हरियाणा मौसम अपडेट : दिन में भी गला देने वाली ठंड का अहसास, जानें आगे कैसा रहेगा मौसम

राज्य में 19 जनवरी तक मौसम आमतौर पर परिवर्तनशील मगर खुश्क रहने की संभावना है। 16 जनवरी को कहीं-कहीं हल्की गति से उत्तर पश्चिमी हवा शीत लहर की संभवना बना रही है। इसके बाद 17 जनवरी से पश्चिमी विक्षोभ के आंशिक प्रभाव से आंशिक बादलवाई छाए रहने की संभावना है।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Sun, 16 Jan 2022 07:59 AM (IST) Updated:Sun, 16 Jan 2022 07:59 AM (IST)
हरियाणा मौसम अपडेट : दिन में भी गला देने वाली ठंड का अहसास, जानें आगे कैसा रहेगा मौसम
हरियाणा में आगामी दो से तीन दिनों तक बादलवाई छाई रहेगी

जागरण संवाददाता, हिसार। आज से शीतलहर आपको और भी कड़ाके की सर्दी का अहसास करा सकती है। दिन के समय में भी आपको ठिठुरन महसूस होगी। हल्की धूप निकलने के आसार हैं मगर बादलवाई के कारण अधिक सर्द मौसम रहेगा। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डा. मदन खिचड़ ने बताया कि राज्य में 19 जनवरी तक मौसम आमतौर पर परिवर्तनशील मगर खुश्क रहने की संभावना है।

16 जनवरी को कहीं-कहीं हल्की गति से उत्तर पश्चिमी हवा शीत लहर की संभवना बना रही है। इसके बाद 17 जनवरी से पश्चिमी विक्षोभ के आंशिक प्रभाव से हवा में बदलाव उत्तर पश्चिम से दक्षिण पूर्व व पूर्वी हो जाने से राज्य के ज्यादातर क्षेत्रों में आंशिक बादलवाई छाए रहने की संभावना है।

शनिवार को रहा था सीवियर कोल्ड डे

प्रदेश के छह जिलों में शनिवार को कोल्ड डे घोषित किया गया। इन जिलों में अंबाला, हिसार, भिवानी, गुरुग्राम, नारनौनल और राेहतक शामिल हैं। इसमें अंबाला में दिन का तापमान सामान्य से 5 डिग्री, भिवानी में 8 डिग्री, गुरुग्राम में 8 डिग्री, हिसार में 7 डिग्री, नारनौल में 9 डिग्री और रोहतक में 8 डिग्री सेल्सियस तक कम दर्ज किया गया। भिवानी, करनाल और नारनौल में दिन का तापमान सबसे कम रहा। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डा. मदन खिचड़ के अनुसार जब रात्रि तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से कम हो और दिन का तापमान सामान्य से 5 डिग्री सेल्सियस या इससे कम हो तब कोल्ड डे घोषित किया जाता है। इसके साथ ही जब दिन का अधिकतम तापमान सामान्य से कम से कम 7 डिग्री सेल्सियस कम होता है तो यह स्थिति सीवियर कोल्ड डे की होती है।

किसान कीटों और रोगों को लेकर फसलों का रखें ध्यान

इस मौसम का फसलों पर अधिक प्रभाव नहीं है। फसलों के लिए यह मौसम फायदेमंद है। हलांकि यह मौसम पौधों की बढ़वार को कुछ कम करने का काम कर सकता है। इसके साथ ही पानी का वाष्पीकरण न होने के कारण पानी की अधिक जरूरत भी फसलों को नहीं है। मगर किसानों को बादलवाई रहने से अपनी फसलों को कीटों और रोगों से बचाना होगा। क्याेंकि वातावरण में नमी पहले से ही मौजूद है। इसके साथ ही सब्जियों व फलों की किस्मों को ढ़का जा रहा है। इस प्रक्रिया को मल्चिंग कहते हैं। जिसमें पहले कूड़ा करकट आदि से फसलों को ढककर ठंड से बचाया जाता है, अब कई किसान इसमें पालीथिन आदि से फसलों को ढक देते हैं। स्ट्राबरी में पालीथिन इसलिए लगाई जाती है ताकि पानी का वाष्पीकरण न हो।

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