टिकट के बाद अब लाल बत्ती की जद्दोजहत

जागरण संवाददाता, गुड़गांव : विधानसभा चुनाव में पहले टिकट के लिए मारा-मारी मची लेकिन जैसे-तैसे उसमें स

By Edited By: Publish:Tue, 21 Oct 2014 06:47 PM (IST) Updated:Tue, 21 Oct 2014 06:47 PM (IST)
टिकट के बाद अब लाल बत्ती की जद्दोजहत

जागरण संवाददाता, गुड़गांव : विधानसभा चुनाव में पहले टिकट के लिए मारा-मारी मची लेकिन जैसे-तैसे उसमें सफलता मिल गई। चुनाव भी जीत गए और अब इन्होंने लाल बत्ती पर अपनी निगाहें टिका दी हैं। राव नरबीर सिंह अपने राजनीतिक अनुभव के आधार पर तो उमेश अग्रवाल प्रदेश में सर्वाधिक वोट से जीतने के इनाम के एवज में लाल बत्ती की दौड़ में चल रहे हैं। हालांकि जब तक सीएम के नाम पर मुहर नहीं लगेगी तब तक कुछ भी कहना जल्दबाजी है लेकिन लाल बत्ती के लिए नेताओं ने हाथ-पैर मारना शुरू कर दिए हैं।

गुड़गांव से उमेश अग्रवाल एवं बादशाहपुर से राव नरबीर सिंह ने सांसद से जुड़े मेयर टीम व पार्षद बादशाहपुर क्षेत्र में नजर नहीं भाजपा टिकट पर विजय हासिल की है। उमेश जहां करीब 84 हजार वोटों से तो नरबीर साढ़े 18 हजार वोटों से जीते हैं। नरबीर को कड़ी टक्कर मिली तो उमेश के सामने कोई नहीं टिका। वर्ष 2009 में भी उमेश भाजपा से चुनाव मैदान में थे लेकिन पराजित हुए थे। इस बार टिकट के लिए दोनों को ही कड़ा संघर्ष करना पड़ा। काफी जद्दोजहत के बाद दोनों टिकट पाने में सफल हुए थे। अब दोनों ही लाल बत्ती की कतार में हैं। उमेश प्रदेश में सबसे अधिक वोट से विजयी हुए हैं, तो वह इसी के आधार पर लाल बत्ती पाने के लिए हाथ-पैर मार रहे हैं। दूसरी ओर राव नरबीर सिंह जाटूसाना एवं सोहना से विधायक व प्रदेश में मंत्री भी रहे। हालांकि 15 साल से वह कोई भी चुनाव नहीं जीते और इसके लिए राजनीतिक पार्टी से लेकर चुनाव के क्षेत्र भी बदले। अब वह अपने राजनीतिक अनुभव व पूर्व मंत्री के आधार पर लाल बत्ती के लिए प्रयासरत हैं। हालांकि उनकी राह में सांसद राव इंद्रजीत सिंह रोड़ा बन सकते हैं। कारण दोनों के बीच वर्चस्व को लेकर चल रही सालों पुरानी लड़ाई चल रही है। इसी के चलते सांसद जहां बादशाहपुर में प्रचार करने नहीं गए वहीं उनके समर्थकों ने भी दूरी बनाए रखी। कोई सालों पहले से भाजपा कार्यकर्ता की दुहाई दे रहा तो कोई पार्टी के लिए किए गए कार्य एवं लोकसभा चुनाव के टिकट में उनके साथ हुई नाइंसाफी को लेकर लाल बत्ती पाने की मशक्कत कर रहे हैं। लाल बत्ती का फैसला सीएम नाम पर मुहर लगने के बाद होगा। बावजूद दोनों ही पार्टी के अपने आकाओं के संपर्क कर लाल बत्ती के लिए भूमिका बनाने में जुटे हैं।

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