कोविड मरीजों पर 2डीजी दवा के क्लीनिकल ट्रायल की डीआरडीओ को मिली अनुमति, ओमिक्रोन पर भी असरदार

(डीआरडीओ) द्वारा कोरोना वायरस की स्वदेशी दवा 2-डियोक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) कोरोना के ओमिक्रोन वेरिएंट पर भी असरदार साबित होगी। क्योंकि यह दवा शरीर में वायरस के ग्रोथ को रोकने का काम करती है। अन्य वैरिएंट पर भी यह लोगों के लिए जीवन रक्षक बनने का काम करेगी।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Fri, 07 Jan 2022 08:22 AM (IST) Updated:Fri, 07 Jan 2022 08:22 AM (IST)
कोविड मरीजों पर 2डीजी दवा के क्लीनिकल ट्रायल की डीआरडीओ को मिली अनुमति, ओमिक्रोन पर भी असरदार
ओमिक्रोन वेरिएंट पर भी असरदार साबित होगी डीआरडीओ की 2-डीजी दवा

वैभव शर्मा, हिसार। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा कोरोना वायरस की स्वदेशी दवा 2-डियोक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) कोरोना के ओमिक्रोन वेरिएंट पर भी असरदार साबित होगी। क्योंकि यह दवा शरीर में वायरस के ग्रोथ को रोकने का काम करती है। यही कारण है कि कि कोराेना के अन्य वैरिएंट पर भी यह लोगों के लिए जीवन रक्षक बनने का काम करेगी। डीआरडीओ के चीफ साइंटिस्ट डा. सुधीर चांदना बताते हैं कि कोविड की दूसरी लहर में 2-डीजी कई कोविड संक्रमित लोगों की जान बचाकर यह अपना असर दिखा चुकी है।

अब कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोन पर भी यह उसी प्रकार कार्य करेगी जैसे अन्य वेरिएंट पर करती रही है। तीसरी लहर में इस दवा की उपलब्धता को बढ़ाने का काम किया जा रहा है। इसके साथ ही अब तीसरी लहर में 2-डीजी दवा का कोविड के माइल्ड मरीजों पर क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति डीआरडीओ को मिल गई है। इस ओर जल्द कार्य शुरू किया जाएगा।

12 कंपनियों ने किया आवेदन, पांच को मिली स्वीकृति

इसके दवा की तकनीकी का अधिकार डीआरडीओ के पास है। जिस समय दवा की लांचिंग की गई उस समय डा रेड्डीज लैब को डीआरडीओ ने यह तकनीकी ट्रांसफर की थी। मगर अब 12 और कंपनियों ने इस दवा की तकनीकि को लेने के लिए डीआरडीओ के पास आवेदन किया। जिसमें से पांच कंपनियों को ड्रग कंट्रोलर ने मार्केटिंग की अनुमति भी दे दी है। जिससे अब दवा आसानी से हर शहर तक पहुंचकर लोगों की जान बचाने में कामयाबी हासिल करेगी। इसके साथ ही देश के लगभग हर राज्य में दवा को मुहैया कराया जा रहा है। करीब 80 शहरों में सप्लायरों को यह दवा कंपनी ने दी है। तीसरी लहर में अधिक कंपनियां आने से यह दायरा और भी बड़ा होगा।

डीआरडीओ डाटा कर रहा तैयार

चीफ साइंटिस्ट डा. सुधीर चांदना बताते हैं कि कोरोना की दूसरी लहर में इस दवा को लांच किया गया था। मार्केट में पहुंचने के बाद देशभर में चिकित्सकों ने मरीजों पर इस दवा का प्रयोग किया है। कई लोगों की जान बचाई गई है। चिकित्सकों ने 2-डीजी दवा को लेकर फीडबैक भी दिया है। इस डाटा को डीआरडीओ एकत्रित कर रहा है ताकि आने वाले समय में डाटा का प्रयोग अन्य शोधकार्यों में किया जा सके। सबसे अच्छी बात है यह इकलौती भारतीय दवा है जो कोरोना पर काफी असरदार रही है।

कैसे कार्य करती है 2-डीजी

कोरोना की ये दवा एक सैशे में पाउडर के रूप में आती है, जिसे पानी में घोलकर लिया जाता है। यह कोरोना वायरस से संक्रमित कोशिकाओं में जमा होती है और वायरल संश्लेषण और ऊर्जा उत्पादन को रोककर वायरस को शरीर में बढ़ने से रोकती है। वायरस से संक्रमित कोशिकाओं में जाना इस दवा को सबसे बेजोड़ बनाता है। दरअसल, यह दवा ग्लूकोज का एक सब्स्टिट्यूट है। कोरोना वायरस अपनी एनर्जी के लिए मरीज के शरीर से ग्लूकोज लेता है, मगर ग्लूकोज के धोखे में वह इस दवा का इस्तेमाल करने लगता है जिससे वायरस को ऊर्जा मिलना बंद हो जाती है और उनका वायरल सिंथेसिस बंद होने लगता है। इस तरह नए वायरस का बनना बंद हो जाता है और साथ ही बाकी वायरस भी मरने लगते हैं।

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