World organ donation day: पत्थरी के कारण हो गई थी युवक की किडनी खराब, भाभी ने डोनेट कर बचाई जान

हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम में ग्रेड सब स्टेशन आपरेटर के पद पर कार्यरत कृष्ण की बीपी की समस्या के कारण किडनी खराब हो गई थी। टेस्ट करवाया तो ब्लड भी कम मिला सिर्फ छह ग्राम ब्लड ही शरीर में रह गया था।

By Naveen DalalEdited By: Publish:Sat, 13 Aug 2022 10:43 AM (IST) Updated:Sat, 13 Aug 2022 10:43 AM (IST)
World organ donation day: पत्थरी के कारण हो गई थी युवक की किडनी खराब, भाभी ने डोनेट कर बचाई जान
भाभी ने देवर को किडनी दान कर बचाई जान।

हिसार, जागरण संवाददाता। वल्र्ड आर्गन डे यानि विश्व अंगदान दिवस हर साल 13 अगस्त को मनाया जाता है। यह दिन अंगदान के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने और मौत के बाद लोगों को अंगदान करने के लिए प्रेरित करने के लिए एक खास दिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सरकारी और निजी अस्पतालों और सार्वजनिक केंद्रों पर अंगदान करने की जागरुकता को लेकर कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। आज के समय में जहां भाई ही भाई की मदद नहीं कर पाता है।

भिवानी के तोशाम की सिडान गांव की सुशीला ने मुश्किल समय में अपने देवर को किडनी डोनेट कर उसकी जान बचाई। सुशीला के देवर सिडान गांव निवासी 28 वर्षीय विकास की किडनी खराब हो गई थी। चिकित्सकों ने किडनी डोनर का इंतजाम करने के लिए कहा, लेकिन उसके पिता और मां से ब्लड मैच नहीं हुआ। विकास का अपनी पत्नी से ब्लड मैच हुआ, लेकिन उसकी पत्नी को हार्ट प्राब्लम मिली। ऐसे में विकास की भाभी सुशील ने किडनी डोनेट कर अपने देवर की जान बचाई। विकास को पेट में दर्द रहता था और खाना खाते ही उल्टी आ जाती थी, भूख नहीं लगती थी। उसके बड़े भाई प्रवीन ने बताया कि विकास अब प्राइवेट टैक्सी चलाता है और पूरी तरह से स्वस्थ है।

डा. कैलाश चंद की आखों से नेत्रहीन पुरुष और एक महिला को मिली थी आंखों की रोशनी

नेत्रदान सबसे बड़ा दान माना गया है। नेत्रदान से ही कोई नेत्रहीन इस दूनिया को देख पाता है। हिसार में 12 मार्च 2017 को महाराजा अग्रसेन मेडिकल कालेज के आई बैंक में प्रो. डाक्टर कैलाश चंद जैन ने आंखे दान कर नेत्र बैंक की शुरुआत की थी। उन्होने अपनी देह व आंखे अग्रोहा मेडिकल कालेज में शोध के लिए दान कर दी थी। उनकी इस इच्छा को उनकी पत्नी शैलबाजा जैन ने पूरा किया था।

साथ ही उनकी एक आंख एक नेत्रहीन महिला और एक नेत्रहीन पुरुष को लगाई गई थी। यह आपरेशन भी सफल रहा था। उस दौरान अग्रोहा मेडिकल कालेज में पहली बार आई ट्रांसप्लांट का सफल आपरेशन किया गया था। अपनी देह को दान करने की मंजूरी मिलने के बाद  कार्डिक अरेस्ट के कारण डा. कैलाश चंद जैन का देहांत हुआ था। डा. कैलाश चंद जैन सीआर बीएड कालेज में प्रोफेसर थे। अब डा. कैलाश चंद जैन की पत्नी शैलबाला जैन ने भी अपनी देह को दान करने के लिए आवेदन किया हुआ है। साथ ही उनकी छोटी बेटी ने भी अपनी देह को दान करने के लिए आवेदन किया हुआ है।

मां ने किडनी डोनेट कर अपने बेटे को बचाया

गांव लाडवा निवासी कृष्ण को उसकी मां ने किडनी डोनेट कर उसकी जान बचाई है। हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम में ग्रेड सब स्टेशन आपरेटर के पद पर कार्यरत कृष्ण की बीपी की समस्या के कारण किडनी खराब हो गई थी। टेस्ट करवाया तो ब्लड भी कम मिला, सिर्फ छह ग्राम ब्लड ही शरीर में रह गया था। ऐसे में दोबारा टेस्ट करवाया तो किडनी सिकुडऩे की समस्या सामने आई।

डायलिसिस करवाया तो चिकित्सकों ने किडनी ट्रांसप्लांट करवाने की सलाह दी। किडनी डोनर नहीं मिला तो कृष्ण की माता भगवती देवी ने कृष्ण को अपनी एक किडनी डोनेट कर कृष्ण की जान बचाई। अब कृष्ण बिलकुल स्वस्थ है, उनका वजन भी बढ़कर 70 किलो हो गया है, अब तो वे सैर भी करते है और दौड़ भी लगाते हैं।

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