एचएयू के प्रोफेसर को आरटीआइ में समय पर नहीं दिया जवाब, निगम को 12 हजार जुर्माना

जागरण संवाददाता हिसार गृहकर शाखा शहर में चर्चाओं में है। जनता जहां हाउस टैक्स की

By JagranEdited By: Publish:Wed, 05 Feb 2020 01:49 AM (IST) Updated:Wed, 05 Feb 2020 06:13 AM (IST)
एचएयू के प्रोफेसर को आरटीआइ में समय पर नहीं दिया जवाब, निगम को 12 हजार जुर्माना
एचएयू के प्रोफेसर को आरटीआइ में समय पर नहीं दिया जवाब, निगम को 12 हजार जुर्माना

जागरण संवाददाता, हिसार : गृहकर शाखा शहर में चर्चाओं में है। जनता जहां हाउस टैक्स की फर्जी रसीदों से परेशान है। वहीं एचएयू(हरियाणा एग्रीकल यूनिविर्सटी) के एक सेवानिवृत प्रोफेसर ने प्रॉपर्टी टैक्स संबंधित आरटीआइ का जवाब न देने पर निगम से 12 हजार रुपये जुर्माना वसूला है। निगम के आला अफसर भले ही भ्रष्ट निगम स्टाफ पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं कर पाए हो लेकिन राज्य सूचना आयोग के आयुक्त ने कार्रवाई कर दी है। आयोग ने तीन आरटीआइ के जवाब नहीं देने पर 12 हजार का जुर्माना लगाया। निगम ने सेक्टर 14 निवासी सुदामा अग्रवाल को 12 हजार का चेक सौंपा।

नगर निगम की गृहकर शाखा में अधिक टैक्स वसूली के खेल का खुलासा करने के लिए सुदामा अग्रवाल ने आरटीआइ लगाई। लेकिन अधिकारी ने तय समय पर उसका जवाब नहीं दिया। इस पर जन सूचना आयोग की ओर से निगम एसपीआइओ को तीन मामलों में 25-25 हजार रुपये के जुर्माने की चेतावनी देते हुए कारण बताओ नोटिस जारी किए गए । अब इस मामले में तीनों आरटीआइ पर एक में दो हजार और दो में पांच-पांच हजार का जुर्माना लगाते हुए 12 हजार रुपये सुदामा अग्रवाल को देने के आदेश दिए। जिसकी पालना करते हुए निगम ने उन्हें राशि का चेक सौंपा।

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जानिए कौन है सुदामा अग्रवाल

- सुदामा अग्रवाल सेक्टर 14 निवासी है। वे एचएयू यूनिवर्सिटी के इंजीनियरिग विभाग के रिटायर्ड प्रोफेसर है। वे एचओडी भी रहे हैं। वर्तमान में वानप्रस्थ संस्था के प्रधान व आरटीआई यूजर्स एसोसिएशन के प्रधान है।

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एचएयू के रिटायर्ड बुजुर्ग ने भर रखा था टैक्स, पुराना बिल जोड़कर भेजा, कमिश्नर को शिकायत

विजय नगर निवासी एक 80 साल से अधिक आयु के बुजुर्ग लोकनाथ शास्त्री की प्रॉपर्टी का बिल एक साथ अधिक जोड़कर भेज दिया। लोकनाथ शास्त्री के परिचित अश्वनी ने बताया कि तीन साल से वे स्वयं उनका टैक्स भर रहे हैं। अब साल 2011 से अब तक का बिल जोड़कर भेज दिया। कहते है कि कैलकुलेशन सही नहीं थी। लेकिन बिल तो उन्होंने ही दिए थे। ये तो गनीमत रही कि उन्होंने बिल भुगतान की रसीद संभालकर रखी हुई थी। नहीं तो भरा हुआ बिल भी भरना पड़ सकता था। इस मामले की शिकायत मेयर व कमिश्नर को की है।

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