बैंकों से धोखाधड़ी के मामले में आरटीआइ कार्यकर्ता गिरफ्तार

डीएलएफ फेज-एक निवासी आरटीआइ कार्यकर्ता हरींद्र धींगड़ा एवं उनके बेटे प्रशांत धींगड़ा एवं तरुण धींगड़ा के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला डीएलएफ फेज-एक थाना पुलिस ने दर्ज करने के साथ ही गिरफ्तार कर लिया।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 10 May 2021 07:50 PM (IST) Updated:Mon, 10 May 2021 07:50 PM (IST)
बैंकों से धोखाधड़ी के मामले में आरटीआइ कार्यकर्ता गिरफ्तार
बैंकों से धोखाधड़ी के मामले में आरटीआइ कार्यकर्ता गिरफ्तार

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: डीएलएफ फेज-एक निवासी आरटीआइ कार्यकर्ता हरींद्र धींगड़ा एवं उनके बेटे प्रशांत धींगड़ा एवं तरुण धींगड़ा के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला डीएलएफ फेज-एक थाना पुलिस ने दर्ज करने के साथ ही गिरफ्तार कर लिया। मामला परिवार के कई अन्य सदस्यों के खिलाफ भी दर्ज कराया गया है। सभी के ऊपर आम जनता का बैंकों में रखा हुआ पैसा लोन के तौर पर लेकर गबन करने का आरोप है। गबन करने की राशि लगभग 15 करोड़ रुपये है। शिकायत पिछले महीने 16 अप्रैल को मालिबु टाउन निवासी तरुण बटेजा ने दी थी। छानबीन के बाद मामला सोमवार को दर्ज किया गया।

पुलिस प्रवक्ता सुभाष बोकन ने बताया कि शिकायत पर जब छानबीन शुरू की गई तो सामने आया कि हरींद्र धींगड़ा एवं उनकी पत्नी पूनम धींगड़ा ने वर्ष 2001 में प्रदीप कुमार से उपरोक्त प्लाट खरीदा था। प्रापर्टी में पति-पत्नी की आधी-आधी हिस्सेदारी थी। इंडियन ओवरसीज बैंक के रिकार्ड के मुताबिक वर्ष 2003 में पूनम धींगड़ा व उनके बेटे प्रशांत धींगड़ा द्वारा एलिगेंस फैब्रिक्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर अलग-अलग प्रकार के लोन लिए गए। उसमें अपनी पर्सनल गारंटी रखी। लोन एनपीए होने के बाद साजिशन प्रशांत धींगड़ा ने अपने माता-पिता के खिलाफ लोक अदालत गुरुग्राम में उपरोक्त प्लाट के लिए दावा डाल दिया।

27 नवंबर को लोक अदालत के आदेशानुसार समझौते के आधार पर प्लाट प्रशांत धींगड़ा के नाम कर दिया गया। इसके बाद प्लाट को ओबीसी बैंक में मोर्टेज करके वर्ष 2007 के दौरान तरुण एक्सपो‌र्ट्स के नाम पर आठ करोड़ रुपये का लोन लिया गया। लोन न भरने के कारण वर्ष 2008 में एनपीए हो गया। लोन न भरने पर दोनों बैंकों ने नोटिस भेजा तो सभी ने आपस में मिलकर एक अन्य दावा गर्व धींगड़ा के नाम से गुरुग्राम अदालत में डाल दिया। इसके बाद आरोपितों ने मिलकर लोक अदालत के आदेश को रद कराने के लिए एक याचिका पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में डाल दी। इस पर उच्च न्यायालय ने लोक अदालत के आदेश को रद करते हुए प्लाट वापस पति-पत्नी यानी हरींद्र धींगड़ा व पूनम धींगड़ा के नाम पर आ गया। बैंकों द्वारा प्लाट को अटेचमेंट कराने की कार्यवाही डीआरटी व उच्च न्यायालय में विचाराधीन होने के बाद भी फर्जी दस्तावेज तैयार करके हरींद्र धींगड़ा एवं पूनम धींगड़ा ने प्लाट अपने दूसरे बेटे तरुण धींगड़ा व अपने पौत्र गर्व धींगड़ा के नाम पर ट्रांसफर करा दी। जिससे कि न ही बैंकों का लोन भरना पड़े और न ही बैंक प्लाट की निलामी ही करा सकें। इस तरह हरींद्र धींगड़ा, पूनम धींगड़ा, उनके बेटों प्रशांत धींगड़ा, तरुण धींगड़ा, प्रशांत की पत्नी तानी धींगड़ा एवं पौत्र गर्व धींगड़ा ने योजनाबद्ध तरीके से बैंकों से 15 करोड़ रुपये लोन ले लिए।

जांच के लिए एसआइटी गठित: मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस आयुक्त केके राव ने सहायक पुलिस आयुक्त (क्राइम-दो) के नेतृत्व में एसआइटी का गठन कर दिया है। टीम आगे मामले की जांच करेगी। पुलिस प्रवक्ता सुभाष बोकन का कहना है कि हरींद्र धींगड़ा अपने साथी रविद्र यादव के साथ मिलकर आरटीआइ एक्ट का नाजायज फायदा उठाते हुए सरकारी कर्मचारियों एवं अधिकारियों से लेकर बिल्डरों पर दबाव डालकर पैसे ऐंठता था। हरींद्र धींगड़ा के खिलाफ वर्ष 2017 के दौरान भी सदर थाना में एक मामला दर्ज कराया गया था। दोनों ने डीएलएफ के दो बड़े प्लाट पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा था। रविद्र यादव के खिलाफ एक महिला के साथ छेड़छाड़ व मारपीट करने का मामला दर्ज है।

chat bot
आपका साथी