45 डिग्री तापमान में 49 घंटे जिंदगी की जंग जीता नदीम

हिसार जेएनएन। गांव बालसमंद में खुले बोरवेल में गिरे नदीम को 49 घंटे बाद सकुशल बाहर निकाल लिया गया। नदीम ने रोने के साथ-साथ अपनी अम्मी को पुकारा।

By manoj kumarEdited By: Publish:Sat, 23 Mar 2019 03:03 PM (IST) Updated:Sat, 23 Mar 2019 03:03 PM (IST)
45 डिग्री तापमान में 49 घंटे जिंदगी की जंग जीता नदीम
45 डिग्री तापमान में 49 घंटे जिंदगी की जंग जीता नदीम

हिसार, जेएनएन। गांव बालसमंद में खुले बोरवेल में गिरे नदीम को 49 घंटे बाद सकुशल बाहर निकाल लिया गया। नदीम ने रोने के साथ-साथ अपनी अम्मी को पुकारा। नन्हें नदीम को बोरवेल से बाहर निकालने से पहले उसके शरीर के तापमान को बाहरी तापमान के अनुरूप बनाया गया। इस पूरी प्रक्रिया में चिकित्सकों को 20 मिनट का वक्त लगा, क्योंकि 49 घंटे से नदीम जिस बोरवेल में फंसा हुआ था, उसका तापमान 45 डिग्री के आसपास था। जिस कारण नदीम के शरीर का तापमान अस्थिर हो गया था। जिस उमस और गर्मी भरे माहौल से नदीम गुजरना पड़ा, उसी तापमान ने सेना और एनडीआरएफ के जवानों के हौसले की कड़ी परीक्षा ली। सेना, एनडीआरएफ के हौसले जहां बुलंद थे। वहीं अत्याधुनिक मशीन एनडीडी जो एक तरह का रडार सिस्टम मिलने से उनको राहत मिली। जिससे समय रहते मिशन कामयाब हो सका।

लगे भारत माता की जय के नारे

जैसे ही सेना के अधिकारी नदीम को बाहर लेकर आए तो भारत माता की जय, भारतीय सेना जिंदाबाद और पुलिस प्रशासन जिंदाबाद के नारों से गांव गूंज उठा। बोरवेल से नदीम को कपड़े में लपेट कर बाहर लाने वाले जवानों को ग्रामीणों ने कंधों पर उठा लिया। सेना के जवान पंजाब के बिट्टू ने बस इतना कहा कि हम जीत गए, बच्चा ठीक है। दस मिनट तक एंबुलेंस को मौके पर खड़ा रखा और चिकित्सकों ने नदीम के स्वास्थ्य की जांच की। जांच के साथ ही नदीम के दादा और अन्य परिजनों को नदीम से मिलवाया। अधिकारी नदीम की मां गुलशन, पिता आजम अली सहित परिवार के तीन सदस्यों को अपने साथ अग्रोहा मेडिकल ले गए, ताकि वह नदीम के साथ रहे सके।

जीपीएस फेल हुआ तो आई रडार की याद

शुक्रवार को जीपीएस सिस्टम बोरवेल की गहराई ज्यादा होने पर काम छोड़ गया। ऐसे में उपायुक्त अशोक कुमार मीणा ने हिसार की जांगडा कंस्ट्रक्शन कंपनी के लोगों को बुलाया गया। जिन्होंने सही स्थिति और लोकेशन अधिकारियों को दी। टोटल लोकेशन मशीन ने सही दिशा दी और प्रशासन ने काम शुरू किए रखा। काम को गति पकड़वाने के लिए रडार बेस एचडीडी मशीन मंगवाई गई। क्योंकि प्रशासनिक अधिकारियों के पास जो मशीनें हैं,  उनको कर्मचारी व अधिकारी पूरी तरह से चलाना तक नहीं जानते। ऐसे में प्राइवेट कंपनी रियलाइंस जियो का सहारा प्रशासनिक अधिकारियों लेना पड़ा। रियलाइंस जियो के साथ हरियाणा स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के अधिकारियों ने अहम भूमिका निभाई। रियलाइंस जियो और हरसेक के अधिकारियों ने तीन घंटे संयुक्त रूप से अभियान में योगदान दिया। जिसकी बदौलत सेना और एनडीआरएफ के जवान नदीम को बाहर निकालने में कामयाब रहे। उपायुक्त अशोक कुमार मीणा को जब जानकारी मिली की बीएसएनएल के अधिकारियों के पास भी रियलाइंस जियो जैसी मशीन हैं। उपायुक्त इससे गुस्सा हो गए और जानकारी नहीं देने पर बीएसएनएल अधिकारियों को फटकार लगाई।

साढ़े छह घंटे में इन मशीनों ने अभियान की बदल दी दिशा

पूरे अभियान में तीन मशीनों का प्रयोग किया गया। पहली मशीन जीपीएस सिस्टम था। जो गहराई ज्यादा होने के कारण मार खा गई। इसके बाद ईटीएस इलेक्ट्रानिक टोटल स्टेशन मशीन (ईटीएस) उस मशीन का नाम है। जिससे अब जमीन सीमांकन किया जाने लगा है। यह लेजर बेस मशीन है।

इस प्रकार मशीन ने किया काम

ईटीएस मशीन से बोरवेल और खुदाई की जगह दोनों के बीच का एंगल सेट किया गया। इसी मशीन से बोरवेल और खुदाई की जगह की गहराई नापी गई। ताकि गहराई को लेकर कोई परेशानी नहीं आए।

. एचडीडी :  एचडीडी मशीन का प्रयोग भूमिगत केबल आदि खोजने व डालने में किया जाता है। रडार बेस यह मशीन गहराई में काम करती है।  एक मशीन बोरवेल के साथ उपर स्तर पर लगाई गई। जबकि दूसरे उपकरण जो एक छड़ी के जैसा था। उसे गहराई में खोद जा रहे तीन गुणा तीन के गड्ढे में लगा दिया गया। इससे बोरवेल की दिशा को केंद्रित किया गया।

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