा था अहरी बन रहा भाईचारे की मिसाल
- 300-400 साल पहले बसा था अहरी, बन रहा भाईचारे की मिसाल फोटो : 20 जेएचआर 6, 7 जागरण संवाददाता, झज्जर : गांव अहरी के सपूत हर क्षेत्र में नाम कमा रहे हैं। वह चाहे देश की रक्षा करने की बात हो या फिर खेल के प्रति समर्पण की। सरकारी विभागों में बड़े-बड़े पदों पर रहते हुए गांव अहरी के सपूतों ने अपनी अलग ही पहचान बनाई है। अहरी में पैदा हुए दलेल व मांगेराम स्वतंत्रता सेनानी हुए हैं। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होकर देश को आजाद कराने में अपना अहम योगदान दिया। वहीं युवाओं में फौज के प्रति रुझान भी है। गांव में जन्मे सुरेंद्र नाडा ने कबड्डी में धाक जमाई। इनके अलावा अनेक विभागों में पदाधिकारी, समाज सेवी व दानवीरों ने गांव में जन्म लिया है। ग्रामीणों ने बताया कि गांव अहरी करीब 300-400 साल पहले बसाया गया था। उस समय भिवानी जिले के गांव कोट से लोग यहां पर आए थे और रहना शुरू कर दिया। जिसके बाद जनसंख्या बढ़ती गई।गांव के लोग धार्मिक प्रवृत्ति के है। मुख्य रूप से गांव में बाबा ढिक्कड़ वाले की मान्यता है। हर बार त्योहार में बाबा ढिक्कड़ वाले के मंदिर में ग्रामीण माथा टेकते हैं और सुख-समृद्धि के लिए मन्नतें मांगते हैं। सभी ग्रामीण आपसी भाईचारे व मिल-जुल कर रहते हैं। वो चाहे कोई धार्मिक कार्यक्रम हो या फिर कोई गांव का काम। एक-दूसरे की मदद के लिए भी हमेशा तत्पर रहते हैं। जिसकी बदौलत गांव दूसरों के लिए भी मिसाल बन रहा है। कबड्डी में सुरेंद्र नाडा ने जमाई धाक
गांव अहरी में जन्मे सुरेंद्र नाडा ने कबड्डी में अपनी धाक जमाई। अपनी मेहनत के बल पर वे हरियाणा कबड्डी टीम की कप्तानी करने के साथ-साथ भारतीय कबड्डी टीम का भी हिस्सा रहे। वहीं वर्ष 2016 के कबड्डी वर्ल्डकप में भी भाग लिया और अपने शानदार खेल का प्रदर्शन किया। वहीं प्रो कबड्डी में भी अपने खेल का जलवा दिखा चुके हैं। जो आज भी दूसरे युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत बने हुए हैं।