प्रकृति के प्रति ऐसा प्रेम कि रोजाना कॉलेज जा रहे 80 वर्षीय सेवानिवृत माली सूरजबली

61 साल पहले बने नेशनल कॉलेज में 80 वर्षीय सूरजबली बचपन से ही पौधराेपण करते रहे। इसी कॉलेज में उन्‍हें माली की नौकरी भी मिली, सेवानिवृत्ति के बाद भी वो पौधाें की देखभाल कर रहे हैं

By manoj kumarEdited By: Publish:Tue, 18 Dec 2018 02:20 PM (IST) Updated:Wed, 19 Dec 2018 02:09 PM (IST)
प्रकृति के प्रति ऐसा प्रेम कि रोजाना कॉलेज जा रहे 80 वर्षीय सेवानिवृत माली सूरजबली
प्रकृति के प्रति ऐसा प्रेम कि रोजाना कॉलेज जा रहे 80 वर्षीय सेवानिवृत माली सूरजबली

सिरसा [महेंद्र सिंह मेहरा] सेवानिवृत्ति के बाद लोग अपने जीवन में व्यस्त हो जाते हैं और संस्थान में शायद ही कभी जाते हों, लेकिन नेशनल कॉलेज के माली सूरजबली सेवानिवृत्ति के पंद्रह साल बाद भी नियमित रूप से कॉलेज आ रहे हैं। कारण उन पौधों का रखरखाव जिन्‍हें उन्‍होंने अपने हाथों से लगाया और सीचा था। कॉलेज से सेवानिवृत्त होने के बाद भी उनका पेड़ पौधों से लगाव कम नहीं हुआ है। सिरसा के इस कॉलेज की स्थापना 5 फरवरी 1957 में हुई। कॉलेज बने हुए 61 साल हो गये हैं, और सूरजबली भी तब से ही इससे जुड़े हैं। इसे संयोग कहिए या चाह, सूरजबली को उसी कॉलेज में नौकरी मिली जहां वो पौधरोपण करते थे।

2003 में हुए सेवानिवृत्त, अब उम्र 79 साल

सूरजबली को बचपन से ही पेड़ पौधे लगाने का शौक था। जब कॉलेज में माली की नौकरी मिली तो बहुत खुश हुए। अगस्त 2003 में सेवानिवृत्त होने के बाद भी  सूरजबली ने आराम न करके पेड़ पौधों की देखभाल करने का फैसला लिया। 80 साल की उम्र में आज भी वह पेड़ पौधों को प्रतिदिन पानी देने और नये पौधे लगाकर देखभाल करने आ रहे हैं। इसके लिए उन्हें कॉलेज प्रशासन कई बार सम्मानित कर चुका है।

चारों तरफ से कॉलेज को बना रखा है हराभरा

कॉलेज में कई पार्क बनाने के साथ साथ उनमें अनेक किस्म के पौधे हैं। इससे पूरा कॉलेज परिसर हराभरा नजर आता है। कॉलेज में सूरजबली को कार्य करते देखकर छात्र भी पेड़ पौधे लगाने की प्रेरणा ले रहे हैं।

सेवानिवृत्ति के दूसरे दिन से रोज आने लगे। सूरजबली बताते हैं कि पेड़ पौधे लगाने का बचपन से ही जुनून था। सेवानिवृत्त होकर घर पहुंचा तो अपने द्वारा लगाए गये पेड़ पौधों की चिंता हुई। सेवानिवृत्ति के दूसरे दिन से ही फिर से कॉलेज में आकर पेड़ पौधों की देखभाल करने लग गया। खुद के लगाए  पौधों को देखकर बहुत अच्छा लगता है।

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